नई दिल्ली। ग्रेसी सिंह बोलीं Veena बजाना बेहद आत्मिक अनुभव था। एक्टिंग करना और दिल से एक्टिंग करना। दोनों में बहुत फर्क है। एक को पैसे के लिए निभाना और दूसरे को उसे असल में महसूस करना। खैर पैसा इसमें भी है। दूूसरी एक्टिंग निभाने से ही एक्टर को विरली पहचान मिलती है। कुछ ऐसी वाहवाही मिल रही है ग्रेसी सिंह को। & टीवी के शो संतोषी मां सुनाएं व्रत कथाएं में संतोषी मां (ग्रेसी सिंह) को दिल से Veena बजाते हुए देखा गया था।
सीखा वीणा बजाना
ग्रेसी सिंह ने बताया कि उन्होंने Veena बजाने की कला में महारथ हासिल की है। खास बात है कि ग्रेसी ने कम समय में वीणा बजाना भी सीख है। यहां तक कि उन्हें वीणा बजाते हुए परफार्म करना था, लेकिन उन्होंने इसे बड़ी ही सहजता से बजाया और वहां मौजूद सभी लोग उन्हें देखकर दंग रह गए।
ग्रेसी सिंह बोलीं Veena बजाना बेहद आत्मिक अनुभव था, वीणा से मिली शांति
संतोषी मां(ग्रेसी) कहती हैं कि वीणा बजाना एक बहुत ही मधुर व आत्मिक अनुभव था। शास्त्रीय संगीत से मुझे अंदर से शांति मिलती है। मेरे खाली समय में, मैंने सितार में महारथ हासिल करने के लिए खासा समय व्यतीत किया है। जब मुझे हाल ही में वीणा बजाने का मौका मिला, तो सितार का मेरा अनुभव बहुत काम आया।
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ग्रेसी सिंह बोलीं Veena बजाना बेहद आत्मिक अनुभव था, सीन में जान डाली
जैसा कि सीन की मांग थी, संतोषी मां पृथ्वीलोक पर होने वाली सकारात्मक घटनाओं से प्रसन्न थी। इसलिए वह वीणा बजाकर उसकी धुन का आनंद लेती हैं। इस सीन को सही अंदाज में परफार्म करने के लिए, जब मैंने असली वीणा पर अपना हाथ आजमाने की कोशिश की। उस समय मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था। वीणा की धुन इतनी ज्यादा आध्यात्मिक थी कि मुझे पूरी तरह से एक अलग ही दुनिया में ले गई।
गुरूजी ने सिखाई वीणा
वीणा वाद्ययंत्र को बजाना इतना भी आसान नहीं होता। मुझे मेरे गुरूजी की सिखाई गई चीजों पर फिर से विचार करना पड़ा। मैंने पूरी एकाग्रता के साथ, तारों को सही से बजाने के लिए अपना ध्यान केंद्रित किया। शास्त्रीय संगीत के उत्कृष्ट प्रशंसक और प्रेमियों ने वीणा की मधुर धुन का पूरा आनंद लिया होगा। मैं इन यादों को लम्बे समय तक संजो कर रखूंगी और उम्मीद करती हूं कि मेरे प्रशंसक भी मुझे कुछ नया करते हुए देखकर खुश होंगे। दिलचस्प बात यह है कि संतोषी मां की भूमिका ने मुझे अपने आध्यात्मिक पहलू से जुड़ने और उस पर अधिक ध्यान देने में मेरी मदद की है।
देखिए ‘संतोषी मां सुनाएं व्रत कथाएं‘,
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