कुमार विश्वास पर उतना “विश्वास” क्यों नहीं हो रहा ?

नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी की राजनीति सर्दी के मौसम में भी गर्म है। राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन को लेकर अंदरखाने कई गुट सक्रिय हैं। नया साल मनाने के बाद पार्टी इस पर निर्णय लेगी कि किन्हें राज्यसभा भेजा जाना है। दिल्ली में राज्यसभा की तीन सीटें खाली हो रही हैं। अगर तीनों सीटों के लिए एक साथ अधिसूचना जारी होती तो तय फार्मूले के हिसाब से एक सीट जीतने के लिए सिर्फ 18 वोट की जरूरत होती। तब कुमार विश्वास क्रास वोटिंग करा कर जीतने के बारे में सोच सकते थे। पर दिल्ली की तीनों सीटों की अधिसूचना अलग अलग जारी होती है। इसका मतलब है कि हर सीट जीतने के लिए 36 वोट की जरूरत होगी। ऐसे में किसी के लिए भी 30 से ज्यादा विधायकों से क्रास वोटिंग करा सकना संभव नहीं है।
कुमार विश्वास के समर्थकों ने उनको राज्यसभा की सीट दिलवाने के लिए जैसा अभियान छेड़ा है, उससे अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के दूसरे कर्ता धर्ता परेशान हुए हैं। यह लगभग तय है कि केजरीवाल अब विश्वास को उम्मीदवार नहीं बनाने जा रहे हैं। पार्टी कार्यालय पर विश्वास समर्थकों के धरने, प्रदर्शन से वे नाराज हैं। पर उनको चिंता है कि कहीं कुमार विश्वास बागी होकर उम्मीदवार न बन जाएं। हालांकि व्यावहारिक रूप से यह थोड़ा मुश्किल है। अगर उम्मीदवार बन भी जाते हैं तो जीतना लगभग नामुमकिन है। कुमार विश्वास के उम्मीदवार बनने की चर्चा को ज्यादा गंभीर नहीं माना जा रहा है। अगर वे किसी तरह से उम्मीदवार बन जाते हैं तो उससे सिर्फ इतना फर्क आएगा कि आम आदमी पार्टी की ओर से घोषित तीनों उम्मीदवारों की जीत निर्विरोध नहीं होगी। इसके लिए चुनाव कराया जाएगा। सो, आप के जानकार नेताओं का कहना है कि कुमार विश्वास दबाव की राजनीति कर रहे हैं। वे इस तरह की खबरों के जरिए यह मैसेज भी देना चाहते हैं कि वे भाजपा के साथ जा सकते हैं। इससे राजस्थान में आप का अभियान प्रभावित होगा और दिल्ली में भी अगले चुनाव में आप को झटका लग सकता है। दिल्ली में राज्यसभा की एक सीट का उम्मीदवार बनने के लिए सात प्रस्तावकों की जरूरत होती है। अगर कुमार विश्वास चाहेंगे तो भाजपा के चार विधायक उनके प्रस्तावक बन सकते हैं। इसके अलावा तीन और विधायकों का जुगाड़ बड़ी बात नहीं है। देवेंद्र सहरावत, पंकज पुष्कर जैसे कई विधायक केजरीवाल विरोधी खेमे में हैं और वे प्रस्ताव बन सकते हैं। इनके सहारे कुमार विश्वास उम्मीदवार तो बन जाएंगे, पर जीतेंगे कैसे?

 

Leave a Reply

Your email address will not be published.