पद्मावती हमारे राज्य में न आना 

लीजिए संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती को मध्य प्रदेश,  राजस्थान और पंजाब में प्रदर्शन के लिए द्वार बंद कर दिए गए । शिवराज सिंह चौहान ने तो पद्मावती को नयी उपाधि दे डाली और स्मारक बनाने की घोषणा भी कर डाली । अब तक शिवराज सिंह चौहान जी कहां थे ? पहले कभी पद्मावती की इतनी चिंता क्यों नहीं सताई ?
राजस्थान में तो पद्मावती का प्रदर्शन कैसे होगा ? चितौडगढ किला ही पर्यटकों के लिए बंद कर दिया तो फिल्म के लिए सिनेमाघर कैसे खोल देंगे ? यह बात तो साफ है कि जब चितौडगढ का किला है तो कोई राजा रानी भी रहते होंगे । यह निरा मलिक मोहम्मद जायसी का महाकाव्य ही नहीं है । सच्चाई भी रही होगी । मीडिया चैनल पर बहस में इसे मात्र जायसी की कल्पना माना जा रहा है ।
मैं इतिहासकार नहीं , न फिल्म निर्देशक । बस , खाली बैठे या तो अखबार पढता हूं या फिर टी वी पर फिजूल की चिल्ल पौं के शो । बहस दर बहस । कोई किसी की सुनता नहीं । सब सुनाने आते हैं । इसी चक्कर में समय बीत जाता है । ये बहस के शो बंद नहीं हो सकते क्या ? कोई आर पार कर रहा है तो कोई नम्बर वन शो बताता है पर सिवाय चीख चीख कर दूसरों को बोलने से रोकते देखता हूं तब यही दुआ करता हूं कि ये शो बंद हो जाएं ।
पद्मावती पर चल रहे विवाद पर फिल्म जगत को एकजुट होकर सामने आना चाहिए । इस तर। फिल्म पर राजनीति के हाबी होकर जाना , कोई शुभ संकेत नहीं । पहले उडता पंजाब पर शोर मचा । अब पद्मावती संकट में है । इतिहास से , या किसी के सम्मान से खिलवाड़ हुआ या नहीं ? इसका फैसला कैसे होकर ? प्रसून जोशी भी स्क्रीनिंग से नाराज हो गए हैं । फिल्म की रिलीज टल गयी लेकिन विवाद नहीं थमा । क्यों ? चुनाव तक यह आग सुलगाने का विचार हैं क्या ?
फिल्म निर्माण के लिए जोखिम ही जोखिम हैं । भंसाली प्रस्ताव फिल्म निर्माण के दौरान ही हमले होने लगे थे । सैट तोड़ गये । हाथापाई की गयी । फिर भी फिल्म बना कर ही रहे । अब रिलीज अटकी हैंं । जनवरी में रिलीज हो सकती है लेकिन किसे दिखाएं ? कहां दिखाएं ? कि फिल्म को सर्टिफिकेट मिल जाए । वर्ना अलग अलग राज्य बिना फिल्म देखे बैन तो लगाए ही जा रहे हैं । ममता ने जरूर ममता दिखाई और सिद्थरमैया भी आगे आए हैं पर राजनीति किसी अच्छी फिल्म को डिब्बाबंद कर जायेगी क्या ?
कमलेश भारतीय

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