इस आग में बहुत धुआं है

जब माहौल चुनाव का हो, तो बात का राई से पहाड बनना मुश्किल नहीं होता है। चुनावी माहौल में कुछ भी संभव हो। झारखंड विधानसभा चुनाव में जब चुनाव अपने पूरे शबाब पर हो और नव निर्मित आधुनिकतम कहे जाने वाले विधानसभा भवन में आग लग गए, करोडों का नुकसान हो, तो सियासी धुआं तो दूर तलक जाएगी। ऐसा ही हो रहा है झारखंड में। सत्ता पक्ष कुछ कहने की स्थिति में नहीं है। सरकार के अधिकारी बनी-बनाई प्रक्रिया से काम कर रहे हैं। वहीं, विपक्षी दल इस आगजनी की घटना को साजिश बता रहे हैं। हालंाकि, समय के साथ ही स्थिति का पटाक्षेप होगा, लेकिन अभी तो इस आग में धुआं बहुत है। हर राजनीतिक दल अपने हिसाब से इसकी व्याख्या कर रहा है। हद तो यह है कि चैक-चैराहे पर भी जितनी मुंह, उतनी बातें, क्योंकि नेताओं के बयानों को हर कोई अपने हिसाब से देख-सुन रहा है।

बता दें कि 4 दिसंबर, 2019 को झारखंड के नई विधानसभा भवन में देर शाम आग लग गई। आग इतनी भयावह थी कि दमकल कर्मियों को पता ही नहीं लग पा रहा था कि किस ओर से आग पर काबू पाएं। आग पर काबू पाने के लिए दमकलकर्मी अंदर से और छत पर चढ़कर आग बुझा रहे थे। सीढ़ी लगाकर दमकलकर्मी 30 फीट ऊंची छत पर चढ़े और खिड़कियों से पानी की बौछार कर आग पर काबू पाने की कोशिश की। करीब तीन घंटे के बाद आग पर काबू पाया गया।

विधानसभा भवन पूरे वेस्ट विंग में आग से फर्स्ट फ्लोर और सेकेंड फ्लोर पर चार जगहों में बड़ा नुकसान हुआ है। जहां आग लगी वहां बैंक, पोस्ट ऑफिस, विपक्ष के सदस्यों के बैठने की जगह और सभापति का कक्ष था। आग से चारों जगहों में रखे कुर्सी टेबल, फाल्स सिलिंग समेत अन्य सभी फर्नीशिंग जलकर राख हो गए। आग इतनी ज्यादा थी कि दमकल की 10 गाड़ियां तीन घंटे में बुझा पाईं। 50 से अधिक दमकलकर्मी आग बुझाने में लगे हुए थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, शाम के करीब 7.30 बजे आग लगी। केयरटेकरों ने पहले विधानसभा का निर्माण करा रही कंपनी राम कृपाल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के वरीय अधिकारियों को, फिर जगन्नाथपुर थाना और फायर ब्रिगेड को सूचना दी। कंपनी जीएम सहित अधिकारी भी वहां पहुंचे। कंस्ट्रक्शन कंपनी ने कहा कि आग शॉर्ट सर्किट से नहीं लगी है। यह साजिश है। चार जगहों पर एक साथ शॉर्ट सर्किट से आग नहीं लग सकती। जहां आग लगी है वहां काम चल रहा है, कोई भी घुस सकता है।

कंस्ट्रक्शन कंपनी के लोग मीडिया वालों से भी उलझ गए। मीडिया वाले जब आग लगने की तस्वीर लेने लगे तो उन्हें पहले अंदर जाने से रोका गया। जब अंदर जाने के लिए मीडिया वालों ने जबरदस्ती की तो वे उनसे उलझ गए। उन्हें धक्का भी देने लगे। यह देख पुलिस वाले भी बीच-बचाव में आ गई, तब जाकर कंस्ट्रक्शन कंपनी के लोग शांत हुए। कंपनी के लोगों ने सभी गेट पर गार्ड लगा रखा था कि कोई मीडियाकर्मी अंदर नहीं घुस सके।

विधानसभा सचिव महेंद्र प्रसाद ने कहा कि 4 दिसंबर, 2019 को ही वहां अफसरों के साथ बैठक की थी। शाम तक सभी यहीं थे। हमने भवन का हैंडओवर ही नहीं लिया तो पुलिस ही इस मामले की जांच करेगी।

