माणिक सरकार पर भारी पडी मोदी सरकार

नई दिल्ली। उत्‍तर पूर्व के तीन राज्‍यों त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय में वोटों की गिनती जारी है. त्रिपुरा में सीपीएम के पुराने गढ़ को बीजेपी ढाहते हुए शून्य से शिखर तक पहुंचती दिख रही है. यहां पिछली बार एक भी सीट जीतने में नाकाम रही बीजेपी इस बार स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बनाती दिख रही है. बीजेपी गठबंधन ने यहां अब तक 15 सीटें जीत चुकी है, जबकि 26 अन्य पर बढ़त बनाए हैं. वहीं पिछले 25 साल से सत्ता में रही सीपीएम के हाथ से इस बार कुर्सी खिसकती दिख रही है. यहां पार्टी ने अब पांच सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि 13 पर आगे चल रही है. कांग्रेस यहां अब तक अपना खाता भी नहीं खोल पाई है. त्रिपुरा में इन नतीजों से गदगद बीजेपी कार्यकर्ताओं ने अगरतला में जमकर जश्न मनाया.
वहीं नगालैंड में बीजेपी गठबंधन और एनपीएफ गठबंधन के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है. बीजेपी गठबंधन यहां 12 सीटें जीत चुकी है और 17 पर फिलहाल आगे चल रही है, जबकि एनपीएफ गठबंधन 9 सीटों पर जीत और 19 सीटों पर आगे चल रही है. उधर मेघालय में की 59 सीटों में से कांग्रेस ने 13 सीटें जीत ली है, जबकि 9 सीटों पर बढ़त बनाए हुए. उधर एनपीपी ने 15 सीटों पर जीत के अलावा 3 सीटों पर आगे चल रही है. यहां बीजेपी ने महज 2 सीटें हासिल की है.त्रिपुरा में बीजेपी ने काफी आक्रामक रुख में प्रचार किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राज्य में कई रैलियों को संबोधित किया. रैली के दौरान उनके निशाने पर सीधे माणिक सरकार थे. रैली में मोदी ने समझाया था कि त्रिपुरा को अब माणिक नहीं बल्कि हीरा की जरूरत है. उन्होंने HIRA का मतलब भी बताया. मोदी ने कहा कि H मतलब हाइवे, I मतलब आई-वे (I-way), R मतलब रोड, A मतलब एयरवे त्रिपुरा की जरूरत है.

योगी ने खेला एक दांव और BJP जीत गई चुनाव

त्रिपुरा में वामपंथी सरकार को सत्ता से बाहर करने की बीजेपी की कोशिश आखिरकार कामयाब रही. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह समेत कई केंद्रीय मंत्रियों ने त्रिपुरा में रैलियां और सभाएं की.पहले तो कहा जा रहा था कि 25 साल की वामपंथी सरकार को सत्ता से हटाना बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा. क्योंकि 2013 के चुनाव में बीजेपी एक भी सीट नहीं जीत पाई थी.यही वजह थी कि बीजेपी ने यहां अपना ट्रंप कार्ड खेला. राजनीतिक सूत्रों की माने तो चुनाव के शुरूआती दिनों में त्रिपुरा बीजेपी के हाथ से फिसल रहा था. यह देख बीजेपी आलाकमान ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को त्रिपुरा भेजने का फैसला किया.
माना जा रहा है कि योगी यहां ट्रम्प कार्ड साबित हुए. दरअसल, योगी त्रिपुरा में स्टार प्रचारक थे. इसका एक बड़ा कारण यह था कि त्रिपुरा में नाथ संप्रदाय के मंदिर और अनुयायियों की संख्या काफी अधिक है.आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो त्रिपुरा में पिछड़े वर्ग की आबादी करीब 30 प्रतिशत है. इसके अलावा भाजपा की रणनीति अन्य हिंदू समुदायों को अपनी तरफ खींचने की थी. इसमें बीजेपी कामयाब भी हुई.गौरतलब है कि त्रिपुरा में पिछड़ी जातियों के लिए कोटा नहीं है, इसलिए अनुयायी चाहते थे कि उन्हें पिछड़ी जाति का कोटा दिया जाए. नाथ संप्रदाय के इसी मुद्दे को लेकर बीजेपी ने त्रिपुरा में योगी को उतारने का बड़ा दांव खेला और सफल भी हुए.

 

 

 

 

 

 

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