111 दिवसीय पर्यावरण संवेदना जागरूकता अभियान

नई दिल्ली। हालिया कुछ वर्षों में प्रकृति में भयंकर असंतुलन और सामाजिक ताने बाने का बिखराव देखने को मिल रहा हैं। लोगों के अंदर प्रकृति और पर्यावरण के लिए ना तो समय है और ना संवेदना जो गंभीर चिंता का विषय है, जिस पर समय-समय पर पर्यावरण पर काम करने वाले विशेषज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता अपनी चिंता जाहिर कर चुके है। इसी कड़ी में सामाजिक कार्यकर्ता और गोंडा जिले ( उत्तर प्रदेश ) के जीवन बचाओ आंदोलन की राष्ट्रीय प्रभारी अनुपम बाजपेयी द्वारा 111 दिवस की पर्यावरण संवेदना जागरूकता अभियान/ यात्रा और जनसंख्या नियंत्रण के लिए 2 बच्चों के कानून का निजी विधेयक का प्रस्ताव लेकर इस यात्रा की संकल्पना की गई। जिसके पहले चरण का समापन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्मदिन के अवसर पर किया जा रहा है। अटल बिहारी वाजपेयी खुद किसान परिवार से थे और प्रकृति के रहस्यों को समझने वाले संवेदनशील व्यक्ति थे, ये हमारी संस्था की तरफ से उनको एक छोटा सा तोहफ़ा है।

दूसरे चरण में 27 दिसंबर को संसद में दो बच्चों के संबंधित कानून बनाने के लिए ये निजी विधेयक रखा जायेगा ताकि ये विस्फोटक होती समस्या पर रोक लगे। जीवन बचाओ आंदोलन की राष्ट्रीय प्रभारी अनुपम बाजपेई ने दो बच्चों को कानून बनाने को लेकर उच्चतम न्यायालय में 12 फरवरी को 2018 को जनहित याचिका दायर की थी, जिसकी सुनवाई करते हुए सुप्रिम कोर्ट के जज कोरियन जोसेफ ए के खानविलकर ने कहा की यह काम लोकसभा के माध्यम से होना चाहिए। निजी विधेयक संसद में रखने के लिए वकील शिव कुमार त्रिपाठी को संस्था के द्वारा नियुक्त किया गया है। बता दें कि श्री त्रिपाठी ने 12 दिसंबर 2014 को लोकसभा अध्यक्ष एवं अन्य व्यक्तियों को दो बच्चों का कानून बनाने के लिए विधेयक दिया था। लेकिन इतना समय के बाद भी इस विस्फोट होती जनसंख्या के नियंत्रण के लिए संसद में चर्चा करा कर कानून नहीं बनाया गया इसलिए मजबूर होकर उच्चतम न्यायालय मे जनहित याचिका दाखिल की गई।

जीवन बचाओ संस्था के द्वारा वृंदावन वात्सल्य ग्राम में इस विस्फोटक होती जनसंख्या नियंत्रण पर चर्चा हुई, और चिंता जाहिर की गई के अगर इस पर कानून नहीं बनता है तो आने वाले समय में जनसंख्या वृद्धि राष्ट्र निर्माण में सबसे बड़ी बाधा बनेगी । अनुपम बाजपेई ने कहा अगर संसद में कानून नहीं बनता है तो जो पीआईएल वापस ली गई है वापस उसे फिर कोर्ट में रखा जाएगा जब तक कानून नहीं बनता और ये लड़ाई जारी रहेगी। इस मामले में अक्टूबर 2018 को सुनवाई हुई थी।

दिल्ली के प्रेस क्लब में आयोजित इस कार्यक्रम में बोलते हुए आचार्य डॉ विक्रमादित्य ने कहा कि प्रकृति को बचाने का प्रयास जो सन्तोष बाजपेयी द्वारा चलाया जा रहा है वह किसी पूजा से कम नहीं है । इसी कड़ी में पर्यावरण संवेदना जागरूकता अभियान/यात्रा के नायक सन्तोष कुमार बाजपेयी ने कहा कि बढ़ती जनसंख्या सभी समस्याओं की जननी है सरकार को दो बच्चों का कानून बनाना चाहिए जल हम बोतलों से पी रहे हैं, हवा भी बोतलों में खरीदनी न पड़े इसलिए हमें पर्यावरण के प्रति सचेत हो जाना चाहिए। कार्यकम में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ पत्रकार पंकज चतुर्वेदी , अरविंद कुमार सिंह, दीपक परवर्तियार शामिल रहे और इनके द्वारा पर्यावरण के अलग-अलग आयामों पर प्रकाश डाला। पवन शर्मा, संजय बाजपेई, सुधीर शुक्ला, और भरत पांडे ने बच्चों को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन निहारिका श्रीवास्तव “पूजा“ ने किया अमिता पांडे ने आये हुए अतिथियों का स्वागत आभार व्यक्त किया।

पर्यावरण विकास एवं जन कल्याण संस्थान द्वारा संचालित जीवन बचाओ आंदोलन के प्रमुख पर्यावरणविद सन्तोष कुमार बाजपेयी के मार्गदर्शन में पर्यावरण संरक्षण के लिए अभियान चलाया जा रहा है। लोगों के सहयोग और साथ से सालों से बिना किसी सरकारी सहयोग के अपने ही संसाधनों से यह अभियान चलाया जा रहा है। संस्था के कुछ मुख्य कार्य- 3 जून 1990 से जीवन बचाओ आंदोलन सन्तोष कुमार बाजपेयी के मार्गदर्शन में मानव में हीन हो रही पर्यावरण संवेदना को समाज के प्रत्येक नागरिक में जाग्रत करना। 30 जून 2001 को अपनी शादी के अवसर पर परिणय पौध रोपित कर हर शादी के अवसर पर वर कन्या से लगवाते हैं परिणय पौध ताकि पर्यावरण के लिए संरक्षण किया जा सके। देश की 250 लाख ग्राम पंचायत में संस्कार स्मृति वाटिकाओ की स्थापना की शुरुआत 21 मार्च 2017 नौबस्ता गोंडा से की गई।

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