बिहार में ‘‘फ्रूट सर्कुलर इकोनॉमी’’ की मजबूत शुरूआत के लिये एक पहल

नई दिल्ली। तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कनार्टक, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में उन्नति मध्यस्थताओं की सफलता के बाद कोका-कोला इंडिया ने आज देहात, नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन लीची (एनआरसीएल) और केडिया फ्रेश के साथ मिलकर बिहार में उन्नति लीची को लॉन्च किया है। यह पहल उच्च घनत्व वाले पौधारोपण, कृषि की अच्छी पद्धतियों (जीएपी) के लिये किसानों के प्रशिक्षण और उपयुक्त प्रौद्योगिकी मध्यस्थताओं के माध्यम से नमूने के बागों के निर्माण के आधार पर कृषि महत्व श्रृंखला की क्षमता बढ़ाने और किसानों की क्षमता निर्माण पर लक्षित है।

इस पहल का शुरूआती चरण बिहार के मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर और वैशाली जिलों में लॉन्च किया गया, जो राज्‍य में लीची की खेती के बड़े केन्द्र हैं। उगाने से लेकर पैकेजिंग तक संपूर्ण महत्व श्रृंखला को संजोने वाले उन्नति लीची का लक्ष्य 80,000 से अधिक किसानों को मौजूदा बागों के पुनर्जीवन, लगभग 3000 एकड़ के पुराने और जीर्ण खेतों को तरोताजा करने और लीची का उत्पादन दोगुना करने के लिये उच्च घनत्व वाले पौधारोपण जैसी आधुनिक तकनीकों की पेशकश पर शिक्षित और प्रशिक्षित करना है।

कोका-कोला इंडिया, देहात, नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन लीची (एनआरसीएल) और केडिया फ्रेश ने ‘‘उन्नति लीची’’ को लॉन्च करने के लिये भागीदारी की

इस परियोजना की घोषणा प्रबुद्ध व्यक्तित्वों की उपस्थिति में हुई, जैसे बिहार के कृषि मंत्री श्री प्रेम कुमार, देहात के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी शशांक कुमार, एनआरसीएल के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एस. डी. पांडे, केडिया फ्रेश के चेयरमैन आर. के. केडिया, कोका-कोला इंडिया में फ्रूट सर्कुलर इकोनॉमी के वाइस प्रेसिडेन्ट असीम पारेख और इश्तियाक अमजद- वाइस प्रेसिडेन्ट, पब्लिक अफेयर्स, कम्युनिकेशंस एंड सस्टैनेबिलिटी, कोका-कोला इंडिया एंड साउथ वेस्ट एशिया।

देहात के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी शशांक कुमार ने कहा, ‘‘लीची बिहार की एक हेरिटेज फसल है और हमारे किसान साल दर साल इस फसल के उत्‍पादन में गिरावट का अनुभव कर रहे हैं। किसानों के लिए उच्‍च मूल्‍य वाली फसल होने के कारण लीची उनकी आजीविका में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाती है। हमारा लक्ष्‍य किसानों को पारंपरिक विधियों से हटकर आधुनिक कृषि पद्धतियों पर प्रशिक्षित करना है, जिसके लिये उन्हें संपूर्ण सहयोग, प्रशिक्षण और संबद्ध कृषि तकनीकों से अवगत कराया जाएगा। हमें विश्वास है कि इस परियोजना से कोका-कोला के जुड़ने से आवश्यक पैमाना और उत्कृष्ट प्रबंधन मिलेगा।’’

कोका-कोला इंडिया अपने अनूठे गुणों के लिये प्रसिद्ध लीची की किस्मों – शाही और चीना का उत्पादन बढ़ाने के लिये परियोजना क्रियान्वयन भागीदार देहात (ग्रीन एग्रीवोल्यूशन प्रा. लि.) के साथ निकटता से काम करेगा। केडिया फ्रेश मुजफ्फरपुर में नमूने का अत्याधुनिक बाग बनाने में अपनी विशेषज्ञता का प्रयोग करेगा और प्रमुख प्रौद्योगिकी भागीदार नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर लीची, मुजफ्फरपुर (एनआरसीएल) लीची की खेती के लिये संपूर्ण मानक परिचालन विधियों (एसओपी) को विकसित करेगा और परियोजना की समय अवधि के दौरान उनका क्रियान्वयन सुनिश्चित करेगा।

इश्तियाक अमजद – वाइस प्रेसिडेन्ट, पब्लिक अफेयर्स, कम्युनिकेशंस एंड सस्टैनेबिलिटी, कोका-कोला इंडिया एंड साउथ वेस्ट एशिया ने कहा, ‘‘हम देश के विभिन्न फलों के लिये अच्छी कृषि पद्धतियों (जीएपी) को बढ़ावा देने के लिये प्रतिबद्ध हैं। लीची की खेती बिहार में सबसे अधिक होती है और इस कारण इस राज्य की बड़ी आबादी को रोजगार मिलता है। हम अपने फल-आधारित पेयों के माध्यम से स्थानीय आधार पर उगने वाले फलों की मांग निर्मित करना, देश की कृषि-पारिस्थितिकी में निवेश करना और उन्नति परियोजनाओं के माध्यम से सीधे किसानों के साथ काम करना जारी रखेंगे, हम किसानों की आय बढ़ाने और उनके रहन-सहन का स्तर ऊँचा उठाने के लिये उनकी मदद करते रहेंगे।’’

कोका-कोला इंडिया में फ्रूट सर्कुलर इकोनॉमी के वाइस प्रेसिडेन्ट असीम पारेख ने कहा, ‘‘भारत दुनिया में लीची का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत में लीची की खेती में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी बिहार और पश्चिम बंगाल की है। बिहार लीची का सबसे बड़ा उत्पादक है। लीची की खेती की पारंपरिक पद्धति के अलावा आधुनिक प्रौद्योगिकी और जीएपी को अपनाने से बिहार में लीची का उत्पादन दोगुना हो सकता है। बिहार में उन्नति लीची उस दिशा में एक विनम्र, लेकिन महत्वपूर्ण प्रयास है।’’

उन्नति लीची के माध्यम से उत्पादनशीलता की बढ़त इस फल की स्थानीय मुख्तारी को गति दे सकती है, जिससे इस राज्य में हॉर्टिकल्चर की पारिस्थितिकी को बल मिलेगा। यह परियोजना किसानों को जरूरी अवसंरचना तक पहुँच भी देगी, जैसे उच्च उपज वाला प्लांटिंग मटेरियल और आधुनिक पैकेज ऑफ प्रैक्टिसेस (पीओपी), जिससे लीची की खेती आकर्षक हो जाएगी।

कोका-कोला इंडिया और उसके भागीदार भारत की फ्रूट सर्कुलर इकोनॉमी के विकास के लिये 1.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश कर मजबूत महत्व श्रृंखलाओं के निर्माण के मार्ग पर बढ़ रहे हैं। बिहार में प्रोजेक्ट उन्नति लीची की शुरूआत के बाद यह पहल पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे राज्यों में भी होगी।

 

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