डाॅक्टरों की हडताल की गूंज

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। पश्चिमी बंगाल में जूनियर डाॅक्टर से मारपीट के बाद उसके समर्थन में शुरू हुई हडताल देश भर में फैल गयी । इससे भाजपा और विपक्ष को बैठे बिठाए ममता बनर्जी के खिलाफ मुद्दा माल गया । यहां तक कि कोर्ट ने भी दीदी को फटकार लगाई कि एक सप्ताह के भीतर इस मामले को हल करो ।
डाॅक्टर को भगवान् का दूत कहा जाता है और मां और भगवान् के बाद डाॅक्टर ही रक्षक होता है लेखिन इन दिनों डाॅक्टर्ज के साथ जिस तरह का व्यवहार किया जाता है , उससे समाज बुरी तरह प्रभावित हो रहा है । इससे पहले मुम्बई के एक अस्पताल में जूनियर डाॅक्टर पायल को सीनियर डाॅक्टर्ज द्वारा इतना परेशान किया गया कि उसने आत्णहत्या ही कर ली । यह मामला भी मीडिया में छाया रहा । अभी इसी तरह का भामला रोहतक पी जी आई में भी घटित हुआ है और एक जूनियर डाॅक्टर ने सीनियर से प्रताडित किए जाने पर प्राण दे दिए । ऐसा क्यों ?
कोलकाता में एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में डॉक्टरों से मरीज के परिजनों द्वारा मारपीट की घटना के बाद प्रदर्शन शुरू हुआ था।
पश्चिम बंगाल में आंदोलनकारी चिकित्सकों ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बेशर्त माफी मांगने की मांग की और चार दिनों से चल रहे अपने आंदोलन को वापस लेने के लिए राज्य सरकार के लिए छह शर्तें तय की। इंडियन मेडिकल ऐसोसिएशन (आईएमए) ने पश्चिम बंगाल में आंदोलनरत डॉक्टरों के प्रति एकजुटता जताते हुये शुक्रवार से तीन दिन के राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन के साथ सोमवार 17 जून को हड़ताल का आह्वान किया है। दिल्ली में कई सरकारी और निजी अस्पतालों के डॉक्टरों ने काम का बहिष्कार कर मार्च किया और नारेबाजी की। डॉक्टरों के एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से भी मुलाकात की।
एम्स, सफदरजंग अस्पताल, डॉ राममनोहर लोहिया अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन, यूनाइटेड रेजिडेंट एंड डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (यूआरडीए) तथा फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (एफओआरडीए) के एक प्रतिनिधिमंडल ने हर्षवर्धन से मुलाकात की और पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा पर उन्हें एक ज्ञापन दिया। पश्चिम बंगाल में कनिष्ठ चिकित्सकों के जारी हड़ताल के प्रति एकजुटता व्यक्त करने के लिए महाराष्ट्र में करीब 4500 रेजिडेंट डॉक्टरों ने शुक्रवार को एक दिन की हड़ताल की। ‘महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स’ (एमएआरडी) ने कहा कि राज्य के सरकारी अस्पतालों के कनिष्ठ चिकित्सक शुक्रवार सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक सर्जरी नहीं करेंगे या बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) नहीं जाएंगे। हैदराबाद और तेलंगाना के अन्य जगहों में भी प्रदर्शन किए गए।  जयपुर में भारतीय चिकित्सा परिषद (आईएमए) के आह्वान पर राजस्थान में चिकित्सकों ने शुक्रवार को सांकेतिक विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। अनेक जगह पर चिकित्सकों ने काली पट्टी लगाकर व काले हेलमेट पहनकर रोगियों को देखा। रायपुर समेत छत्तीसगढ़ के अनेक जिलों में जूनियर डॉक्टरों ने शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन किया। डॉक्टरों ने विरोधस्वरूप काले फीते बांधे चिकित्सकों पर हमले के विरोध में शुक्रवार को उत्तराखंड में डॉक्टरों ने ड्यूटी के दौरान काले बैज पहने।
इंडियन मेडिकल असोसिएशन (आईएमए) के राज्य सचिव डी डी चौधरी ने बताया कि प्रदेश भर के डॉक्टरों ने कोलकाता में एनआरएस मेडिकल कॉलेज में असामाजिक तत्वों द्वारा चिकित्सकों पर किए गए हमले के विरोध में काले बैज पहनकर अपनी डयूटी की। उत्तर प्रदेश में सरकारी डॉक्टरों ने शुक्रवार को विरोधस्वरूप काले फीते बांधकर काम किया । कोलकाता में प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों के समर्थन में प्रदेश के डॉक्टरों ने काले फीते बांधे । चंडीगढ़ में पीजीआईएमईआर के 1200 से ज्यादा रेजिडेंट डॉक्टरों ने घटना के विरोध में प्रदर्शन किया । कोयंबटूर में भी 100 से ज्यादा डॉक्टरों ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
डाॅक्टर्ज के हाथ में वार्ड में अनेक केस बडे नाजुक भी होते हैं । यदि उनकी देखरेख बंद हो जाए या कुछ समय हडताल में निकल जाए तो प्राण जाने का खतरा भी हो सकता है । क्या अपने अधिकार की लडाई डाॅक्टर्ज किसी और तरह से नहीं लड सकते ? इससे कितने ही अभिभावक परेशान होंगे । यह कोई मीडिया नहीं दिखाता । वैसे तो हिसार तक के डाॅक्टर्ज ने प्रदर्शन किया है । अपने अधिकारों के लिए लडने के तौर तरीके बदलने होंगे । जैसे रोडवेज कर्मचारी चक्का जाम कर देते हैं और आमजन सरकार व कर्मचारियों के बीच पिस कर रह जाता है । कभी बिजली कर्मचारी भी ऐसे ही बिजली गुल का नारा देते थे । ये सही विरोध नहीं । यह शिक्षित समाज है और जापान की तरह ज्यादा काम कर विरोध जताना ज्यादा सही होगा । हम तो सब कुछ अव्यवस्थित करने को ही प्रदर्शन मानते हैं । कृपया तौर तरीके बदलिए और आम आदमी की सुध लीजिए ।

– सुभाष चंद्र 

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