Harpal ki khabar
नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। सभी जानते हैं कि कर्तव्य की मांग के अनुसार स्त्री अपने आप को ढालने की अद्भुत क्षमता रखती है। स्त्री शिक्षा से सम्बन्धित कोई भी परिवर्तन करना नारी के लिए कठिन होगा लेकिन अस्वाभाविक नहीं है इसका साक्षात प्रमाण हैं ऐल्प्स ब्यूटी क्लिनिक और अकेडमी की फाउंडर सुश्री भारती तनेजा । सौंदर्य और फैशन की दुनिया में भारती तनेजा का नाम प्रशंसित और सम्मानित नामों में से एक है। वह भारत की प्रसिद्ध श्गोल्डन लेडीश् के नाम से जाना जाता हैं, जिन्होंने भारत में गोल्ड फेशियल की पहल की। अपनी विशेषज्ञता और ज्ञान से उन्होंने कई बड़ी हस्तियों की प्रशंसा अर्जित की है। आज वे उन सैकड़ों युवा छात्रों के लिए बड़ी प्रेरणा बन चुकी हैं जो ब्यूटी केयर के क्षेत्र में अपना नाम बनाने के लिए उनके दिखाए मार्ग का पालन करते हैं।
ब्यूटी प्रोफेशन को सम्मान दिलवाया
बचपन से ही खुद का श्रृंगार करना और दूसरों को श्रृंगार करवाने वाले उनके जन्मजात गुण से आस-पड़ोस में सभी परिचित हो चुके थे। वह स्कूल के कार्यों के साथ अपनी सहेलियों, उनकी माताओं और परिवारजनों या अन्य रिश्तेदार महिलाओं की सुंदरता बढ़ाने के लिए अपनी क्रिएटिविटी का प्रयोग करने का कोई मौका नहीं छोड़ती थीं। लेकिन यह सब सीमित तौर पर ही था,क्योंकि तब आज की तरह श्रृंगार को लेकर किसी परिवार में इतनी सहज धारणा नहीं बनी होती थी कि वे अपनी बेटी को इस क्षेत्र में सहजता से आने देते। भारती जी इस संबंध में कहती हैं किष् वैसे भी मैं सिख परिवार से हूं इसलिए मेरा परिवार नहीं चाहता था कि मैं बाल काटने के प्रोफेशन में आऊं और इस पेशे के प्रति बहुत अधिक गंभीर होऊं। लिहाजा भारती जी ने भी समय के साथ टीचिंग लाइन चुनी। मगर मन से कहीं ना कहीं वह तब भी ब्यूटी के प्रति रूझान रखती थीं। दशकों पहले 1988 में, जब उन्होंने सौंदर्य उद्योग में उतरने का फैसला किया, तो उनके लिए यह राह सरल नहीं थी। वे बताती हैं ष् उस समय पेशे से मैं विज्ञान की शिक्षिका थीं लेकिन ‘ब्यूटी’ मेरा पहला प्रेम था। और उसके प्रति मेरा अनुराग दिन पर दिन बढ़ रहा था। बचपन से लेकर उस समय तक भी ब्यूटी प्रोफेशन को लेकर लोगों के मन में बसी धारणाओं में कोई अधिक अंतर नहीं आया था। वह समय ऐसा था जिसमें ब्यूटी रिलेटेड बातों के लिए ब्यूटीशियन से संपर्क किया जाता था और स्किन का कंनसर्न आने पर पेशेवर डर्मेटोलॉजिस्ट से ही संपर्क किया जाता था ।
आसान ना थीं राहें
भारती जी के शुरूआती संघर्ष में , भारती जी के पति को साझेदारी के व्यापार में काफी नुकसान हुआ था जिससे आखिरकार उनको अपना उद्यम छोड़ना पड़ा। ष्वे मुश्किल और संघर्षपूर्ण दिन थे,ष् वह याद करती हैं, ष्मैं दूसरी बार प्रग्नेंट हुई और मेरे पति मेरे स्वास्थ्य के बारे में चिंतित थे लेकिन मेरे दिमाग में तो तब एक छोटे से पार्लर को स्टैब्लिश करने की बात चल रही थी, ष् ऐसा कहते हुए वे विश्वास से भरपूर दिखाई दीं । लेकिन कोई अफोर्डेबल स्पेस अवेलेबल नहीं था , इसलिए मैंने विकासपुरी (पश्चिम दिल्ली)स्थित अपने घर में अपना एक छोटा कमरा एक ब्यूटी पार्लर में बदल दिया। मुझे इसे शुरू करने के लिये मेरी सास से 2000 रूपये मिले थे जिनसे मैंने अपनी ड्रेसिंग मिरर को बदल दिया, एक ट्रंक को एक मेज के रूप में उपयोग करने के लिए सजाया और एक छोटी सी कुर्सी रखी। और इसी तरह मैंने अपने पार्लर को खुद ही शुरू किया मैंने पहले कुछ क्लान्ट्स को छूट की पेशकश की और स्टार्ट-अप को बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली। और एक महीने से भी कम समय में, मैंने अपने साथ एक और कर्मचारी को काम पर रख लिया।
प्रोडक्ट बनाने की शुरूआत
