वाकई कश्मीर से हट जाएगी अनुच्छेद 35 ए ?

नई दिल्ली। जम्मू एवं कश्मीर में लागू विवादास्पद अनुच्छेद-35ए को हटाने की उल्टी गिनती शुरू हो गई है।  यह जानकारी शीर्ष सूत्रों ने दी। सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की घाटी की यात्रा से लौटने के दो दिन बाद केंद्र ने राज्य में 10 हजार अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों के जवानों को तैनात करने का फैसला किया है। सूत्रों के अनुसार, डोभाल ने अपने तीन दिवसीय दौरे के दौरान राज्य प्रशासन, पुलिस, अर्धसैनिक बलों, सेना, राज्य और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा की।

सूत्रों ने कहा, “इस बड़ी आकस्मिक योजना में हर प्रकार की छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान रखा जा रहा है। कानून और व्यवस्था की स्थिति कैसे काम करेगी, खुलकर सामने रहने वालों से लेकर भूमिगत रहने वाले अलगाववादी कैडर की प्रतिक्रिया और मुख्यधारा के राजनीतिक नेतृत्व की प्रतिक्रिया भी इसमें शामिल है।” सूत्रों की ओर से बताया गया, “यह स्पष्ट है कि इस अवसर के लिए कोई भी संभावना नहीं छोड़ी जा रही है। आदेश स्पष्ट प्रतीत होते हैं। अनुच्छेद-35ए के उन्मूलन का विरोध करने के लिए एक सार्वजनिक आक्रोश की आड़ में हिंसा और राष्ट्र विरोधी तत्वों द्वारा शांति को बाधित करने का प्रयास हो सकता है। इसे नियंत्रित किया जाएगा, ताकि आम आदमी को कम से कम असुविधा हो।”

सूत्रों का कहना है, “अनुच्छेद-35ए के उन्मूलन के बाद बिगड़ रही कानून-व्यवस्था से निपटने के लिए पूरे ऑपरेशन को नाम भी दे दिया गया है।” घाटी में पिछले तीन दिनों में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) की अतिरिक्त कंपनियों का आना भी शुरू हो गया है। सीएपीएफ को ले जाने वाले विशेष विमान पिछले तीन दिनों के दौरान श्रीनगर हवाईअड्डे पर उतरे हैं, जबकि इन बलों की अतिरिक्त कंपनियों को ले जाने वाले काफिले जम्मू एवं श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के माध्यम से घाटी में पहुंच रहे हैं।

वर्तमान में घाटी में चल रही अमरनाथ यात्रा एवं अन्य सुरक्षा कारणों से सीएपीएफ की 450 कंपनियों में शामिल 40 हजार सैनिक पहले से ही तैनात हैं। इस संख्या में काउंटर इंसर्जेसी (विद्रोह) राष्ट्रीय राइफल्स की ताकत शामिल नहीं है, जो हिंडलैंड में आतंकवाद-रोधी अभियानों को अंजाम देती है और कठिन परिस्थितियों में राज्य पुलिस और सीएपीएफ को सहायता प्रदान करती है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हालांकि एक आदेश जारी करते हुए कहा है कि सेना ‘काउंटर इंसर्जेट ग्रिड’ को मजबूत करने और घाटी में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए होगी। वहीं जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा कि जवानों को उत्तरी कश्मीर में तैनात किया जाएगा जहां सुरक्षा की स्थिति अभी भी है एक चुनौती बनी हुई है।

जानकार सूत्रों का कहना है कि ऐसे तत्व, जो सार्वजनिक रूप से उत्पात मचाने की कोशिश कर सकते हैं, उनकी सूची पहले ही तैयार की जा चुकी है। सूत्रों ने कहा, “इन राष्ट्रविरोधी और असामाजिक तत्वों को प्रतिबंधात्मक हिरासत में लिया जाएगा, ताकि उन्हें उपद्रव करने से रोका जा सके।”

दिलचस्प बात यह है कि राज्य और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों द्वारा तैयार किए गए राष्ट्र-विरोधी और असामाजिक तत्वों की सूची अलगाववादी कैडरों तक ही सीमित नहीं है। सूत्रों ने कहा, “अपने पैरों के नीचे से राजनीतिक जमीन खिसकते हुए देख रहे कुछ स्थानीय राजनेता भी रडार पर हैं, ताकि वे संभावित स्थिति से राजनीतिक लाभ न ले सकें।” श्रीनगर में एक राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान गुरुवार को कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित करते हुए जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्र से सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की प्रतीक्षा करने के लिए कहा था। जहां अनुच्छेद-35ए और अनुच्छेद-370 को चुनौती देने वाली काफी याचिकाएं लंबित हैं।

अब्दुल्ला ने कहा, “आप जल्दी क्यों कर रहे हैं? हम सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान करेंगे, जैसा कि हमने हमेशा किया है।” उन्होंने सरकार से उन अफवाहों पर अपनी स्पष्टता देने को भी कहा जिसमें कहा जा रहा है कि 15 अगस्त के बाद कश्मीर में एक और लंबा संकट देखने को मिलेगा। अब्दुल्ला ने कहा कि नौकरशाह अफवाह फैला रहे हैं और लोगों को राशन, दवाइयां व वाहनों के लिए ईंधन जुटाने को कहा जा रहा है, क्योंकि अनिश्चितता का एक लंबा दौर आने की बात कही जा रही है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां), पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), जम्मू एवं कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (जे एंड केपीएम) और राज्य के सभी क्षेत्रीय दलों ने अनुच्छेद-35ए और 370 के साथ छेड़छाड़ का विरोध किया है। संविधान के इन दोनों अनुच्छेदों में किसी राज्य को विशेष दर्जा देने का प्रावधान है। वहीं इसके उलट भारतीय जनता पार्टी का तर्क है कि यह प्रावधान राज्य के एकीकरण में बाधा बनने के साथ ही जम्मू एवं कश्मीर के विकास में भी बाधा बने हुए हैं।

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