आदिवासी अपनी पत्नी को दे रहा चुंबन तो इतना दर्द क्यों? : साइमन

दुमका : झारखंड के लिट‍्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र के डुमरिया गांव में आयोजित किये गये मेले में चुंबन प्रतियोगिता को लेकर विवादों में आये झामुमो विधायक साइमन मरांडी ने दुमका में मीडिया से बातचीत में दो-टूक कहा कि बड़े लोग बड़े लोगों की पत्नी को भी खुलेआम चुंबन दे देते हैं. अगर, वह ठीक है तो आदिवासी आज अपनी पत्नी को चुंबन दे रहा है तो इतना आघात क्यों पहुंच रहा है? इतना बवाल क्यों मचाया जा रहा है? उन्होंने कहा कि इस आयोजन को और संताली प्रक्रिया को हिंदू के दृष्टिकोण से नहीं देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रतियोगिता के आयोजक को सजा देने की बात कही जा रही है. श्री मरांडी ने कहा कि संताल में सजा के लिए मांझी हाड़ाम के पास जाते हैं. वहां बात नहीं बनती है तो मोड़े मांझी, फिर उसके उपर लो वीर वैसी है. जहां पानी का पानी और दूध का दूध पर विचार होता है.
श्री मरांडी ने कहा कि आयोजक बताकर मेरा पुतला जलाया जा रहा है. जो हल्ला कर रहे हैं, उन्हें मेला का परचा देखना चाहिए. वे न तो कमेटी के सदस्य थे और न आयोजक. गांव में कार्यक्रम था. बुलाया गया था, इसलिए गये थे. प्रचार-प्रसार बीस दिन से हो रहा था. पंपलेट बांटे जा रहे थे. जिन्हें आपत्ति थी, उन्हें पहले भी आपत्ति जतानी चाहिए थी. उन्होंने सवाल उठाया कि मजिस्ट्रेट क्या कर रहे थे? मेला में भी मजिस्ट्रेट थे तो उन्हें रोकना चाहिए था.
श्री मरांडी ने कहा कि लोक साकारात्मक और नकारात्मक दोनो सोच वाले होते हैं. शहर में बैठकर उसपर टिप्पणी करना गलत है. जो टिप्पणी कर रहे हैं, उन्हें पहले आयोजन के उद‍्देश्य को जानना चाहिए. यह प्रतियोगिता किससे बीच थी. पति-पत्नी के बीच. किसी को सड़क से पकड़कर लाकर चुंबन करने की यह प्रतियोगिता नहीं थी. आज आदिवासी समाज में देखने को मिल रहा है कि वह शादी जल्द कर लेता है. तलाक भी जल्दी दे देता है. हम नहीं बीबीसी लंदन भी बोल रहा है कि चुंबन प्रतियोगिता ठीक है. इस विषय पर यहां के स्थानीय बीजेपी वाले ही कूद रहे हैं. बीजेपी वाले लोगों को ही तकलीफ है. आयोजन के पीछे के उद‍्देश्य को साकारात्मक विचार रखने वाले लोग ही समझ सकते हैं. ये आदिवासी की भलाई और उनमें मनोवैज्ञानिक प्रभाव को डालने वाला आयोजन था. आयोजन के वक्त भी माइक से कहा गया था कि प्यार भरा चुंबन पति-पत्नी के रिश्ते को प्रगाढ़ बनाने के लिए है. आयोजन की नीयत देखनी चाहिए.

एक सवाल के जवाब में साइमन ने कहा कि इस सरकार को सत्ता नहीं, शासन चला रहा है. सरकार विकास का कोई काम नहीं कर पा रही है. लिट‍्टीपाड़ा को सरकार ने गोद लिया था. लेकिन कहां उसका विकास हो रहा है. 10 करोड़ रुपये देकर विकास को गति देने की बात हुई थी. एक भी पौधा कहीं नहीं जन्मा. विकास कहीं नजर नहीं आ रहा, जिसका उल्लेख किया जा सके. सारा पैसा गबन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सीएम रघुवर दास संताल परगना में वोट के लिए ताकत लगा रहे हैं. विकास की नीयत से नहीं. विकास की नीयत ही नहीं है. केवल जुबान खराब करते रहे हैं. मुख्यमंत्री ही हाउस में जब अपशब्द बोल रहे हैं, तो दूसरे लोग क्या करेंगे. संसदीय गरिमा का ख्याल रखना चाहिए.

 

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