राशन किट कूपन कलर निकलवा लाओ! ये क्या सिस्टम है?

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार के ‘मुख्यमंत्री कोरोना राहत मुफ्त राशन किट’ कूपन के लिए मोबाइल पर जो मैसेज आया है, उसका प्रिंट आउट लेने के लिए लोग चक्कर काट रहे हैं, तिसपर राहत किट बांटने वाले केंद्रों पर मौजूद लोगों की यह फरमाईश कि-कूपन का ब्लैक एंड व्हाइट नहीं, कलर प्रिंट आउट होना चाहिए, गजब ढा रहा है। एक तो लाॅकडाउन की वजह से ज्यादातर दुकानें बंद पड़ी हैं, जो खुली है उनमें कईयों के पास कलर प्रिंट आउट की सुविधा नहीं है मगर प्रिंट आउट को लेकर लोग इधर-उधर मारे फिर रहे हैं। जो स्थानीय जन वितरण प्रणाली दुकानों या राहत शिविरों में अपना किट प्राप्त करने पहुंच रहे हैं, उनसे यही कहा जा रहा है कि-‘‘पहले राशन किट कूपन कलर में निकलवा लाओ, फिर आना।’’

गौरतलब है कि जब उपभोक्ताओं के मोबाइल पर इसकी सूचना आ जाती है तो क्यों नहीं, केवल मैसेज (इलेक्ट्रानिक प्रूफ) देखकर ही तथा किसी रजिस्ट्रर में उनसे हस्ताक्षर कराकर किट बांटने की व्यवस्था बनाई जा सकती है? क्या यह सरकारी अथवा आधिकारिक आदेश है, जिसका पालन करना अनिवार्य है? क्या मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्वयं यह आदेश जारी किया हैं? क्योंकि इसे लेकर कई केंद्रों पर बहस के दौरान लोगों को पुलिस की लाठियां भी खानी पड़ रही है। कलर प्रिंट आउट के लिए परेशान किट पाने वाले तो यह भी कहते देखे-सुने गए कि-कलर प्रिंट आउट के लिए कहीं स्थानीय प्रिंटर से कोई सांठ-गांठ तो नहीं है? सरकार के नुमाइंदों को इस ओर ध्यान देना चाहिए।

दूसरी बात यह है कि खाद्य आपूर्ति विभाग से 15 मई 2020 को राशन कार्डधारियों के मोबाइल पर मैसेज आया कि उन्हें अप्रैल माह का, 16 मई से एक किलो चना दाल मिलेगा। मगर जब अपने जन वितरण केंद्रों पर कार्डधारी पहुंचने लगे तो कहा गया कि-दाल की आपूर्ति से पहले ही यह सूचना दे दी गई है जबकि दाल की खेप आई ही नहीं है। यह आपको अब अगले महीने ही मिल पाएगा। लोगों ने जब इस बारे में केंद्रों के मालिकों से बहस की तो उन्हांेने कहा कि- जाओ, जहां मर्जी हो शिकायत कर दो। हेड आॅफिस एफएसओ से जाकर दाल या राशन मांग लो।

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