विपक्ष के भी चहेते थे अटल बिहारी

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 25 दिसंबर 2017 को 93 साल के हो गए हैं। उनका जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। उनका व्यक्तित्व और उनकी बातें ऐसी थी कि ना सिर्फ समर्थक, बल्कि उनके विरोधी भी तालियां बजाए बिना नहीं रहते थे।

 

कल्पना चौधरी

आज भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म दिन हैं। वो आज 93 साल के हो गए हैं। कानपुर और राजधानी लखनऊ में सोमवार को उनकी अच्छी सेहत के लिए उनके प्रशंसकों ने हवन का आयोजन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर वाजपेयी को उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएं दी हैं।हवन का आयोजन करने वालों का कहना था कि वो यह हवन पूर्व प्रधानमंत्री के अच्छे स्वास्थ्य के लिए कर रहे हैं। उनके अनुसार, अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे प्रधानमंत्री थे जिनसे हर कोई प्यार करता है फिर चाहे वो विपक्षी पार्टियां ही क्यों न हों। उनके साथ लोगों का वैचारिक मतभेद हो सकता है लेकिन उनके लिए सभी के मन में सम्मान जरूर होता है।
इस मौके पर पीएम ने ट्विटर पर लिखा है कि प्यारे अटल जी को जन्मदिन पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं। उनके नेतृत्व में भारत का विकास हुआ और पूरी दुनिया में हमारा सम्मान बढ़ा। वहीं, दूसरी तरफ सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी उनके जन्मदिन पर अपने निजी ट्विटर अकाउंट से ट्वीट कर उन्हें बधाई दी। उन्होंने लिखा, ‘भारतीय राजनीति के पितामह, करिश्माई नेता, ओजस्वी वक्ता, सुशासन के प्रतिक, सबसे शालीन, शांत, मृदुभाषी, परम आदरणीय भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। मैं ईश्वर से उनके उत्तम स्वास्थ्य एवं दीर्घायु की प्रार्थना करता हूं’।
अटल बिहारी वाजपेयी के पिता पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी उत्तर प्रदेश में आगरा जिले के प्राचीन स्थान बटेश्वर के मूल निवासी थे और मध्य प्रदेश की रियासत ग्वालियर में अध्यापन कार्य करते थे। अटल बिहारी वाजपेयी के पिता अध्‍यापक के अलावा हिन्दी व ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे। उनकी मां का नाम मां का नाम कृष्णा वाजपेयी था।साल 1955 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा, पर सफलता नहीं मिली। अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक रहे हैं, जो बाद में भारतीय जनता पार्टी नाम से राजनैतिक पार्टी बनी। 1968 से 1973 तक अटल बिहारी वाजपेयी जनसंघ के अध्यक्ष रहे और वे जीवन भर भारतीय राजनीति में सक्रिय रहे।
जनता के बीच प्रसिद्द अटल बिहारी वाजपेयी अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे। 13 अक्टूबर 1999 को उन्होंने लगातार दूसरी बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की नई गठबंधन सरकार के प्रमुख के रूप में भारत के प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया। वे 1996 में बहुत कम समय के लिए प्रधानमंत्री बने थे। पंडित जवाहर लाल नेहरू के बाद वह पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो लगातार दो बार प्रधानमंत्री बने।
वरिष्ठ सांसद श्री वाजपेयी जी राजनीति के क्षेत्र में चार दशकों तक सक्रिय रहे। वह लोकसभा (लोगों का सदन) में नौ बार और राज्य सभा (राज्यों की सभा) में दो बार चुने गए जो अपने आप में ही एक कीर्तिमान है। भारत के प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री, संसद की विभिन्न महत्वपूर्ण स्थायी समितियों के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता के रूप में उन्होंने आजादी के बाद भारत की घरेलू और विदेश नीति को आकार देने में एक सक्रिय भूमिका निभाई। श्री वाजपेयी जी अपने छात्र जीवन के दौरान पहली बार राष्ट्रवादी राजनीति में तब आये जब उन्होंने वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन जिसने ब्रिटिश उपनिवेशवाद का अंत किया, में भाग लिया। वह राजनीति विज्ञान और विधि के छात्र थे और कॉलेज के दिनों में ही उनकी रुचि विदेशी मामलों के प्रति बढ़ी। उनकी यह रुचि वर्षों तक बनी रही एवं विभिन्न बहुपक्षीय और द्विपक्षीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने अपने इस कौशल का परिचय दिया।
श्री वाजपेयी जी ने अपना करियर पत्रकार के रूप में शुरू किया था और 1951 में भारतीय जन संघ में शामिल होने के बाद उन्होंने पत्रकारिता छोड़ दी। आज की भारतीय जनता पार्टी को पहले भारती जन संघ के नाम से जाना जाता था जो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का अभिन्न अंग है। उन्होंने कई कवितायेँ भी लिखी जिसे समीक्षकों द्वारा सराहा गया। अब भी वह राजनीतिक मामलों से समय निकालकर संगीत सुनने और खाना बनाने जैसे अपने शौक पूरे करते हैं।
श्री वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में रहने वाले एक विनम्र स्कूल शिक्षक के परिवार में हुआ। निजी जीवन में प्राप्त सफलता उनके राजनीतिक कौशल और भारतीय लोकतंत्र की देन है। पिछले कई दशकों में वह एक ऐसे नेता के रूप में उभरे जो विश्व के प्रति उदारवादी सोच और लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रति प्रतिबद्धता को महत्व देते हैं।
महिलाओं के सशक्तिकरण और सामाजिक समानता के समर्थक श्री वाजपेयी भारत को सभी राष्ट्रों के बीच एक दूरदर्शी, विकसित, मजबूत और समृद्ध राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ते हुए देखना चाहते हैं। वह ऐसे भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं जिस देश की सभ्यता का इतिहास 5000 साल पुराना है और जो अगले हज़ार वर्षों में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है।
उन्हें भारत के प्रति उनके निस्वार्थ समर्पण और पचास से अधिक वर्षों तक देश और समाज की सेवा करने के लिए भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण दिया गया। 1994 में उन्हें भारत का ‘सर्वश्रेष्ठ सांसद’ चुना गया। उद्धरणानुसार:”अपने नाम के ही समान, अटलजी एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय नेता, प्रखर राजनीतिज्ञ, नि:स्वार्थ सामाजिक कार्यकर्ता, सशक्त वक्ता, कवि, साहित्यकार, पत्रकार और बहुआयामी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति हैं”। अटलजी जनता की बातों को ध्यान से सुनते हैं और उनकी आकाँक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करते हैं। उनके कार्य राष्ट्र के प्रति उनके समर्पण को दिखाते हैं।

 

(लेखिका “दस दिन” पत्रिका की संपादक रही हैं।)

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