Harpal ki khabar
सिलीगुड़ी। सिलीगुड़ी के सुरताराम नकीपुरिया सभागार में आयोजित पांचजन्य संवाद में वक्ताओं ने बंगाल की ज्ञान परम्परा से गुंडा राज तक के इतिहास का जिक्र करते हुए चिंता जतायी। कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता के रूप में सम्बोधन देते हुए पांचजन्य के सम्पादक हितेश शंकर (Hitesh Shankar) ने कहा की भद्रजनों का बंगाल कैसे वामपंथ शासन के कुचक्र से होता हुआ तृणमूल सरकार (TMC Govt) के कुकर्मों से बर्बाद हो गया ये हम सबके सामने है। बदलाव से ही अब बंगाल की तस्वीर बदल सकती है और यह तभी सम्भव है जब बंग भूमि का प्रत्येक निवासी बांटने की साजिश का प्रतिकार करें।
इस कार्यक्रम में शहर विमोचन शृंखला की दूसरी कड़ी में रास बिहारी (Ras Bihari) की पुस्तकों का हुआ विमोचन किया गया। आरएसएस (RSS) के प्रान्त प्रचारक श्यामा चरण ने सिलसिले वार ढंग से ममता राज में बंगाल की बर्बादी को सामने रखा। मंच पर विभाग संघ चालक कुलक्षेत्र प्रसाद तथा जिला संघ चालक अमिताभ मिश्र विशेष रूप से उपस्थित थे। मंच संचालन आलोक ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में उमड़े सिलीगुड़ी वासियों ने पांचजन्य संवाद के तहत “बंगाल ज्ञान परम्परा से गुंडा राज तक” विषय पर हुई चर्चा को सराहा। बंगाल के सियासी इतिहास पर लिखी गई रास बिहारी की पुस्तकों को उत्साह के साथ खरीदा।
सिलीगुड़ी में शहर विमोचन शृंखला की दूसरी कड़ी में रास बिहारी की पुस्तकों का हुआ विमोचन
वरिष्ठ पत्रकार रास बिहारी की बंगाल की खूनी राजनीति पर लिखी गई पुस्तकें रक्तांचल-बंगाल की रक्तचरित्र राजनीति, रक्तरंजित बंगाल-लोकसभा चुनाव 2019 और बंगाल-वोटों का खूनी लूटतंत्र के शहर विमोचन शृंखला की शुरुआत करते हुए उन्होंने कहा कि इन पुस्तकों में बहुत ही निर्भीकता के साथ तथ्यों को उजागर किया गया गया है। राजनीतिक इतिहास की जानकारी देने के साथ ही राजनीतिक हिंसा के कारणों का उल्लेख किया।
लेखक, पत्रकार और नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स-इंडिया के अध्यक्ष रास बिहारी ने पुस्तकों का विवरण देते हुए कहा कि राजनीतिक हिंसा की बड़ी वजह बंगाल में सत्तारूढ़ रहे दलों द्वारा सत्ता पर काबिज होने के लिये माफिया और सिंडिकेट राज को प्रश्रय देना है। सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस की गुटबाजी में बड़ी संख्या में लोगों की हत्या के पीछे वसूली, सिंडिकेट पर कब्जा, ठेके हड़पने आदि के लिये इलाका दखल की होड़ है। उन्होंने कहा कि बंगाल में राजनीतिक हत्याओं को छिपाने का पहले से सिलसिला चल रहा है। प्रशासन और पुलिस सत्ताधारी दलों के आगे नतमस्तक होकर विरोधी दलों के खिलाफ काम करते हैं। ममता सरकार में राजनीतिक हिंसा तेज़ी से बढ़ी है।