सीजेआई ने यौन प्रताड़ना के आरोपों को किया खारिज

नई दिल्ली। कुछ वेबसाइट्स पर सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला कर्मचारी के हवाले से चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन प्रताड़ना की खबर प्रकाशित होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आज अवकाश के दिन भी उस मामले पर सुनवाई की। आरोप चीफ जस्टिस के खिलाफ था, इसलिए उन्होंने कोई आदेश पारित करने से अपने आपको अलग कर लिया। उन्होंने कहा कि इस मामले पर अगले हफ्ते दूसरी बेंच सुनवाई करेगी, जिसके सदस्य वे खुद नहीं होंगे। कोर्ट ने यौन प्रताड़ना के आरोपों का सिरे से खंडन किया।

बेंच के दूसरे सदस्य जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस संजीव खन्ना ने मीडिया से जिम्मेदारीपूर्वक काम करने को कहा। कोर्ट ने कहा कि हम मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक नहीं लगा रहे हैं लेकिन उम्मीद करते हैं कि मीडिया तथ्यों को जांचे बगैर इस तरह न्यायपालिका को निशाना बनाने वाले फर्जी आरोप नहीं छापेगा। कोर्ट ने कहा कि हम मीडिया पर छोड़ते हैं कि वे न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बरकरार रखें। हम कोई न्यायिक आदेश नहीं पारित कर रहे हैं।

जब कोर्ट ने सुनवाई शुरू की तो चीफ जस्टिस ने कहा कि शिकायत करने वाली महिला की पृष्ठभूमि आपराधिक है। उसके खिलाफ कई केस दर्ज हैं, जिसकी वजह से वह चार दिन जेल में बंद थी। यह अविश्वसनीय है। चीफ जस्टिस ने कहा कि मेरे रिटायरमेंट का समय नजदीक है और मेरे बैंक खाते में 6 लाख 80 हजार रुपये हैं। उन्होंने कहा कि मेरे चपरासी के पास हमसे ज्यादा संपत्ति है। इसमें हमें साजिश नजर आती है। हमें जवाब देने के लिए महज 10 घंटे का समय दिया गया।

हम देश के नागरिकों से कहना चाहते हैं कि इस देश में न्यायपालिका पर खतरा है। मैं इस कोर्ट में रहूंगा और बिना डर के अपने कार्यकाल पूरा होने तक अपनी जिम्मेदारी निभाऊंगा। चीफ जस्टिस ने कहा कि वे अगले हफ्ते कुछ महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करने वाले हैं, इसलिए उनकी छवि को खराब करने की कोशिश की जा रही है। चीफ जस्टिस ने कहा कि कोर्ट के सभी कर्मचारियों के साथ अच्छा व्यवहार होता है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले को गंभीरता से लेने की जरूरत है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि चीजें बहुत आगे निकल गई हैं। न्यायपालिका को बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता है। तब तुषार मेहता ने कहा कि जो भी छापा गया वो बकवास है। तब चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि वे हमें पैसे के मामले में नहीं पकड़ सकते हैं, इसलिए ये मामला लेकर आए हैं।

अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि मैं इस कोर्ट का अधिकारी हूं और सरकार का पक्ष रखने की वजह से हमारे ऊपर भी हमले होते हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि कोई भी समझदार व्यक्ति जज होना क्यों चाहेगा? जजों के लिए उसकी छवि ही सब कुछ होती है और उस पर हमला किया जा रहा है। अटार्नी जनरल ने कहा कि कोर्ट ने कहा कि हम कोई न्यायिक आदेश नहीं देने जा रहे हैं। हम मीडिया से कहना चाहते हैं कि वो समझदारी और जिम्मेदारीपूर्वक काम करे ताकि बेबुनियाद आरोपों से न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर आंच नहीं आए। तब तुषार मेहता ने कोर्ट ने कहा कि हमारे नाम से आप शिकायत दर्ज कराइए लेकिन कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया।

दरअसल कुछ वेबसाइट्स ने सुप्रीम कोर्ट में काम करनेवाली एक पूर्व जूनियर असिस्टेंट के हवाले से खबर छापी है कि उसने पिछले 19 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के 22 जजों को पत्र लिखकर चीफ जस्टिस पर यौन प्रताड़ना का आरोप लगाया है। खबर के मुताबिक 10 और 11 अक्टूबर, 2018 को उसके साथ छेड़छाड़ की गई।

खबर के मुताबिक उस महिला को 21 दिसम्बर को बर्खास्त कर दिया गया। बर्खास्तगी का एक कारण ये बताया गया कि उसने बिना मंजूरी मिले ही एक दिन का कैजुअल लीव ले लिया था। इसे लेकर उसके परिवार वालों को भी दिल्ली पुलिस द्वारा काफी प्रताड़ित किया गया। इस खबर के छपने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आज की ये आपात सुनवाई की।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published.