नई दिल्ली। जब व्यक्ति अपनी जरूरतों को पूरा कर लेता है। आर्थिक रूप से सक्षम हो जाता है, तो उसके लिए सामाजिक और सांस्कृतिक दायित्वों का निर्वहन करना आसान होता है। यह कहना है मशहूर उद्योगपति माधव बी श्रीराम का। शंकर-शाद मुशायरा के संदर्भ में आयोजित प्रेसवार्ता में उन्होंने कहा कि हमारे परिवार ने जिस संस्कृति का बढावा दिया और संरक्षण दिया, हम भी उसी ओर आगे बढ रहे हैं। आज के युवाओं को भी यह समझना होगा कि परिवार के संस्कार और मर्यादा बेहद खास होते हैं।
असल में, कविता प्रेमियों का वार्षिक कार्यक्रम शंकर-शाद मुशायरा दिल्ली में अपने 53वें संस्करण के साथ वापस लौट आया है। इस मुशायरा का आयोजन शनिवार, 16 मार्च को मॉडर्न स्कूल, बाराखंभा रोड में शाम 7 बजे किया जायेगा। मुशायरा का आयोजन हर साल सर शंकर लाल और लाल मुरली धर की याद में किया जाता है। इन्हें उर्दू शायरी के प्रवर्तकों के रूप में नई दिल्ली की सामाजिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक जिंदगी में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। इसमें वक्ताओं ने कहा कि वर्तमान हालात में सियासत कलमकारों पर भारी है, लेकिन उम्मीदों का दामन हम थामे हुए हैं। इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है।
16 मार्च को मॉडर्न स्कूल, बाराखंभा रोड में शंकर-शाद मुशायरा के 53वें संस्करण का दिल्ली में होगा आयोजन
शंकर लाल मुरली धर सोसायटी एवं डायरेक्टर डीसीएम श्रीराम इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन माधव बी श्रीराम ने कहा कि श्श्हम उर्दू शायरी प्रेमियों को शामिल करने के लिये काफी प्रयास कर रहे हैं और हमें इस परंपरा को साकार करने में खुशी हो रही है। हमारा मानना है कि उर्दू महज एक भाषा नहीं है, बल्कि अपने आप में एक संस्कृति है। भाषण की इस कला को संरक्षित रखने और विलुप्त होने से बचाने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि मुशायरा के इस साल के संस्करण में जावेद अख्तर, मुनव्वर राणा, प्रोफेसर वसीम बरेलवी, मंजर भोपाली, डॉ. राहत इंदौरी, डॉ. इकबाल अशर, डॉ. गौहर रजा, शीन काफ निजाम, डॉ. कलीम कैसर, अजहर इकबाल, नौमान शौक, हुसैन हैदरी, स्वप्निल तिवारी, सुश्री अजरा कैसर नकवी, अकीब सबीर, विपुल कुमार और डॉ. नुसरत मेहदी सहित मशहूर उर्दू शायरों की भागीदारी देखने को मिलेगी।
बता दें कि वार्षिक शंकर शाद मुशायरा डीसीएम समूह के श्री शंकर लाल एवं श्री मुरली धर की याद में मनाया जाने वाला एक कार्यक्रम है। इन्हें उर्दू शायरी के प्रवर्तकों के रूप में नई दिल्ली में सामाजिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक जीवन में उनके योगदान के लिये जाना जाता है। मुशायरा में मशहूर उर्दू शायर अपनी सर्वश्रेष्ठ शायरी सुनाते नजर आयेंगे। मशहूर शंकर-शाद मुशायरा को राजधानी की संस्कृति से अलग नहीं किया जा सकता है। इस कार्यक्रम का आयोजन एक साहित्यिक कार्यक्रम शंकर-शाद मुशायरा के तत्वधान में किया जाता है। इसका आयोजन नियमित तौर पर शंकर लाल मुरली धर मैमोरियल सोसायटी द्वारा किया जाता है। शंकर शाद मुशायरा डीसीएम श्रीराम ग्रुप की एक पहल है और इसके द्वारा 1953 से ही साहित्य और मौखिक कला की एक शैली के रूप में उर्दू मुशायरा को बढ़ावा दिया जा रहा है।