अमेज़न ने फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स और समुदायों के लिये बढ़ाया मदद का हाथ

नई दिल्ली। अमेज़न ने अपने विभिन्न उपक्रमों के माध्यम से कई गैर-सरकारी संगठनों के साथ भागीदारी की है और दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा में कोविड-19 से सबसे अधिक प्रभावित समुदायों और स्वास्थ्यरक्षा कर्मियों को सहयोग के तौर पर हाइजीन किट्स, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण किट्स और किराने का सामान दान किया है। इस दान का वितरण एनजीओ भागीदारों जैसे रीड इंडिया, अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन और इंडिया एसटीईएम फाउंडेशन के माध्यम से क्षेत्र में किया जा रहा है। अमेज़न इन एनजीओ और राज्य के विभागों के साथ निकटता से काम कर रहा है, ताकि क्षेत्र की जरूरत का पता चल सके और दान सबसे जरूरतमंद लोगों तक पहुँचे।

अमेज़न ने दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा में अपने भागीदारों के माध्यम से लगभग 15,000 बेसिक हाइजीन किट्स का दान किया है, जिनमें 3 प्लाइ मास्क, साबुन, हैण्ड सैनिटाइजर्स और N95 मास्क हैं, ताकि स्थानीय समुदायों में वायरस को फैलने से रोका जा सके। कमजोर और वंचित परिवार सोशल डिस्‍टेंसिंग का पालन करें और इस कठिन समय में अपने घर पर ही रहें, यह सुनिश्चित करने के लिये सूखी राशन सामग्री वाली लगभग 2000 बेसिक ग्रॉसरी किट्स का वितरण भी किया गया। इन ग्रॉसरी किट्स से दैनिक वेतनभोगी श्रमिकों, प्रवासी और सूक्ष्म व्यवसाय मालिकों को लाभ हुआ है, जो इस समय उत्तरजीविता के लिये संघर्ष कर रहे हैं।

अमेज़न इंडिया में डायरेक्‍टर-पब्लिक रिलेशंस मिनारी शाह ने कहा, ‘‘हम अपने गठबंधनात्मक प्रयास के साथ समुदायों और देश के लिये मजबूती से खड़े हैं, ताकि कोविड-19 का प्रभाव सीमित हो और इसका फैलाव रूके। अपने सबसे कमजोर समुदायों की सुरक्षा करना हर राज्य के लिये एक चुनौती है जिसमें प्रवासी, स्वास्थ्यरक्षा कर्मी और दैनिक वेतनभोगी श्रमिक शामिल हैं। पूरे देश के एकजुट होने से हम इस चुनौती से उबर पाएंगे और हमारा योगदान महामारी के विरुद्ध एकजुट होने का हमारा तरीका है।’’

इस अवसर पर रीड इंडिया की कंट्री डायरेक्‍टर गीता मल्‍होत्रा ने कहा, ‘‘कोविड 19 के प्रभाव को नियंत्रित करने के लिये अमेज़न की प्रतिबद्धता देखकर हम प्रसन्न हैं। अभी तो सबसे जरूरतमंद लोगों की पहचान करने की जरूरत है, खासकर वे, जो इस समय उत्तरजीविता के लिये संघर्ष कर रहे हैं और हम ऐसे लोगों की पहचान करने के लिये सरकारी निकायों के साथ बिना थके काम कर रहे हैं और अमेज़न के सहयोग से हम उनकी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं।’’

 

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