नई दिल्ली। सहपीडिया को यह घोषित करते हुए खुशी हो रही है कि वह इंटरग्लोब फाउंडेशन के साथ तीन साल की सहकार्यता के द्वारा भारतीय शहरों की सांस्कृतिक विरासत को विविध दर्शकों तक ले जाएगी| इस सहकार्यता के तहत, फाउंडेशन का सहयोग पांच शहरों में वर्तमान चल रहे इंडिया हेरिटेज वॉक फेस्टिवल (आई.एच.डब्ल्यू.एफ) के तीसरे संस्करण में संकलन किये गए अनुभवों का समर्थन करेगा । इस पुरस्कृत, अनेक-शहरी फेस्टिवल के दौरान 44 शहरों में , दस विषयों के आर-पार, 140 से ज्यादा अनुभव शामिल हैं जो भारत की सांस्कृतिक विरासत का समारोह करेंगे |
संग्रहालयों, ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण स्मारकों और बाजारों से लेकर रोचक प्राकृतिक नज़ारों, व्यंजनों के लिए प्रसिद्ध क्षेत्रों और लिंग विषय कथाओं तक, इस साल का कार्यक्रम दस सांस्कृतिक विषयों के समेत संकलन किया गया है| शामिल विषयों में ज्ञान परंपरा (नॉलेज ट्रेडिशन), दृश्य और सामग्री कला (विजुअल एंड मटेरिअल आर्ट्स), प्रदर्शन कला (परफॉर्मिंग आर्ट्स), साहित्य और भाषाएँ (लिटरेचर एंड लैंग्वेज), प्रथा और अनुष्ठान (प्रैक्टिस एंड रिचुअल्स), इतिहास (हिस्ट्री), संस्थान (इंस्टिट्यूशंस), प्रजा (पीपल), निर्मित स्थान (बिल्ट स्पेसेस) और प्राकृतिक वातावरण (नेचरल एनवायरनमेंट) है |
फेस्टिवल के तीसरे संस्करण की योजना बहुमुखी व सम्मिलित रूप से, विविध दर्शकों को ध्यान में रखते हुए की गइ है | मेरा शहर मेरी विरासत (माय सिटी, माय हेरिटेज) प्रोजेक्ट के तहत गोवा, शिलॉन्ग, इंदौर, प्रयागराज और अहमदाबाद जैसे शहरों में अनुभवों को इंटरग्लोब फाउंडेशन सपोर्ट करेगा। इन अनुभवों में सैर (हेरिटेज वॉक्स), इंस्टामीट्स, वर्कशॉप्स, और अनुभूति का आयोजन होगा। ‘अनुभूति’ सहपीडिया की विशेष पहल है जो दिव्यांगजनों और कमज़ोर पृष्ठभूमि वाले लोगों को विरासत का अनुभव लेने और उस पर चर्चा का अवसर प्रदान करती है, साथ ही संस्कृति को ज्यादा से ज्यादा लोगों के लिए सुलभ बनाती है।
इस साझेदारी पर टिप्पणी करते हुए इंटरग्लोब फाउंडेशन की प्रमुख सुश्री प्रियंका सिंह ने कहा, “इंडिया हेरिटेज वॉक फेस्टिवल भारत की मूर्त और अमूर्त विरासत का प्रदर्शन करने का एक प्रयास है। उनकी अनन्य क्षमता है की वे भारतीय सांस्कृतिक धन में से छिपे हुए रत्न ढूंढ निकालते हैं, हम इसी कारण एक साथ काम करना चाहते हैं। इंटरग्लोब में हम संस्कृति और विरासत का संरक्षण व आजीविका संवर्धन क्षेत्र में सार्थक और परिवर्तनकारी प्रभाव पैदा करने हेतु प्रतिबद्ध हैं। फेस्टिवल न केवल हमारे राष्ट्र के मूर्त विरासत को बढ़ावा देता है, बल्कि प्रतिभागियों को हमारे कुशल कारीगरों की आजीविका और जीवन में झांकने का अवसर भी प्रदान करता है। हम इस ज़रूरतमंद प्रयास का हिस्सा बनने के लिए उत्साहित हैं। ”
फेस्टिवल पर टिप्पणी करते हुए वैभव चौहान, फेस्टिवल डायरेक्टर (आई.एच.डब्ल्यू.एफ) और सचिव, सहपीडिया ने कहा: “इस वर्ष की केंद्रबिंदु दिलचस्प और महत्वपूर्ण विरासतों के साथ के विभिन्न रूपों को प्रोत्साहित करने और बढ़ाने पर है। यह भी सुनिश्चित करना है कि यह स्थान विभिन्न दर्शक समूहों के लिए सुलभ हों। ये प्रयास विशेष रूप से उन समूहों के लिए किए हैं जिनके लिए विरासत कार्यक्रम आम तौर पर उपलब्ध नहीं होते, जैसे- बच्चे, दिव्यांगजन और आर्थिक रूप से वंचित पृष्ठभूमि के लोग। हमने विद्यार्थियों, यात्रियों, स्थानीय निवासियों और फोटोग्राफर, संरक्षणवादी जैसे पेशेवर उपयोगकर्ता समूहों को ध्यान में रखकर भी विशेष वॉक्स और प्रोग्राम की योजना की है। ”
यूनेस्को, नई दिल्ली, एनएमडीसी और टाटा टेक्नोलॉजी के समर्थन से यह महीनेभर चलने वाला फेस्टिवल 29 फरवरी, 2020 तक चलेगा। इस संस्करण के लिए एयरबीएनबी ने एक जिम्मेदार पर्यटन साझेदार के तौर पर सहपीडिया के साथ भागीदारी की है।