नौ नौ पूर्व मुख्यमंत्री भी बह गये मोदी की सुनामी में

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव परिणामों ने साबित कर दिया कि एग्जिट पोल  गलत नहीं थे । सही साबित हुए । तीन सौ के पार भाजपा । कोई विश्वास करने को तैयार नहीं था । गप्प । गाॅसिप । कुछ भी कहा जा रहा था लेकिन ये एग्जिट पोल सही साबित हुए । हरियाणा के दो दो बार मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा सोनीपत में हारे । इसी प्रकार दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित भी मनोज तिवारी से हार गयीं । भोपाल में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के सामने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह भी करारी हार झेलने को अभिशप्त हुए । अब बताइए मध्यप्रदेश में कांग्रेस सत्ता में थी और दिग्विजय मुख्यमंत्री कमलनाथ की पसंद थे । फिर भी जीत नहीं पाए । शीला दीक्षित द्वारा करवाए विकास कार्यों को भी मतदाता ने नकार दिया ।

अब विधानसभा चुनाव जल्द आने वाले हैं और यदि कांग्रेस ने आपसी गुटबाजी से पीछा नहीं छुडाया तो इस चुनाव में भी मौंह की खानी पड सकती है ।

हरियाणा में तो कांग्रेस के वे नेता भी चुनाव हार गये जो मुख्यमंत्री बनने के ख्बाब देख रहे हैं यानी वाया दिल्ली चंडीगढ का रास्ता नहीं निकला । कुलदीप बिश्नोई चौधर हिसार में वापस लाने की बात कर रहे थे लेखिन अपने पिता के किले आदमपुर को भी संभाल नहीं पाए । श्रुति लगातार दूसरी बार चुनाव हारीं और किरण चौधरी की मुख्यमंत्री बनने  की दावेदारी भी कमजोर हो गयी । प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर भी सिरसा से अपनी ही सीट नहीं बचा सके । फिर काहे प्रदेश भर में साइकिल यात्रा करते रहे ? सैलजा भी अम्बाला में बुरी तरह हारीं । रणदीप सुरजेवाला जींद उपचुनाव हारने के बाद कुरूक्षेत्र के मैदान में नहीं उतरे । नवीन जिंदल ने पहले ही हाथ खडे कर दिए थे । हरियाणा में सबसे बडा लडैया दीपेंद्र हुड्डा रहा । जो आखिरी राउंड तक लडा । वह सीट बहुत मुश्किल से निकली । आईएएस बृजेंद्र लोकसभा पहुंच गये बडे अंतर से जीत दर्ज करके जबकि अजय चौटाला के दोनों लाल हार गये । दुष्यंत हिसार की सीट नहीं बचा सके तो दिग्विजय ने उपचुनाव के बाद दूसरी हार झेली । राजनीतिक पारी में जीत कब आएगी ? आप का खाता नहीं खुला और हरियाणा के मुक्केबाज बिजेंद्र दिल्ली में कमाल नहीं कर पाए । कृष्णा पूनिया भी जयपुर ग्रामीण से राज्यवर्धन राठौर से हार गयीं ।

 

कमलेश भारतीय 

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