Covid Appropriate Behaviour : अभी नहीं मिलेगी मास्क से छुट्टी, नियमों का पालन करें


पिछले डेढ़ साल से देश कोरोना के रौद्र रूप का सामना कर रहा है। संक्रमण शारीरिक व मानसिक रूप से तोड़ देता है। इससे बचाव बहुत हद तक आपके पास है। यदि आप डॉक्टरों की थोड़ी-सी मदद करें तो कोरोना का संक्रमण कम किया जा सकता है। यानी आप और समाज, इस घातक बीमारी से बचे सकते हैं। कोरोना की दूसरी लहर में भारत के 624 डॉक्टर्स (आईएमए के अनुसार) अपनी जान गंवा चुके हैं। महामारी के दौर में सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन को अपनाएं। देखा जा रहा है कि जिन लोगों ने वैक्सीन लगवा ली है वह लापरवाह हो गए है, उन्हें लगता है कि वैक्सीन लगवाने के बाद कोरोना अनुरूप व्यवहार का पालन करना जरूरी नहीं, जबकि ऐसा नहीं है, आप वायरस के वाहक हो सकते हैं। संभव है कि क्योंकि आपने वैक्सीन लगवा रखी है आपको वायरस प्रभावित नहीं करेगा, लेकिन जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवा रखी उन्हें आपके जरिए गंभीर संक्रमण हो सकता है। कोरोना की पहली व दूसरी लहर का तांडव आपने देखा है। आगे क्या हो सकता है। उम्मीद है इसका बेहतर पूर्व अनुमान लगाया जा सकता है।

सरकारी गाइडलाइंस के अनुसार मास्क (MASK )पहनने से कोरोना की जंग को जीता जा सकता है, लेकिन आज भी लोग पुलिस और प्रशासन के डर के कारण मास्क पहनते हैं। कभी मास्क आड़ा या तिरछा होता है या कभी कान पर लटका होता है। गाइडलाइंस के अनुसार एएन95 या दो लेयर का पहनना है जो नाक से शुरू हो ढोड़ी को कवर करें, पर कुुछ लोग इसे नहीं अपनाते। आड़ा-तिरछा मास्क पहनकर गाइडलाइंस की खानापूर्ति करते हैं। मास्क पहनने से गर्मी लगती है कुछ तो यह बहाना बताकर मास्क पहनते ही नहीं हैं। कुछ लोग मास्क का सही तरह से न तो निस्तारण करते हैं और न ही धोते हैं। गंदे सर्जिकल मास्क को खुले में कहीं भी फेंक देते हैं। वे भूल जाते हैं कि गंदा मास्क बैक्टीरिया व वायरस का घर होता है। जान लें कोरोना के खिलाफ जंग हमें अपने स्तर भी लड़नी है। आप जानते हैं कि इस माहौल में अपनी और अपनों की इफाजत करना नितांत जरूरी है। इसके लिए पहल तो आपको ही शुरू करनी होगी।

आंकड़े बताते हैं कि संक्रमण की गति अब धीमी हो गई है। आप पूरी तरह से गलत हैं। संक्रमण कम होने के बाद भी कोरोना की गाइडलाइंस का पालन करें। समय-समय पर हाथ धोते रहें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, भीड़-भाड़ से बचें। वैक्सीन का मतलब यह नहीं कि आप बिंदास और आजाद हैं। कहीं भी जाए और कुछ भी करें। याद रहे कि डॉक्टर आपकी सेवा के लिए हैं पर जहां तक संभव हो हम बीमारी नहीं होने दे। यह कोशिश तो कर सकते हैं। जान लें यह नाजुक समय है। हमेशा डॉक्टर की सेवा मिले यह मुमकिन नहीं।

इस समय लोगों को खुद अपना डॉक्टर बनना पड़ेगा। आप कोरोना प्रोटोकॉल को अपनाते हैं। यह सोचकर अपनों के घर भी जाते हैं। शायद वो यह सोचकर संक्रमण से बचाव की अधिक हिदायत नहीं अपनाते कि हम तो घर ही रहते हैं हमें संक्रमण कैसे हो सकता है। लेकिन ना जानें कौन वायरस साथ लेकर घूम रहा हो और आप विश्वास के फेर में कोरोना संक्रमित हो जाएं और आपसे यह संक्रमण कितनी तेजी से दूसरों में फैलेगा। खबर है कि कुछ लोग तो इतने लापरवाह हैं कि कोरोना गाइडलाइंस मानो भूल ही गए हों। अपने खालीपन को दूर करने के लिए इस दौर में भी छिपते-छिपाते घर में गेट टू गेदर कर रहे हैं। डॉक्टर्स आपको स्वास्थ्य सेवा देने के लिए हैं। इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं कि आप कुछ भी करें। गौरतलब यह है कि कोरोना काल में मरीज ज्यादा और डॉक्टर कम पड़ रहे हैं।

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