भारत के घर-घर में हो रहा है ‘निर्णय जनतंत्र’ का प्रसार

नई दिल्ली। ‘इंटेरिओ इंडेक्स ‘1 के हाल ही के नतीजों में यह पाया गया है कि घर के लिए फर्नीचर पसंद करने में हर तीन में से एक से अधिक (36.3%) भारतीय परिवारों में घर के बच्चों की राय जरूर ली जाती है। भारतीय घरों में फर्नीचर और सजावट के निर्णय ‘जनतांत्रिक’ अर्थात सभी सदस्यों की राय लेकर लिए जाने के आंकड़ें इस प्रकार हैं – डाइनिंग और लिविंग रूम्स फर्नीचर के निर्णय सबसे अधिक प्रतिनिधिक होते हैं 38.8%, उसके बाद बेडरूम्स फर्नीचर के बारे में 34.8% घरों में प्रतिनिधिक निर्णय लिए जाते हैं और सबसे कम प्रतिशत पर रसोईघर 28.3% है।

गोदरेज इंटेरिओ के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर श्री. अनिल माथुर ने ‘इंटेरिओ इंडेक्स’ के ‘गणतंत्र दिन ‘ विशेष संस्करण का वर्णन करते हुए कहा कि भारतीय परिवारों की निर्णय व्यवस्था का यथार्थ चित्र इसमें दिखाई देता है। “जनतांत्रिक व्यवस्था की मूल कल्पना – अंतिम निर्णय में सहभागी होना – का पालन मतदान बूथ के साथ-साथ घर परिवार में भी होना महत्त्वपूर्ण है। घर वो जगह होती है जहाँ हम उन सभी तत्वों और विचारों की परीक्षा लेते हैं जिन्हे आगे चलकर सामाजिक जीवन में आचरण में लाया जाता है। इंटेरिओ के नए संस्करण में सुस्पष्ट रूप से दिखाई देता है भारतीय घरों में जनतांत्रिक मूल्यों का प्रसार हो रहा है, बुजुर्गों से लेकर बच्चों तक हर एक सदस्य निर्णय प्रक्रिया में शामिल हो रहा है।

उन्होंने यह भी सूचित किया कि भारतीय घरों में जनतांत्रिक मूल्यों के अनुसार निर्णय लिए जाने की अगुवाई मिलेनियल्स ने की है। सर्वेक्षण में पाई गई जानकारी के अनुसार 54.3% मिलेनियल्स का मानना है कि निर्णय सामूहिक प्रक्रिया से लिए जाने चाहिए, जिसमें परिवार के हर एक सदस्य की राय ली जाए। सर्वेक्षण में सहभागी होनेवालों में 35 और 45 के बीच आयु के लोग 47.6% 45 और 55 के बीच आयु के 39.1% और 55 साल के ऊपर के 35.4% थे।

सर्वेक्षण से जानकारी मिलती है कि भारतीय घरों में बुजुर्ग पीढ़ी के लोग अपने बच्चों की राय किड्स रूम तक ही सीमित रखना पसंद करते हैं, 35 से कम उम्र के लोगों में 34% और उससे कम उम्र के 27.3% लोग ऐसा करते हैं।

श्री. माथुर ने आगे बताया कि, “हमें मिली जानकारी के अनुसार भारत की युवा पीढ़ी यह मानती है कि घर में बच्चों सहित हर एक सदस्य को फर्नीचर की ख़रीददारी और घर में उसे कहां कैसे रखने के बारे में अपने-अपने विचार प्रकट करने की आजादी होनी चाहिए। हर पांच में से करीबन एक मिलेनियल माता-पिता (19.3%) सभी फर्नीचर के मामले में अपने बच्चों की राय हमेशा लेते हैं। इनमें 35 से अधिक उम्र के लोग केवल 17.4% हैं। वास्तव में 5.4% मिलेनियल्स कहते हैं कि बैडरूम और लिविंग रूम के लिए कौन सा फर्नीचर खरीदना है और उसे कहां पर रखना है इसका निर्णय तो उनके बच्चें ही करते हैं।”

उन्होंने कहा कि, “निर्णय प्रक्रिया में घर के बच्चों के विचारों के प्रभाव का बढ़ना ख़रीददारी में महत्त्वपूर्ण और ‘जनतांत्रिक’ परिवर्तन लेकर आ रहा है। घर की सजावट के फैसलें बच्चों की राय से लिए जाने की नई व्यवस्था की शुरुआत भारतीय घरों में हो रही है।”

“घर के फर्निशिंग्स की ख़रीददारी पर बच्चों के विचारों का बढ़ता प्रभाव भारतीय परिवारों में रिश्तों में हो रहे परिवर्तन को भी दर्शाता है। पारिवारिक रिश्तें भी ‘जनतांत्रिक’ बनते जा रहे हैं। एक ब्रैंड होने के नाते हम यह सुनिश्चित करते हैं कि एकसाथ मिलकर लिए जानेवाले निर्णयों को मद्देनजर रखते हुए घर के हर एक सदस्य की पसंद और जरूरतों के अनुसार हम कुछ न कुछ नया पेश करते रहे।”

बहुतांश भारतीय मानते हैं कि गणतंत्र दिन हर एक नागरिक की सबलता का महत्त्व उजागर करने का दिन है। आज भारतीय घरों में – खास कर उन घरों में जहाँ के सबसे बुजुर्ग सदस्य मिलेनियल हैं – परिवार के हर एक सदस्य को निर्णय प्रक्रिया में सहभागी करवाया जाता है। सर्वेक्षण के नतीजों का सारांश बताते हुए श्री. माथुर ने कहा कि, “कम से कम सजावट और फर्निशिंग्स के मामले में भारतीय घरों में ‘जनतंत्र’ का प्रसार हुआ है!”

Leave a Reply

Your email address will not be published.