कर्नाटक के नाटक का मध्यांतर

 
नई दिल्ली / टीम डिजिटल। कर्नाटक के तीन सप्ताह से चल रहे नाटक का मध्यांतर हो गया । कुमारस्वामी की सरकार विश्वासमत पाने में फेल रही और सोशल मीडिया कह रहा है कि अब येदियुरप्पा गिरी हुई सरकार के मुख्यमंत्री बनेंगे । गिरी हुई सरकार ? यह क्या लिख दिया सोशल मीडिया ने ?  गिरी तो है ही । सत्रह विधायक तो विधानसभा तक पहुंचने ही नहीं दिए कांग्रेस व जेडीएस के । मुम्बई के होटल में अतिथि कहें या बंधक बना कर रखे गये । अपनी ही पार्टी से असंतुष्ट होने में क्या मिला ? सरकार गिरा ली । जब तक येदियुरप्पा मुख्यमंत्री पद की शपथ नहीं ले लेते तब तक ये विधायक कर्नाटक विधानसभा में नहीं आएंगे । क्या पता फिर पाला बदल जाएं ?
दूसरी ओर निवर्तमान मुख्यमंत्री कुमारस्वामी का कहना है कि वे एक्सीडेंटल मुख्यमंत्री हैं । दूसरी बार भी मुख्यमंत्री पद बीच मंझधार में ही छोडना पडा । कांग्रेस ने मजबूरी में मुख्यमंत्री बनाया था और भाजपा इस गठबंधन को अपवित्र बताती थी लेकिन अब इसी अपवित्र गठबंधन के विधायकों को तोड कर पवित्र सरकार बनाई जाएगी । यही है आजकल की राजनीति का असली चेहरा । मेरा गठबंधन पाक साफ और तुम्हारा गठबंधन बहुत बुरा । कांग्रेस के विधायकों ने सचमुच ही इस सरकार को मन से स्वीकार नहीं किया । यह अनमेल विवाह इतने माह चल गया , यह भी एक आश्चर्य ही है । बार बार कुमारस्वामी दिल्ली राहुल गांधी के पास भागते थे कि अपने विधायकों को समझाएं लेकिन विधायक नहीं समझे और एक बडा राज्य कांग्रेस के हाथ से निकल गया । कांग्रेस और जेडीएस मुक्त हो गया ।
इसे मध्यांतर कहा और माना जा रहा है क्योंकि येदियुरप्पा भी इस मेंढकों जैसे टोकरे को संभाल पाएंगे या कि नये सिरे से चुनाव की नौबत आ जाएगी ? कुछ कहा नहीं जा सकता । कर्नाटक की इस उठापटक से यह तो तय है कि विरोधी शांत होकर नहीं बैठेंगे । यह भी चर्चा है कि विधानसभा अध्यक्ष बदला जाएगा और तभी परीक्षण भी हो जाएगा कि क्या सरकार अब भी बहुमत में है ? बडी बात यह कि अब राजनीति के स्वच्छ होने की कम ही आस है । बल्कि सवाल यह उठ रहा है कि अब किस राज्य की बारी है ?
कबीर का दोहा याद आ रहा है
माली आवत देख कर 
कलियां करें पुकार 
फूली फूली चुन ली 
कल ही तुम्हारी बार 

कमलेश भारतीय, वरिष्ठ  पत्रकार

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