थोड़ा सर, भरम तो रहने दो

कमलेश भारतीय

मीडिया ने एक हंगामा खड़ा किया है। बाबा गुरमीत राम रहीम की प्यारी बेटी हनीप्रीत उर्फ प्रियंका तनेजा को जेल में वीवीआईपी ट्रीटमैंट देने का। और बेचारे तो बाहर खड़े रहते हैं, कब बारी आएगी अपने प्रियजन से मुलाकात की और दूसरी तरफ हनीप्रीत है, जिसके परिवारजनों की गाड़ी सीधी जेल के अंदर पहुंच जाती हे। कैसे? किसके आदेश पर और क्यों? सरकार हो या विपक्ष दोनों बाबा, बेटी और डेरा प्रेमियों के इतना मर्नदिल क्यों हैं? बाबा का दोष साबित हुआ। हनीप्रीत पर दंगा भड़काने की साजिश रचने, सुबूत मिटाने और दंगाईयों को पैसा बांटने जैसे आरोप हैं। डेरा प्रेमियों के नाम पर महज तीन घंटों के भीतर एक हजार करोड़ रूपए की संपत्ति नष्ट करने ालों के लिए विधानसभा में मुआवजा देने की मांग किसलिए? क्या वे देश की सरहद पर शहीद हुए हैं? क्या वे किसी प्राकृतिक हादसे का शिकार हुए हैं। वे तो अपनी मर्जी से, पैसे लेकर, जान हथेली पर लेकर आए थे। उनके प्रीति इतनी हमददिली क्यों? वे सब तो इंसा थे तो इन्सान और इन्सानियत की रक्षा करते, वे दंगा भड़काते रहे।
तब भी बाबा गुरमीत राम रहीम को वीवीआईपी ट्रीटमैंट दिया गया। डेरे से चलने से लेकर पंचकुला की सीबीआई कोर्ट तक पहुंचने में काफिले पर कोई रोक नहीं लगाई गयी। पंचकुला में धारा 144 लगने के बावजूद डेरा प्रेमियों को बड़ी संख्या में इकट्ठा होने दिया गया। शिक्षामंत्री रामबिलास शर्मा ने जो तर्क दिया, वह गले नहीं उतरता। उनका कहना था कि डेरा प्रेमियों पर धारा 144 नहीं लगाई गयी तो क्या पंचकुला के आम आदमी को परेशान करने के लिए लगाई गई थी?
बाबा के खिलाफ फैसला आया। हनीप्रीत को बाबा के साथ हैलीकाप्टर में बिठा दिया गया। सुनारिया जाकर भी हनीप्रीत दुहाई देती रही कि बाबा जी को मेरी जरूरत है। इनकी पीट में बहुत ददर्ज है, मैं देख भाल करना चाहती हूं। मीडिया ने अस्थायी गैस्ट हाऊस में बाबा को रखने की खबर फैलाई। तब जाकर वीवीआईपी ट्रीटमैंट बंद हुआ। हनीप्रीत को बाबा के ासथ रहने की इजाजत नहीं दी गयी। फिर हनीप्रीत गायब हो गयी। पूरे 38 दिन हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, बिहार ही नहीं बल्कि नेपाल पुलिस को खूब छकाया। दिल्ली में पुलिस को चकमा देकर जमानत याचिका पर हस्ताक्षर भी कर आई। हरियाणा पुलिस हाथ मलती रह गयी। बेबस, लाचार, बाबद में पंजाब पुलिस पर सारा दोष मढ़ दिया।
अब कभी बाबा को वीवीआईपी ट्रीटमैंट मिलता तो कभी हनीप्रीत को। कभी बाबा का परिवार शैड्यूल से ज्यादा समय मुलाकात करता है तो कभी हनीप्रीत का परिवार दिल से मिलता है। मीडिया में शोर मचाने पर मंत्री महादेय बड़ी मासूमियत से जवाब देते हैं कि कोई वीवीआईपी ट्रीटमैंट नहीं। हनीप्रीत की बहन बीमार थी। इसलिए कार को सीधे अंदर जाने दिया गया। वाह! क्या औरों के प्रति भी इतने ही नर्मदिल हो मंत्री जी? वे तो बेचारे जेल के मुख्य द्वार पर धक्के खाते हैं, दूसरी तरफ कार समेत एंट्रियां करवाई जा रही हैं? जेल में इससे ज्यादा और क्या वीवीआईपी ट्रीटमैंट दोगे? यह क्या कम है? क्या लाल कालीन बिछाओगे यही कसर बाकी रह गयी क्या?

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