हार 

नयी नयी शादी और पत्नी को यह भेद मिल जाए कि महाशय किसी और से भी उलझे हैं तो ? वह सन्न रह गयी । पति का मोबाइल देख कर । वे अचानक भूल गये थे ऑफिस ले जाना ।   एक युवती के दिन भर संदेश , मिस काॅल्ज । यह तो एक स्त्री की हार है । क्या उसमें कोई सुरखाब के पर लगे हैं ? क्या मैं उनकी नजर में कुछ भी नहीं ? ढेरों सवाल मन में दिन भर उठते रहे ।
शाम को घर आए । चाय की प्याली थमाई और साथ ही फोन  देिखा कर पूछा-यह कौन है ?
-बस , यूं ही ,, ,
-यूं ही ?  यह साफ करो कि मैं यूं ही या वो यूं ही ?
अब कान लाल हो उठे । कुछ कहते न बना ।
-देखिए । अब फैसला बता दो । जो हुआ सो हुआ ।
-वादा रहा । पति ने कहा ।
पर फोन पर ऐसे संदेसे आते रहे और जिंदगी चलती रही । उम्र के आखिरी पडाव पर नवविवाहिता से बुढापे की ओर बढ रही पत्नी ने कहा -मैं सारी जिंदगी हारती रही । क्यों ? वह हर समय यह सवाल खुद से पूछती है ।
-कमलेश भारतीय

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