जतिन प्रसाद के बाद अगला नंबर किसका ?


दीप्ति अंगरीश। जून के दूसरे सप्ताह में Congress पार्टी को जबरदस्त झटका लगा है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस का प्रमुख चेहरा रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री जतिन प्रसाद (Jatin Prasad)ने कांगे्रस को अलविदा कह दिया है। वे 9 जून,2021 से भाजपाई हो गए। दिल्ली में भाजपा मुख्यालय में कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुए। पीयूष गोयल ने इनका स्वागत किया और उन्हें बधाई व शुभकामनाएं दीं।
इसके साथ ही अब सवाल उठने लगा कि आखिर कांग्रेस में भगवा के प्रति ये प्रेम अचानक आया है या इसके पीछे कांग्रेस की पुरानी कार्यशैली है, जिससे युवा नेता एडजस्ट नहीं कर पा रहे हैं। सोशल मीडिया पर कई तरह की प्रतिक्रिया आ रही है और कुछ मीम्स भी ध्यान खींचते हैं। कहा जा रहा है कि कुछ और कांग्रेस के युवा चेहरे भाजपा में आने की प्रक्रिया में है। ऐसे में सबसे पहला नाम राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का है। बीते दिनों उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। बेहद मान-मनौव्वल के बाद मामला निबटा था।
अब दोबारा कहा जा रहा है कि सचिन पायलट कभी भी आंखें तरेर सकते हैं। कांगे्रस की राजनीति को करीब से देखने वाले लोग कहते हैं कि यदि आने वाले दिनों में कांग्रेस के दिग्गज नेता आरपीएन सिंह भी कांग्रेस छोड दें, तो चैंकना नहीं चाहिए। क्योंकि, जो पत्रकार कांग्रेस बीट कवर कर रहे हैं, उन्हें पता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया, जतिन प्रसाद, सचिन पायलट और आरपीएन सिंह में किस प्रकार की दोस्ती है। इन चारों को यदि चार देह और एक दिल कहा जाए, तो अतिश्योक्ति शायद नहीं होगी।

भाजपा में शामिल होने के बाद भाजपा मुख्यालय में जिस प्रकार से जतिन प्रसाद ने तल्ख तेवर दिखाए, वो अनायास नहीं था। उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व पर सीधा हमला करते हुए कहा कि मैंने पिछले 8-10 सालों में ये महसूस किया है कि आज देश में अगर कोई असली मायने में संस्थागत राजनीतिक दल है तो भाजपा है। बाकी दल तो व्यक्ति विशेष और क्षेत्र के हो गए मगर राष्ट्रीय दल के नाम पर भारत में कोई दल है तो भाजपा है। हमारा देश जिन चुनौतियों का सामना कर रहा है उसके लिए आज देशहित में कोई दल और कोई नेता सबसे उपयुक्त और मजबूती से खड़ा है तो वो भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि मेरा कांग्रेस पार्टी से तीन पीढ़ियों का साथ रहा है और लंबे मंथन के बाद मैं बीजेपी में आया हूं। सवाल यह नहीं है कि मैं किस दल को छोड़कर आ रहा हूं। सवाल यह है कि मैं किस दल में और क्यों जा रहा हूं। बीजेपी के अलावा अन्य सभी दल अब व्यक्ति या क्षेत्र विशेष के ही होकर रह गए हैं।

भाजपा में शामिल होने से पहले भाजपा के केंद्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से इनकी पूरी बात हो गई है। बताया जाता है कि इनके आने से पार्टी को उत्तर प्रदेश में लाभ मिलेगा। वैसे, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में यह एक नया पावर सेंटर भी होगा। बता दें कि जब से ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में आए, उस समय से ही कांग्रेस के कई युवा चर्चित चेहरों का भाजपा में आने की बात हो रही थी। उसी कडी में बुधवार को जितिन प्रसाद को देखा जा रहा है। भाजपा के एक रणनीतिकार ने आपसी बातचीत में कहा कि आने वाले समय में कुछ और बडे चेहरे यदि कांग्रेस से भाजपा में आते हैं, तो लोगों को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।बीते कुछ समय से देखा जाए तो राजनीति दल भी काॅरपोरेट कंपनियों की तरह आचरण कर रही है। कहा यह भी जा रहा है कि जतिन प्रसाद बीते पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रभारी थे। राज्य में कांग्रेस का नामलेवा कोई नहीं दिख रहा है। विधानसभा में एक भी कांग्रेस विधायक नहीं पहुंचा। इसको लेकर भी जतिन प्रसाद पर दबाव था। राजनीति में भी परफॉरमेंस को लेकर प्रेशर कम नहीं होते हैं। आप परफॉरमिंग हैं या नन परफॉरमिंग ये बहुत मैटर करता है। कॉरपोरेट की भाषा में कहें तो जो टॉप मैनेजमेंट होता है राजनीति की भाषा में उसको ही शायद आलाकमान कहते हैं। हां तो मैनेजमेंट की नजर में आप लगातार कई साल से नन परफॉरमिंग साबित होते आ हैं तो एप्रेजल के टाइम में मूंगफली के दाने दिए जाते हैं लेकिन आप परफॉर्म अच्छा करते हैं तो फिर मलाई का लाभ भी मिलता है। कोरोना का बुखार कम हुआ। अब आईये भाजपा के कांग्रेसीकरण का मज़ा लीजिये। ना ना करते जितिन प्रसाद ने प्रियंका गाँधी को निराश कर भगवा चादर ओढ़ लिया।
आगे यूपी और पंजाब में चुनाव है। देखिये क्या से क्या होता है?

 
दीप्ति अंगरीश, पत्रकार के निजी विचार हैं।

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