अपने प्रोफेशन में साइटिफिकली आगे बढ़ने के लिए उन्होने 1992 में मेगनेटिक थेरेपी का कोर्स किया और 2000 में आयुर्वेदिक आचार्य की डिग्री ली । इस बीच जब वे बाजार में प्रोडक्ट खरीदने जाती थी तो उन्हें उन प्रोडक्ट्स में सच्चाई दिखाई नहीं देती थी। इसलिए उन्होंने प्रोडकेट बनाने की सोची। अपनी चिर परिचित मुस्कान के साथ भारती जी ने बताया ष् उस समय मैं अपने किचन में ही प्रोडक्ट बनाती थी तो मेरे पति भी मेरे साथ देते थे। धीरे -धीरे उनको इसमें इंटरेस्ट आया तो उन्होने प्रोडक्ट बनाने का बिजनेस अपने हाथ में ले लिया और उसके बाद हम लोग रिसर्च करके प्रोडक्ट बनाने लगे। आज हमारे साथ डाक्टर,केमिस्ट भी शामिल हैं। हर्बस का ज्ञान हमें विरासत में मिला है इसलिए हम आज ज्यादा से ज्यादा सौंदर्य उत्पादों के रूप में हर्बल वस्तुओं को प्राथमिकता देते हैं, इनका इफेक्ट बहुत लंबे समय तक प्रभाव देने वाला होता है।
टेक्नॉलॉजी को शामिल किया
दरअसल हम दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं…मैंने हमेशा अपनी रसोई को सौंदर्य समाधान करने के लिए इस्तेमाल किया था, और मेरे पति इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के हैं ,इसलिए उन्होंने मेरा साथ देते हुए ब्यूटी मशीनों के निर्माण में तब कदम रखा जब हम दुनिया भर में नए विचार ,उत्पाद और टेक्निक को सीखने के लिए विदेश यात्रा करने लगे थे। तब उन्होने खुद ही उन मशीनो को देख कर भारत में बनाने का निर्णय लिया। उन मशीनों को हम उपयोग में लाते हैं और हमारा उदेश्य भी यही है कि वे सचमुच में काम करने के लिए आसान हों और लोगो को फायदा पहुंचाए। और अपने देश के युवाओं को उसका लाभ देने के लिए यहाँ उसका विस्तार शुरू किया। मैं सौंदर्य प्रौद्योगिकी को बढ़ाने के लिए 24 कैरेट के फेशियल, लेजर उपचार, कम्प्यूटरीकृत हेयर स्टाइलिंग और परमानेंट नेल कल्चर जैसी उन्नत प्रौद्योगिकी को अपने देश में ले आई ।
ब्यूटी फॉर आल
भारती जी कहती हैं कि किसी महिला का ब्यूटी पार्लर या क्लिनिक में जाने का मूल उद्देश्य और उम्मीद अद्भुत दिखना है और हर कोई अपनी सुंदरता को बढ़ाना चाहता है। इसलिए ब्यूटी सर्विसेज सभी के लिए उपलब्ध होना चाहिए ,ब्यूटी के रखरखाव की इच्छा रखने वाले कई हैं लेकिव उसको सभी पूरी तरह से एफोर्ड नहीं कर पाते। यही सोच कर मैंने 1989 में अपनी एकेडमी को जब स्टेबलिश किया तो एक निर्णय लिया जिसके तहत हमारी एकेडमी में जो लोग ब्यूटी इनहेंस करने को एफोर्ड नहीं कर सकते वे जीरो पैसे खर्च किए बिना हमारी एकेडमी में आकर अपना फ्री ऑफ कॉस्ट काम करवा सकते हैं क्योंकि ब्यूटी फॉर आल मेरा इनिशिएटिव है। आज कई एन जी ओ और अंधमहाविद्यालयों से जुड़ कर आज ऐल्प्स के स्टूडेंट्स उनके कटिंग और ब्यूटी रिलेटेड काम फ्री ऑफ कॉस्ट करते हैं। इसी तरह कैंसर पेशेंट की परेशानियों को देखते हुए उनके क्लीनिक द्वारा कैंसर पेशेंट्स की परमानेंट आई ब्रो फ्री ऑफ कॉस्ट या 50 परसेंट पर बनाने का निर्णय लिया गया ताकि उनको बीमारी की वजह से दुनिया को फेस करने में कोई प्रॉब्लम ना आए और उनका सेल्फ कॉन्फिडेंस बना रहे। इस बारे में वे आगे कहती हैं कि महिलाओं के सेल्फ कॉन्फिडेंस को बनाए रखने में किसी भी तरह से उनकी मदद कर सकूँ। मैं हमेशा उस चीज को सुंदर बनाने में विश्वास रखती हूं जो दुनिया की नजर में खूबसूरत नहीं है। मुझे एक बार ऐसी ही पीड़िता की व्यथा ने छू लिया जिसने साल 2010 में अपने ऊपर हुए एसिड हमले के बाद अपने घर से बाहर निकलना छोड़ दिया था लेकिन आज वह ऐल्प्स से मिली मेकअप ट्रेनिंग से नए रूप को पाकर फिर से दुनिया के सामने खड़ी हो रही है और उस ट्रेनिंग से अपने पार्लर को आगे बढ़ा रही है । मैंने इसीलिए एसिड अटैक से पीड़ित महिलाओं को उनकी हेल्प करने के लिए चुना है ताकि इनके अंदर का खोया कांफिडेंस लौटे और वे अपने नए अस्तित्व के साथ दुनिया को देखें। गर्व के साथ समाज में अपनी पहचान बना सकें।