कांग्रेस को जीवनदान कौन देगा ?

कमलेश भारतीय

आपातकाल की स्मृति फिर आई। वे जेलों की डायरियां, काल कोठरियां, ज्यादतियों की यादें। नाखून कैसे उखाड़ दिए गए। सब याद है। अब तो भाजपा नेता अरुण जेटली इंदिरा गांधी को हिटलर कहने से नहीं चूके और प्रधानमंत्री मोदी भी वंशवाद और एक ही परिवार की दुहाई देते रहे।
सवाल यह है कि मात्र ढाई वर्ष में कौन कांग्रेस को सत्ता में लाया? इंदिरा गांधी को फिर सिंहासन क्यों सौंप दिया जनता ने? क्या किया जनता पार्टी ने? सत्ता की भूख ही थी जो चौधरी चरण सिंह को सताई। फिर विश्वासमत का सामना किए बगैर ही त्यागपत्र भी दे दिया। क्यों? जयप्रकाश नारायण के संघर्ष को भूल सत्ता का सुख ही कांग्रेस को जीवनदान दे गया।
अब फिर वही कांग्रेस है। कांग्रेस मुक्त भारत का नारा है और अहंकार है। वंशवाद की बात करना उपहास का पात्र बनना है । किस पार्टी में नहीं वंशवाद?
आपातकाल को कोर्स में पढ़ाने की सोच रहे हैं केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर। पहले अपने दल को कमजोरियों से मुक्त कर लीजिए, फिर कोर्स में लगा लेना। जम्मू-कश्मीर में कौन विफल रहा? भाजपा या पीडीपी या दोनों? महबूबा मुफ्ती ने यही कहा कि भाजपा हर मुद्दे पर साथ थी ।
सन् 2019 के चुनाव को देखते हुए आपातकाल की याद बडी सुहानी लगती है । मीडिया पर क्या अघोषित आपातकाल नहीं लगा हुआ? हर संस्था को पिंजरे का तोता नहीं बना दिया गया? फिर किस आपातकाल की याद दिला रहे हो?
आपातकाल के सबक बहुत हैं। हर दल के लिए। बस सबक कौन ले? यही सवाल है।

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