नई दिल्ली। यूनिसेफ तथा आईएलओ ने आज कहा है कि अब चूंकि कोविड-19 नामक महामारी का जबरदस्त तरीके से प्रसार हो रहा है, इसलिए आवश्यक है कि बच्चों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए काम करने वाले परिवारों को सहायता उपलब्ध कराई जाए। आज नौकरियां जा रही हैं, विद्यालय बंद हैं तथा बच्चों की देखभाल की सेवाओं की अनुपलब्धता के चलते परिवारों, विशेषत: कम आय वर्ग के परिवार, को अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता है।
यूनिसेफ के चीफ ऑफ अर्ली चाइल्डहुड डॉ. पीया रेबेलो ब्रिटो का कहना है कि, “इस महामारी के परिणामस्वरूप जाने वाली नौकरियों, लंबे समय तक चलने वाले दबाब तथा मानसिक स्वास्थ्य में आने वाली गिरावट का असर परिवार लंबे समय तक महसूस करेंगे।” उनका कहना है कि, “संकटग्रस्त अधिकांश बच्चों के मामले में पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा प्रणाली का अभाव है, जिसकी वजह से उनका संकट के प्रति जोखिम बहुत ज्यादा है।”
यूनिसेफ ने आज जारी अपनी नई प्राथमिक अनुशंसाओं में नियोक्ताओं से अनुरोध किया है कि वे अपने कारोबारी निर्णयों का उनके कामगारों के परिवारों पर पड़ने वाले प्रभाव पर विचार करें एवं जहां तक संभव हो सामाजिक सुरक्षा को सहायता प्रदान करें।
यूनिसेफ तथा आईएलओ ने सरकारों से आह्वान किया है कि वे विशेषत: संकटग्रस्त परिवारों के लिए सामाजिक सुरक्षा के उपायों को को और अधिक मजबूती प्रदान करें। सरकारें नियोक्ताओं को सहायता प्रदान करें ताकि वे अपने कर्मचारियों को रोजगार तथा आय दे सकें साथ ही जिनकी नौकरी चली गई है उन्हें वित्तीय सहायता संबंधी गारंटी दे सकें ।
मेनुएला टोमेई, आईएलओ की डायरेक्टर ऑफ कंडीशन ऑफ वर्क एंड इक्वलिटी डिपार्टमेंट, का कहना है, “सरकारों, कामगारों तथा नियाक्ताओं एवं उनके प्रतिनिधियों के बीच सामाजिक संवाद एवं विचार-विमर्श आवश्यक है। यदि इन उत्तरों को प्रभावी तथा लंबे समय तक चलने वाला बनना है तो आवश्यक है कि ये आपसी विश्वास तथा वृहद अनुभव पर आधारित हों।”
परिवारों के अनुकूल नीतियां तथा प्रथाएं, जिनमें रोजगार एवं आय की सुरक्षा, परिवार के सदस्यों के लिए सवेतन छुट्टी, कार्य करने की लचीली व्यवस्थाएं तथा गुणवत्ता तक पहुंच, बच्चों की देखभाल की आपातकालीन सुविधाएं परिवर्तन लाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। इससे कामगार अपने स्वयं की तथा अपने बच्चों की देखभाल करने में सक्षम होंगे एवं कामगारों की उत्पादकता और सुरक्षा का भाव बढ़ेगा।
भारत में यूनिसेफकी प्रतिनिधिडॉ.यास्मिन अलीहक का कहना है,“यूनिसेफ इंडिया कार्यस्थल में परिवार के अनुकूल नीतियों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। इस बात के व्यापक प्रमाण हैं कि अत्यंत चुनौतीपूर्ण औरकठिन समय में, कर्मचारियों और उनके परिवारों और समुदायों के कल्याण के लिए किए गए निवेश का व्यवसायों की सफलता पर आगे जाकर बड़ा ही सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इन कठिन परिस्थियों में हम निजी क्षेत्र में अपने साझेदारों के साथ मिलकर ऐसी नीतियों और प्रथाओं को बढ़ावा देनेके लिए काम कर रहे हैं जो कर्मचारियों और/या श्रमिकों को अधिक आसानी से कार्य-जीवन में संतुलन बनाने के साथ उन्हें अपने काम और पारिवारिक दायित्वों दोनों को पूरा करने में सक्षम बना सकें।”