Brainly Survey, एजुकेशनल ऐप्स हैं मददगार

नई दिल्ली। भारतभर के अधिकांश क्षेत्रों में इस समय ग्रीष्मकालीन स्कूल अवकाश चल रहे हैं। इस दौरान दुनिया के सबसे बड़े ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म ब्रेनली ने एक सर्वेक्षण किया और जानने की कोशिश की कि भारतीय स्टूडेंट्स छुट्टियों के लिए मिले होमवर्क को हल करते समय किस तरह की लर्निंग प्रैक्टिसेस अपनाते हैं और किस तरह की चुनौतियों का सामना करते हैं। कुल 1,758 प्रतिक्रियाओं को एकत्रित करते हुए ऑनलाइन सर्वेक्षण भारत के घर से पढञाई और रिमोड स्कूलिंग के परिदृश्य से जुड़े कई दिलचस्प ट्रेंड्स को दर्शाता है।

 

छात्र एजुकेशनल ऐप्स और ऑनलाइन संसाधनों पर करते हैं Trust


यह पूछे जाने पर कि किन विषयों में सबसे ज्यादा मदद की जरूरत है, एक तिहाई छात्रों ने गणित (33%), उसके बाद अंग्रेजी (17%) और विज्ञान (15%) को चुना। इस पृष्ठभूमि में उल्लेखनीय रूप से 77 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे अपने छुट्टियों के होमवर्क को लेकर अपने प्रश्नों को हल करने और शंकाओं को दूर करने एजुकेशन ऐप्स को मददगार पाते हैं। यह नतीजा बताता है कि स्टूडेंट के जीवन में इस तरह के प्लेटफॉर्म की भूमिका कितनी बढ़ चुकी है।

सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि स्टूडेंट्स छुट्टियों के लिए मिले अपने  होमवर्क में मदद पाने के लिए ब्रेनली और उसके जैसे अन्य ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म (28%) का उपयोग कर रहे हैं। सूचना के डिजिटल स्रोतों पर भरोसा करने के लिए छात्रों की बढ़ती प्राथमिकता भारत के के-12 एजुकेशन पैराडाइम में चल रहे बड़े बदलावों को उजागर करती है। यह बदलाव पारंपरिक रूप से उपयोग किए जाने वाले होरिजोंटल, रटकर सीखने के बजाय ज्ञान तक पहुँचने और साझा करने के लिए अधिक डाइनामिक, उत्तरदायी और समुदाय के नेतृत्व वाले समाधानों की ओर एक कदम है।

स्टूडेंट्स  पैरेंट्स की मदद लेने के बजाय साथियों के साथ Discussion करना पसंद करते हैं

 

अधिकांश (67%) स्टूडेंट्स ने स्वीकार किया कि वे छुट्टियों का होमवर्क करने के लिए अपने साथियों की मदद लेते हैं या सहयोग करते हैं, जबकि उनमें से 58% ने कहा कि उन्होंने इसके लिए अपने पैरेंट्स की मदद ली। विचारों पर चर्चा करने और शैक्षिक समस्याओं को हल करने के लिए अपने साथियों, दोस्तों और सहपाठियों के साथ मिलकर काम करने को उत्तरदाताओं ने प्राथमिकता में रखा है। यह बताता है कि जब बात लर्निंग की आती है तो युवा दिमाग आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहे हैं। इस ट्रेंड को डिजिटल कनेक्टिविटी टूल और ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म की आसान उपलब्धता और त्वरित पहुंच का श्रेय दिया जा सकता है जो इस तरह के सहयोग को सक्षम और बढ़ावा देते हैं।

 

भारतीय स्टूडेंट्सआइसोलेशन को दूर करने के लिए साथियों के साथ डिजिटल रूप से जुड़ना पसंद करते हैं

लोगों की मानसिक और संज्ञानात्मक क्षमता पर महामारी के प्रभाव को देखते हुए, इस बात में कोई आश्चर्य नहीं है कि 70% युवा छात्रों ने दावा किया कि उन्हें लॉकडाउन में अपने छुट्टियों के होमवर्क को करना तनावपूर्ण लगा। महामारी-प्रेरित आइसोलेशऩ और महामारी के संकट के साथ-साथ भौतिक सेटिंग में अपने साथियों और सहपाठियों के साथ सामूहीकरण करने के अवसरों की कमी को इसका कारण माना जा सकता है। यह फेक्टर साझा चुनौतियों से पार पाने के लिए साथी स्टूडेंट्स के समान विचारधारा वाले समुदाय के साथ डिजिटल रूप से जुड़ने और सहयोग करने के लिए छात्रों की बढ़ती प्राथमिकता में भी योगदान दे सकता है।

 

ब्रेनली के मुख्य प्रोडक्ट ऑफिसर  राजेश ब्यासनी ने कहा, “हमारे सर्वेक्षण का उद्देश्य महामारी के मद्देनजर भारत के स्कूली शिक्षा परिदृश्य में विकसित हो रहे ट्रेंड्स को पकड़ना है। यह ट्रेंड एक अधिक लचीले दृष्टिकोण की ओर संभावित बदलाव का संकेत देते हैं जो छात्रों, अभिभावकों और विशेषज्ञों के बीच नॉलेज-शेयरिंग के आधार पर पीयर-टू-पीयर मॉडल के साथ कक्षा के बाहर पारंपरिक शिक्षा का पूरक है। ”

Leave a Reply

Your email address will not be published.