न्यायपालिका की प्रतिष्ठा बर्बाद करने में कांग्रेस हर हद पार कर जाती है : मोदी

प्रयागराज। राफेल मुद्दे पर केंद्र सरकार को कथित तौर पर क्लीन चिट मिलने के बाद भी कांग्रेस द्वारा मोदी सरकार को निशाने पर लेने के जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को यहां कहा कि न्यायपालिका की प्रतिष्ठा बर्बाद करने के लिए कांग्रेस सिर्फ बल का ही इस्तेमाल नहीं करती है, बल्कि वह छल, कपट, प्रपंच, धूर्तता की हर हद पार कर जाती है। कुंभ के लिए 4048 करोड़ रुपये की 366 परियोजनाओं का लोकार्पण करने आये प्रधानमंत्री ने कहा, “न्यायपालिका को लेकर इस पार्टी की कार्य संस्कृति रही है कि जब शासन में होते हैं तो लटकाने का काम करते हैं और जब विपक्ष में होती है तो धमकाने का कार्य करती है।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “हाल ही में हमने देखा कि कैसे उन्होंने (कांग्रेस) न्यायपालिका के सर्वोच्च न्यायिक व्यक्ति के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की कोशिश की। जजों को डराने, धमकाने की ये कोशिश उनकी पुरानी सोच का हिस्सा है। इनके एक नेता के केस की सुनवाई कर रहे जज से पूछा गया था कि क्या वह नहीं चाहते कि उनकी पत्नी करवा चौथ मनाए। ये धमकी नहीं तो क्या है।” मोदी ने कहा कि ये लोग (कांग्रेसी) हर संस्था को बर्बाद करने का प्रयास करने के बाद अब लोकतंत्र की दुहाई दे रहे हैं। लेकिन इनका प्रयास, इनकी साजिशें बार-बार यह साबित कर रही हैं कि ये स्वयं को देश, लोकतंत्र, न्यायपालिका और यहां तक कि जनता से भी ऊपर समझते हैं।

प्रधानमंत्री ने लोगों से कांग्रेस से सतर्क रहने की अपील करते हुए कहा, “इनका इतिहास जितना स्याह है, वर्तमान उतना ही कलंकित। इन्हें और इनके सहयोगियों को न देशवासियों से मतलब है, न देश से और न ही देश की आर्थिक, सांस्कृतिक समृद्धि से। इन्हें खास मौकों पर ही संस्कृति याद आती है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा, “न्यायपालिक उन संस्थाओं में से एक रही है जो इस पार्टी (कांग्रेस) से डटकर और निरंकुश तरीकों के खिलाफ खड़ी रहती है। इस बात को प्रयागराज और यूपी के लोगों से बेहतर कौन जान सकता है कि कांग्रेस को न्यायपालिका पसंद नहीं है। देश वह दिन नहीं भूल सकता जब प्रयागराज के हाईकोर्ट ने सत्य एवं संविधान का साथ देकर इनको (इंदिरा गांधी) संसद से बेदखल कर दिया।”

मोदी ने कहा, “उन्होंने लोकतंत्र को ही समाप्त करने की कोशिश की और देश पर आपातकाल मढ़ दिया। यहां तक कि देश का संविधान भी बदल डाला गया। कोशिश तो यहां तक हुई कि न्यायपालिका से चुनाव याचिका पर सुनवाई का अधिकार छीन लिया जाए। उनकी यही प्रवृत्ति रही है कि जो संस्था झुकती नहीं उसे तोड़ने की कोशिश की जाती है। यह उनकी सामंती सोच है जो उन्हें निष्पक्ष संस्थाओं को बलपूर्वक बर्बाद करने को उकसाती है।”

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