आज है आंवला नवमी, पुण्य कमाने का है उम्दा दिन

नई दिल्ली। कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन मुख्य रूप से आंवले के वृक्ष का पूजन किया जाता है। यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का पर्व है। इस दिन आंवले के पेड़ का पूजन कर परिवार के लिए आरोग्यता और सुख-सौभाग्य की कामना की जाती है।

आंवला के पेड़ पर देवताओं का वास

मान्यता के अनुसार इस दिन किया गया तप, जप, दान इत्यादि व्यक्ति को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त करता है। आंवला नवमी के दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा जरूर करनी चाहिए। इस दिन आंवला के पेड़ पर देवताओं का वास होता है। इसके साथ ही इस दिन आंवले का पेड़ जरूर लगाना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु जी की कृपा आपके ऊपर बनी रहेगी।

 

आंवला नवमी की कथा

 

एक बार माता लक्ष्मी पृथ्वीलोक पर भ्रमण करने आईं। पृथ्वी पर आने के पश्चात मां लक्ष्मी को श्री हरि भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा एक साथ करने की इच्छा हुई। तब उन्हें स्मरण हुआ कि नारायण की प्रिय तुलसी और भगवान शिव के स्वरूप बैल के गुण आंवले के वृक्ष में होते है। तब लक्ष्मी जी ने सोचा कि जब इस वृक्ष में दोनों का अंश है तो इस वृक्ष की ही पूजा की जाए।

 

शिव व विष्णु का स्वरूप आंवले में

उसके बाद मां लक्ष्मी ने आंवले को ही शिव जी और विष्णु जी का स्वरूप मानकर पूजा की। जिससे प्रसन्न होकर दोनों देव एक साथ प्रकट हुए। तब मां लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर विष्णु और भगवान शिव को खिलाया था। इसी कारण आज भी कार्तिक शुक्ल नवमी के दिन आंवला के पेड़ की पूजा का विधान है।

 

रविवार को नहीं खाएं आंवला

वैसे तो आंवले खाने के बहुत-बहुत फायदे हैं। कहना गलत नहीं होगा कि आंवले गुणों की खान हैं। लेकिन रविवार को इसे नहीं खाएं। ये पाप होगा। ऐसा कार्तिक महापुराण की कथा में कहा गया है।

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