गर्मियों में डायबिटीज मरीज को सावधान रहने की जरूरत

 

नई दिल्ली। गर्मियों के मौसम में डायबिटीज जैसी गंभीर स्थितियों के प्रबंधन में कठिनाई हो सकती है। भीषण गर्मी से ब्लड ग्लुकोज के स्तर में बेहद उतार चढ़ाव होते हंै। इसके अलावा, इससे डिहाइड्रेशन या निर्जलीकरण और थकावट भी हो सकती है। यदि पर्याप्त सावधानी न बरती जाये तो इससे हीटस्ट्रोक हो सकता है, जो एक जानलेवा कंडीशन है और जिसके लिए चिकित्सा सहायता की आवश्यकता पड़ती है। गर्म मौसम में डायबिटीज या मधुमेह पीड़ित लोगों के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि उनका रक्त शर्करा का स्तर अचानक बढ़ने या गिरने लगता है, जिससे हाइपोग्लाइसेमिया या हाइपरग्लेसेमिया हो जाता है। इसे और गर्मी के कारण होने वाली थकान के लक्षणों को समझ कर, समय पर जरूरी उपाय करने से जटिलताओं को रोका जा सकता है।

भारती हाॅस्पिटल करनाल के कंसल्टेंट एंडोक्राइनोलाॅजिस्ट एवं साउथ एशियन फेडरेशन ऑफ एंडोक्राइन सोसाइटीज के वाइस प्रेसीडेंट, डॉ. संजय कालडा ने कहा कि दोनों प्रकार की डायबिटीज – टाइप 1 और टाइप 2 से, गर्मी में तापमान वृद्धि को समायोजित यानी एडजस्ट करने की शरीर की क्षमता घट जाती है। मधुमेह से जुड़ी एक जटिलता है तंत्रिका क्षति या नर्व डेमेज, जो पसीने की ग्रंथियों समेत शरीर के लगभग हर अंग को प्रभावित कर सकती है, जिससे शरीर को ठंडा रखने में मुश्किल आती है। एक अन्य मुद्दा निर्जलीकरण का है। डायबिटीज से शरीर पानी को तेजी से खोता जाता है। उचित हाइड्रेशन न होने पर, इससे रक्त शर्करा का स्तर बढ़ सकता है, जिससे मूत्र अधिक आता है। ये सभी स्थितियां हानिकारक हैं। उच्च तापमान में, आपके शरीर की इंसुलिन की आवश्यकता भी बदलती है। ऐसे में, ब्लड ग्लूकोज का परीक्षण अक्सर ही कराते रहना चाहिए और उसके हिसाब से इंसुलिन की मात्रा को एडजस्ट करना चाहिए।’

डाॅ संजय कालडा ने कहा कि मधुमेह के प्रबंधन में शारीरिक गतिविधि बहुत अधिक महत्वपूर्ण है, लेकिन बहुत तेज धूप या गर्मी होने पर बाहर निकलना घातक हो सकता है।उन्होंने कहा कि सुबह या शाम को तापमान कम होता है, तभी व्यायाम करने की कोशिश करें। सुनिश्चित करें कि बाहर निकलते समय आपकी त्वचा पर सनस्क्रीन लगी हो, क्योंकि सनबर्न से रक्त शर्करा का स्तर बढ़ सकता है। अधिक पसीना, सिर में भारीपन, अस्थिरता को गर्मी के कारण होने वाली थकान समझने की भूल न करंे, क्योंकि ये सब लोअर ब्लड ग्लूकोज के संकेत हो सकते हैं और इनकी जांच होनी चाहिए। इंजेक्शन साइट बुद्धिमानी से चुनें। तेज धूप और पसीने वाली स्थितियों में जाने से बचें। इसका कारण यह है कि गर्मी के कारण रक्त वाहिकाओं के आकार में वृद्धि हो सकती है, जिससे इंसुलिन की खपत बढ़ जाती है और फिर कम रक्त शर्करा का खतरा बढ़ जाता है।’

कार्बोहाइड्रेट सेवन का अपना हिसाब रखें और ऐसे खाद्य पदार्थों को खाने के लिए चुनें जिनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम हो, जैसे कि हरी सब्जियां। उच्च-कैलोरी वाले और अधिक मिठास वाले पेयों, जैसे कोला और डिब्बाबंद जूस आदि से दूर ही रहें। मधुमेह के रोगियों में एक चीज से दूसरी चीज का खतरा बढ़ता है। केवल समग्र प्रबंधन से ही जटिलताओं को काबू में रखा जा सकता है।

कुछ सुझाव

कैफीन और अल्कोहल वाले ड्रिंक्स न लें। इनसे न केवल शरीर में पानी की कमी होती है, बल्कि रक्त शर्करा के स्तरों में भी बढ़ोतरी होती है।
शारीरिक सक्रियता से पहले, उसके दौरान और उसके बाद अपने रक्त ग्लूकोज की जांच करें। आपको अपने इंसुलिन उपयोग में बदलाव की आवश्यकता हो सकती है।
ढीले ढाले, हल्के वजन के और हल्के रंगों के वस्त्र पहनें।
नंगे पांव न चलें। यदि समय पर जांच न हो पाये तो एक छोटा सा इन्फेक्शन भी घातक हो सकता है।
इंसुलिन अथवा डायबिटीज की दवाओं को सूरज की किरणों से बचा कर रखें।
यदि आप यात्रा कर रहे हैं, तो इंसुलिन व अन्य दवाइयां एक कूलर में रखें। हालांकि, इन्हें सीधे बर्फ पर या जैैक पैक में न रखें।

 

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