नई दिल्ली। पत्रकारिता जगत के सुपरिचित एवं सुप्रतिष्ठित हस्ताक्षर कृष्ण मोहन झा रविवार यानी 21 फरवरी को अपने यशस्वी जीवन के ४६ वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं।उनकी इस साढ़े चार दशक की जीवन यात्रा में अनेक महत्त्वपूर्ण पड़ाव आए हैं। उन्होंने अब तक जो उल्लेखनीय उपलब्धियां अर्जित की हैं वे उनकी आयु से कहीं अधिक बड़ी हैं। यद्यपि मूलतः वे श्रमजीवी पत्रकार हैं परंतु उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व का मूल्यांकन केवल एक श्रमजीवी पत्रकार के रूप में करना उनके साथ अन्याय होगा क्योंकि उनकी उपलब्धियों का दायरा केवल पत्रकारिता के क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है। एक प्रखर पत्रकार होने के अलावा वे एक सिद्धहस्त लेखक, समर्पित समाज सेवी और अच्छे वक्ता भी हैं। हमेशा सबको साथ लेकर चलने का गुण उन्हें एक कुशल संगठक की पहिचान दिलाने में भी सहायक सिद्ध हुआ है। उनके विशाल मित्र
परिवार को देखकर सहज ही यह अनुमान भी लगाया जा सकता है कि वे केवल मित्र बनाने की कला में पारंगत नहीं हैं अपितु किसी अपरिचित के भी गाढ़े वक्त में तन मन धन से उनके काम आने का जज्बा भी उनके अंदर मौजूद है। वे यारों के यार भी हैं, बड़े दिलदार हैं और उतने ही समझदार हैं। किसी के साथ अल्पकालीन वार्तालाप में ही उसे अपना बना लेने की क्षमता नित्य प्रति ही उनके चाहने वालों की संख्या में इजाफा कर देती है परन्तु कृष्ण मोहन झा एक बार जिसको अपना बना लेते हैं उसे हजारों की भीड़ में भी तत्क्षण पहचान लेते हैं। कोई भी व्यक्ति उनके चुम्बकीय आकर्षण के घेरे के अंदर आ जाने के बाद बाहर नहीं निकल सकता।कृष्णमोहन झा के व्यक्तित्व में समाहित यह चुम्बकीय आकर्षण उन्हें ईश्वर से वरदान में मिला हुआ है।
हिन्दी पत्रकारिता में सशक्त हस्तक्षार हैं कृष्णमोहन झा
श्री कृष्ण मोहन झा ने महाविद्यालयीन अध्पययन पूर्ण करते ही पत्रकारिता को अपना पूर्ण कालिक व्यवसाय बनाने का निश्चय कर लिया था। पुण्य सलिला नर्मदा के तट पर बसे मंडला शहर में जन्मे श्री झा ने अपने पत्रकारीय जीवन के प्रारंभिक कुछ वर्ष मंडला में ही व्यतीत किए और फिर उनकी महत्वाकांक्षा ने उन्हें राजनीति आने के लिए प्रेरित कर दिया। श्री झा जब मंडला से भोपाल आए तो कुछ समय तक उन पर बाहरी का ठप्पा लगाकर उन्हेंहतोत्साहित करने का भी प्रयास किया गया परंतु संकल्प शक्ति के धनी इस युवा पत्रकार ने धीरे धीरे यहां अपने पैर जमाने शुरू कर दिये और स्वयं सफलता उनके करीब आने लगी। आज वे राजधानी में पत्रकारिता के सुप्रतिष्ठित हस्ताक्षर बन चुके हैं। निर्भीक और राजनीतिक विश्लेषक के रूप में मध्यप्रदेश के बाहर उनकी विशिष्ट पहचान है।वे अनेक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय समाचार पत्रों में नियमित स्तंभ लेखन कर रहे हैं। उनके पांच राजनीतिक लेख संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केंद्रित उनकी पुस्तक’महानायक मोदी’ बेहद लोकप्रिय साबित हुई है। उल्लेखनीय है कि इस पुस्तक की भूमिका केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लिखी है। वर्तमान में एक प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान में महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत श्री झा श्रमजीवी पत्रकारों के राष्ट्रीय संगठन ‘इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट’के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का दायित्व भी संभाल रहे हैं।
श्री कृष्ण मोहन झा एक समर्पित समाज सेवी हैं। उन्हें मिथिलांचल सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिषद के अध्यक्ष का अध्यक्ष चुना गया है। सामाजिक सांस्कृतिक समारोहों के सफल आयोजन में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका किसी को भी यह सोचने पर विवश कर सकती है कि श्री झा के अंदर एक कुशल प्रबंधक के गुण कूट-कूट कर भरे हुए हैं। बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी श्री झा को पत्रकारिता एवं समाजसेवा के क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा जा चुका है परंतु जो लोग कृष्ण मोहन झा को निकट से जानते हैं उनकी एक ही राय है कि उनकी इतनी सारी उपलब्धियों के बावजूद अभी उनका सर्वश्रेष्ठ सामने आना बाकी है ।