पति ने दिया साथ, काम्या को मिला ‘डेजल मिसेज इंडिया वर्ल्ड 2018’ का खिताब

नई दिल्ली। जीवन संघर्ष का ही दूसरा नाम है। इस संघर्ष को आपने हिम्मत और हौसला से पार कर लिया, तो मंजिलें स्वयं आपका राह देखती है। गुरदासपुर की काम्या चंदेल चौहान की कहानी भी ऐसी ही है। आज पूरी दुनिया उन्हें ‘डेजल मिसेज इंडिया वर्ल्ड 2018’ के तौर पर देखती है। इस ताज को पहनने से पहले जीवन में कई मोर्चा पर उसने लडाई लडी है। पति देश की सीमा पर करोडों हिंदुस्तानियों की सुरक्षा के लिए तैनात हैं, तो काम्या अपने परिवार के साथ जीवन को सुंदर बनाने की ओर कदम बढा रही है।

कैसा रहा सफर ? काम्या कहती है कि अब तक उपर वाले की कृपा से सबकुछ बेहतर रहा। हां, जीवन में समस्याएं आईं, लेकिन जब आपके अपने लोग साथ होते हैं, तो समस्याएं दूर हो जाती हैं। वो बताती है कि साल 2013 में जब उन्हंे अर्थराइटिस हुआ था, तो वो चल नहीं पाती थी। लगा कि जीवन यही रूक जाएगी। जब मैं अपने पैरों पर खडा तक नहीं हो पा रही थी, तो चलने की बात तो दूर लगती थी। लेकिन, पति और सास-ससुर ने जितना सहयोग दिया। माता-पिता ने जिस प्रकार से हौसला दिखाया, उसके बाद इस साल अक्टूबर में मैं रैम्प पर वाॅक कर सकीं। खिताब जीता। यह मेरे लिए बिलकुल सपने जैसा है।

काम्या बताती हैं कि पति तुषार चौहान  इंडियन आर्मी में अधिकारी हैं। वो जब सीमा पर पोस्टिंग के दौरान होते हैं, तो मैं अपने बेटे युवराज चौहान  के साथ होती हूं। जो खाली समय मिलता है, उसमें कुछ नया करने की सोचती हूं। पति का पूरा सहयोग रहता है। यही कारण है कि मैंने फैशन की दुनिया में अपना नाम रोशन करने का सोचा है। कुछ दिनों पहले डेजल के बारे में सुना। पारिसा कम्युनिकेशन्स की डायरेक्टर तबस्सुम मैम से संपर्क किया। वो एक बेस्ट ग्रूमर और मोटिवेटर हैं। उन्होंने और उनकी टीम ने जिस प्रकार से मुझे निखारा, मेरे कंडफिडेशंस को निखारा, वह काबिलेतारीफ है।

काम्या बताती है कि कुछ दिन पहले दिल्ली के उमराऊ रिसोर्ट में प्रीजा कम्यूनिकेशन द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में ‘डेजल मिसेज इंडिया वर्ल्ड 2018’ का खिताब हासिल किया है। काम्या चैहान ने ने बीए तक की शिक्षा गुरदासपुर जिले में ही की है और गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी से एमए इंग्लिश के बाद साल 2010 में एम.फिल डिग्री हासिल की। वहीं, उसके पिता रूप लाल चौहान  सरकारी नौकरी से रिटायर हैं और माता मुलाजिम है। साल 2010 में उसकी शादी जालंधर निवासी मेजर तुषार चौहान  के साथ हुई। वो बताती है कि जब भी समय और मौका मिला है, पढाने का काम किया है। पठानकोट के आर्य काॅलेज में और असम के दीमापुर के केंद्रीय विद्यालय में भी पढाने का मौका मिला है। फिलहाल, पति की पोस्टिंग ऐसी जगह है, जहां परिवार को रखना नहीं होता है। इसलिए गुरदासपुर में रह रही हूं।

काम्या ने बताया कि इसमें देशभर से कुल 22 प्रतियोगियों ने हिस्सा लिया और उसे मिलाकर कुल 5 प्रतियोगी फाइनल राउंड में पहुंचने में सफल रहे। उसने बताया कि डेजल के सहयोग से वह भविष्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाली प्रतियोगिता में हिस्सा लेगी।  काम्या ने कामयाबी का श्रेय पति व ससुर परिवार दिया है। उन्होंने बताया कि 2013 में आर्थराइटिस के अटैक के चलते करीब एक माह चलने-फिरने में असमर्थ रही। फिर इलाज के अलावा दृढ़ इच्छाशक्ति से वह सेहतमंद हो गई। ऐसी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने की उसके बचपन से ही इच्छा थी और अब सपना साकार हो चुका है।

एक सवाल के जवाब में काम्या बताती है कि टीचिंग मेरा पैशन है और फैशन मेरा हाॅबी। फैशन की दुनिया में मुझे और भी अधिक नाम कमाना है। मुझे पूरा यकीन है कि मैं उसे अचीव कर लूंगी।

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