भाई बहन के स्नेह और आपसी प्रेम का प्रतीक है रक्षाबंधन : सरफराज सिद्दीकी

नई दिल्ली। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव व डेलिगेट सरफराज अहमद सिद्दीकी ने कहा है कि रक्षा बंधन का पर्व भाई-बहन के स्नेह की अटूट डोर का प्रतीक है। बहन द्वारा भाई को राखी बांधने से उसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। दोनों के मध्य विश्वास और प्रेम का जो रिश्ता बनता है, वह अटूट है। उन्होंने कहा है कि रक्षा बंधन पर्व का सबसे खूबसरूत पहलू यही है कि यह पर्व धर्म और जाति के बंधनों को नहीं मानता। अपने इसी गुण के कारण आज इस पर्व की सराहना पूरी दुनिया में की जाती है। जब भी कोई कार्य शुभ समय में किया जाता है, तो उसका अपना महत्व है। बहन के रिश्ते से उस कार्य की शुभता में वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि रक्षाबंधन का समय भी निर्धारण है। गुरुदेव रवीद्र नाथ टैगोर ने राखी का पर्व को एकदम नया अर्थ दे दिया। उनका मानना था कि राखी एक इंसानियत का पर्व है। विश्वकवि रवींद्रनाथ ने इस पर्व पर बंग भंग के विरोध में जनजागरण किया था और इस पर्व को एकता और भाई चारे का प्रतीक बनाया था।

कांग्रेस नेता एडवोकेट सरफराज अहमद सिद्दीकी ने कहा कि भाई बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक भाई बहन के पावन प्रेम का प्रतीक रक्षा बंधन दोनों के आपसी प्रेम की दृढ़ता को प्रकट करता है। भाई-बहन का प्रेम एक दूसरे को ऐसी शक्ति प्रदान करता है जिससे मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियां भी अनुकूल हो जाती हैं।उन्होंने कहा कि भाई बहन का रिश्ता बड़ा ही प्यार और नोक झोंक वाला होता है। यह एक एेसा रिश्ता है जिसमें कितनी मर्जी लड़ाई-झगड़ा क्यों न हो लेकिन दोनों कुछ ही देर में फिर से ऐसे बात करने लगते है कि जैसे कुछ हुआ ही न हो। बहन अपने भाई की लंबी उम्र की जहां दुआ मांगती है, वहीं सदा अपने लिए भाई से हर मुसीबत में रक्षा का वचन भी मांगती है। इस पवित्र रिश्ते से बढ़कर कोई रिश्ता नहीं है।

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