मेट्रो रेल के प्रबंधन में दिल्ली सरकार की कोई रुचि नहीं

Anupam Swaraj

नई दिल्ली। मेट्रो रेल में केंद्र और दिल्ली सरकार की 50:50 भागीदारी है। दिल्ली मेट्रो के प्रबंधन में दिल्ली सरकार की अहम भूमिका होती है। 16 सदस्यीय मेट्रो बोर्ड में भी मेट्रो के 6 पूर्णकालिक निदेशकों के अलावा केंद्र और दिल्ली सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर पाँच पाँच निदेशक हैं। लेकिन दिल्ली मेट्रो की सालाना रिपोर्ट से मिली हैरान करने वाली एक जानकारी अत्यंत ही चिंताजनक है। इन तथ्यों से मेट्रो रेल के प्रति दिल्ली सरकार की गंभीरता उजागर होती है।
पिछले दो वित्त वर्षों में दिल्ली मेट्रो के प्रबंधन के लिए बनी अहम कमिटियों की 15 बैठकें हुई हैं। इनमें से 14 बैठकों में दिल्ली सरकार के प्रतिनिधि उपस्थित भी नहीं रहे हैं। वित्त वर्ष 2015-16 में ऑडिट कमिटी, प्रॉपर्टी डेवलपमेंट कमिटी, रेमयुनेरेशन कमिटी और ऑपरेशन एवं मेंटेनेंस की कुल 8 बैठकें हुई। इन महत्वपूर्ण बैठकों में से सिर्फ़ 1 बैठक में दिल्ली सरकार के प्रतिनिधि अपनी हाज़िरी लगा पाये। इसी तरह वर्ष 2016-17 में ऑडिट कमिटी, प्रोपर्टी डेवेलपमेंट और ऑपरेशन एवं मेंटेनेंस कमिटी की कुल 7 बैठकें हुई हैं। दुर्भाग्य की बात है कि इनमें से एक भी बैठक में दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिकारी उपस्थित नहीं थे। सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को दुरुस्त करने की चिंता तो दूर, अपने बेहतरीन कार्यपद्दत्ति के लिए मशहूर दिल्ली मेट्रो जैसे संस्थान को भी बर्बाद करने की योजना चल रही है।
आम जनता को गुमराह करने के लिए “मेट्रो हमें दे दो। हम चलाकर दिखाएंगे।” जैसे फिल्मी डायलॉग मारने वाले मुख्यमंत्री का दिल्ली मेट्रो के प्रति रवैय्या अब उजागर हो गया है। अपने हिस्से का काम करने में अगर दिल्ली सरकार की इतनी ख़राब स्थिति और परिणाम है तो किस मुँह से मुख्यमंत्री केजरीवाल दिल्ली मेट्रो के बारे में आज बड़ी बड़ी बातें करते हैं? क्या इसी लापरवाही, अगंभीरता और कामचोरी के कारण पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली मेट्रो के उच्च स्तर में गिरावट आई है? क्या मेट्रो रेल पर ध्यान न देने का एक कारण राजधानी दिल्ली में ओला उबर को बढ़ावा देना है? ऑटो परमिट के मामले में भी यह दिखा कि दिल्ली सरकार 10 हज़ार ऑटो परमिट को किसी न किसी बहाने से लगातार रोकते रही जब तक कि दिल्ली हाई कोर्ट सख्त नही हुई। क्या मेट्रो के प्रति ऐसा रवैया इसलिए है ताकि निजी परिवहन, फाइनेंसर्स और ओला उबर को फायदा हो? स्वराज इंडिया के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता और दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अनुपम ने बुधवार को कहा कि दिल्ली सरकार ने पिछले ढाई वर्षों में मेट्रो रेल को लावारिस छोड़ दिया था जिसका दुर्भाग्यपूर्ण नतीजा हुआ कि दिल्ली मेट्रो के उच्च स्तर और कामकाज में भारी गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने अपने कार्यकाल में दिल्ली मेट्रो के प्रबंधन में कोई रुचि नहीं ली है। स्वराज इंडिया ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मेट्रो के प्रति दिल्ली सरकार के ढीले रवैये पर इन सवालों के जवाब माँगे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.