1-वैसे क्लासिकल डेंगू सामान्य तौर पर प्राणघातक नहीं होता । किंतु दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में यही वायरस हिमोरेजिक (रक्त स्रावी) डेंगू के लक्षण उत्पन्न करता है जो जीवन के लिए काफी घातक है।
2- डेंगू को मनुष्य से मनुष्य तक पहुंचाने वाला मच्छर एडीज इजिप्टी गंदी नालियों में नहीं साफ जल में अंडे देता है और पार्कों आदि के घास में भी निवास करता है। और दिन में ही अपने शिकार की तलाश में रहता है।
3- डेंगू संक्रमितों के रक्त में प्लेटलेट काउंट बहुत तेजी से कम होने लगता है । यही संख्या डेढ़ लाख से घटकर जब 30,000 के नीचे जाने लगती है तो पीड़ित व्यक्ति की स्किन पर छोटे छोटे काले धब्बे बनने लगते हैं जो छोटी रक्तवाहिनियों के फट जाने के कारण होता है । प्लेटलेट काउंट कम हो जाने के कारण कारण शरीर के किसी भी कुछ भी नहीं है रंध्र से रक्त स्राव शुरू हो सकत है जो कभी-कभी मृत्यु का कारण भी बनता है ।
4- जगह ,परिस्थितियों और अलग- अलग व्यक्ति के इम्यूनिटी और ससेप्टिबिलिटी के अनुसार इसके लक्षणों एवं प्रभाव में भिन्नता देखी जा सकती है।
5- डेंगू की एक एपिडेमिक से दूसरे एपिडेमिक के बीच 2 से 3 साल का अंतराल मिलता है। बाकी समय यहां वहां इक्का-दुक्का डेंगू के केस देखे जाते हैं ऐसा एपिडेमिक के समय मिलने वाली इम्यूनिटी के कारण होता है।
6- डेंगू को फैलाने वाले एक दूसरे से मिलते जुलते इस एंटीजन के 4 स्ट्रेन हैं जिसमे से किसी एक द्वारा संक्रमित होने के बाद आदमी कम से कम 1 साल के लिए इम्यूनिटी प्राप्त कर लेता है।
इनक्यूबेशन पीरियड
5 से 14 दिन तक। यह वह समय होता है जिसमें संक्रमित मच्छर द्वारा काटे जाने के बाद मनुष्य शरीर में आया हुआ वायरस अपनी कॉलोनी को इतना बढ़ाता है कि संक्रमित व्यक्ति के अंदर विभिन्न लक्षण उत्पन्न होने लगें। लक्षण उत्पन्न होने के बाद यह रोग 1 से 10 दिन तक बना रहता है।
सावधानियां
किसी रोग से भयभीत होने से ज्यादा जरूरी उससे पूरी तरह लड़ने के लिए तैयार हो जाया जाय। कुछ सावधानियां बरत कर हम डेंगू से संक्रमित होने से बच सकते हैं।
1- जैसा कि हम जानते हैं कि यह मौसम मच्छरों के प्रजनन के लिए बहुत ही सहयोगी है । इसे ध्यान में रखकर हर संभव प्रयास करना चाहिए कि बरसात का जल घर के भीतर अथवा बाहर किसी बर्तन अथवा गड्ढे में लगातार कुछ दिनों तक इकट्ठा ना रह पाए।
2- यदि घर के आस-पास जलजमाव हो रहा हो और उसका निस्तारण तुरंत संभव ना हो तो किसी प्रभावी इंसेक्टिसाइड का छिड़काव करवाना चाहिए।
3- जैसा कि हमें पता है कि यह मच्छर पाकुर ऑफिसर और घरों में भी दिन के समय निकलने में कोई परहेज नहीं करता। अतः हम ऐसे वस्त्रों का प्रयोग करें जिससे शरीर का ज्यादा हिस्सा ढका रहे ।
4- शरीर के खुले अंगों पर दिन के समय किसी अच्छे मच्छर रोधी क्रीम अथवा तेल का प्रयोग लेपन के लिए किया जा सकता है । बन तुलसी के तेल की कुछ बूंदे ही इस कार्य को सफलतापूर्वक पूरा कर देती हैं।
5- रात में मच्छरदानी का प्रयोग अवश्य किया जाय ।दिन में घर, कम्युनिटी हॉल ,स्कूल ,ऑफिस इत्यादि
में दिन के समय भी मॉस्किटो रिपेलर्स का प्रयोग सुनिश्चित किया जाय।
6- पौष्टिक आहार और योग व्यायाम के प्रयोग से अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखा जाय।