नई दिल्ली। 15 फरवरी के बाद से भारत के सभी टोल प्लाजाओं पर बने कैश लेन बंद कर दिए जाएंगे। साल 2016 में शुरू हुआ FASTag सेवा अब सभी चार पहिया वाहनों के लिए जरुरी हो गया है। ऐसा इसलिए ताकि टोल पर वाहनों की आवाजाही बिना रुकावट के हो और किसी वाहन और अधिक समय तक टोल पर रुकना ना पड़े। हाल में हुए प्रेस कॉन्फरेंस में सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा कि, आने वाले 2 सालों के अंदर भारत ‘टोल नाका मुक्त’ हो जाएगा।
गडकरी ने ASSOCHAM फाउंडेशन वीक में इसकी जानकारी दी। । ASSOCHAM फाउंडेशन वीक के दौरान, एक वेबिनार को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा “भारत अगले दो वर्षों में ‘टोल नाका मुक्ता’ बन जाएगा, सरकार ने देश भर में वाहनों की बिना रुकावट आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए GPS आधारित टोल संग्रह को लगभग अंतिम रूप दे दिया है।
इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह सिस्टम यानि FASTag वाहनों/ट्रकों के लिए टोल खर्चे मैनेज करने हेतु वॉलेट के रूप में काम करता है। FASTag को सख्ती से लागू करने के पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य है कि, टोल प्लाजाओं पर वाहनों की आवाजाही बिना रुकावट हो और वो तभी संभव हो सकेगा जब कैश भुगतान ना होकर टोल प्लाजाओं पर होने वाले सभी भुगतान FASTag से हों।
मंत्रालय के टोल नाका मुक्त की बातों को पूरा करने के लिए तकनीक और टोल नाका के इंफ़्रा में तेजी लाना होगा। जिसके लिए जीपीएस और टेलीमैटिक्स कंपनियों, आईटी कंपनियों और वाहन मालिकों के बीच बेहतर तालमेल की जरुरत होगी। हमारी चुनौतियां सिर्फ इसे लागू करने में तेजी लाना नहीं है, बल्कि लागू करने का स्केल भी है।
WheelsEye के प्रवक्ता सोनेश जैन ने कहा कि, GPS आधारित टोल संग्रह सिस्टम लागू हो जाने से देशभर के ट्रक मालिकों को फ्यूल/डीजल खरीद पर काफी बचत होगा। हमारा टारगेट समस्या के जड़ तक जाना है यानि साफ़ साफ़ अगर कहें तो हमें टोल पर ट्रक या अन्य वाहनों की रुकावटें को कम करना है। कैश का उपयोग करने से टोल लेनदेन मुश्किल से 30 सेकंड से 1 मिनट तक होता है लेकिन असल समस्या तब होती है जब टोल की कतार में वाहनों की लंबी कतार लग जाती है। एक टोल बूथ पर ओवरऑल ठहराव 5 से 10 मिनट का होता है। औसतन, एक लंबी दूरी तय करने वाला ट्रक दिनभर में लगभग 10 टोल प्लाजा पार करता है। यदि टोल पर बिना रुकावट वाहनों की आवाजाही जमीनी स्तर पर लागू हो जाती है, तो प्रत्येक यात्रा में ट्रक चालकों को कम से कम एक घंटे की बचत होगी और साथ ही डीजल की बर्बादी से भी राहत मिलेगी। इस नई प्रणाली के साथ ट्रक मालिक समय और पैसे दोनों की जबरदस्त बचत कर पाएंगे। ”