झारखंड विधानसभा में आग लगने की घटना

दरअसल,झारखंड विधानसभा के नए भवन में आग लगने की घटना ने राजनीतिक रंग ले लिया है। झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने विधानसभा के नए भवन के निर्माण में भारी अनियमितता का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि यह 500 करोड़ की लूटगाथा है। यह आग लगी नहीं, बहुत कुछ छिपाने के लिए लगाई गई है। शासन इसकी उच्चस्तरीय जांच कराए, नहीं तो मेरी सरकार में सब घोटाला बाहर आ ही जाएगा। मैं इस विधानसभा के उद्घाटन समारोह में भी शरीक नहीं हुआ था। सारी बातें उस समय उठाई थी, लेकिन सरकार ने मेरी बातों को दरकिनार कर दिया। झारखंड विधानसभा के नए भवन में भीषण आग बहुत कुछ कह रही है। आनन-फानन में अधूरे विधानसभा भवन का उद्घाटन कराकर कानून की धज्जियां उड़ाई गईं।

झारखंड विधानसभा के नवनिर्मित भवन में आग लगने की घटना पर पूर्व मंत्री सरयू राय ने गंभीर सवाल उठाते हुए सीबीआइ जांच की मांग की है। उन्होंने कहा है कि विधानसभा भवन निर्माण में घपले घोटाले की शिकायत आरंभ से ही आ रही थी। आज तक नए विधानसभा भवन को ठेकेदार द्वारा विधानसभा को नहीं सौंपा गया है, परंतु छह माह पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आनन-फानन में इसका उद्घाटन कराया गया, जबकि उस समय तक तीन चौथाई निर्माण कार्य भी पूरा नहीं हुआ था। सरयू राय ने कहा कि मैंने उस समय प्रधानमंत्री को राज्य के कैबिनेट मंत्री की हैसियत से पत्र लिखा था कि वे नवनिर्मित विधानसभा भवन का उद्घाटन न करें, क्योंकि इसका न सिर्फ कार्य अधूरा है, बल्कि इसके निर्माण में अनेक अनियमितताएं भी बढ़ती गई है। इस भवन का निर्माण बिना पर्यावरणीय स्वीकृति लिए किया गया है जो कि सीआईए नोटिफिकेशन 2006 के अनुसार अवैध है। सरयू ने कहा कि एक अवैध भवन एवं अर्धनिर्मित भवन का उदघाटन प्रधानमंत्री से कराकर सीएम ने वस्तुत: एक अपराध किया था। उसी अपराध को छुपाने के लिए ऐसा लगता है कि विधानसभा के निर्मित भाग में आगजनी की गई, जिससे बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। इस घटना से यह पोल भी खुल गई है कि ठेकेदार द्वारा अभी तक भवन का हैंड ओवर विधानसभा को नहीं किया गया।

पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने विधानसभा में आग लगने की घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि झारखंड में अजीबोगरीब घटनाएं होती हैं। यहां 2200 करोड़ रुपये की लागत से बने डैम को चूहे कुतर देते हैं। जिस विधानसभा भवन को ठेकेदार हैैंडओवर नहीं करता, उसका उद्घाटन प्रधानमंत्री से कराया जाता है। प्रधानमंत्री भवन के निर्माण के लिए मुख्यमंत्री को बधाई देते हैैं, लेकिन नए भवन में आग लगने की घटना सरकार को कठघरे में खड़ा करती है। यह भाजपा सरकार में लूट की एक बानगी है। भारी-भरकम लागत से बने भवन में स्थापित मानकों को उल्लंघन किया गया, जो जनता के साथ धोखा है।

विधानसभा में सत्ताधारी दल के पूर्व मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर ने आग लगने की घटना पर दुख जताया है। उन्होंने कहा है कि तकनीकी खामियों की वजह से घटना हुई है, तो यह स्पष्ट होना चाहिए कि भवन के निर्माण में घटिया सामग्री और उपकरण का उपयोग हुआ है या नहीं? अगर किसी ने आग लगाकर साजिश की है, तो प्रशासन को पर्दाफाश करना चाहिए। हालांकि, विधानसभा सचिवालय को भवन हैैंडओवर नहीं किया गया है, तो वहां कोई कागजात और दस्तावेज नहीं थे। ऐसे में कोई भला आग क्यों लगाएगा? हर पहलू पर जांच एजेंसी काम करे और इस घटना की वजह का खुलासा किया जाए।

असल में,10 दिसंबर को निर्माण कंपनी की ओर से इस भवन को विधानसभा सचिवालय को हैंडओवर किया जाना था। 465 करोड़ की लागत से बने नए विधानसभा भवन का 12 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया था। 39 एकड़ में फैला झारखंड विधानसभा देश की पहली पेपरलेस विधानसभा है। बता दें कि वर्तमान में झारखंड में विधानसभा चुनाव चल रहा है। चुनाव के बाद निर्वाचित होने वाले विधायकों का इसी नए विधानसभा भवन में स्वागत होना है।

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