जेल गए लालू, गिनती हो रही नफा-नुकसान की

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की सजा का ऐलान आज फिर टल गया है. लालू की सजा का ऐलान अब शुक्रवार को होगा. लालू यादव के जेल जाने से उनकी पार्टी राजद को होने वाले नुकसानों की चर्चा तो हर कोई कर रहा है, लेकिन क्या इसका उल्टा भी हो सकता है?

रांची/नई दिल्ली। देवघर चारा घोटाले में राजद प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की सजा का ऐलान आज फिर टल गया है. लालू की सजा का ऐलान अब शुक्रवार को होगा. अल्फाबेटिकल लेटर के आधार पर सजा सुनायी जा रही है और लालू का नंबर सातवां है. आपको बता दें कि रांची की विशेष सीबीआइ कोर्ट को ये फैसला पहले बुधवार को सुनाना था, लेकिन उसे टाल दिया गया था.
आज लालू प्रसाद यादव ने कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि हमने कुछ नहीं किया. कोर्ट रूम में लालू प्रसाद यादव अपने अंदाज में नजर आये. उन्‍होंने कहा कि जज साहब जेल में बहुत ठंड लगती है. इसपर जज ने कहा कि आप जेल में कोई डिग्री ले लीजिए. जज ने लालू से कहा कि यदि आपको यहां आने में परेशानी होती हो तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का सहारा ले सकते हैं. इसपर लालू प्रसाद ने कहा कि हुजूर हम रांची में ही हैं जब बुलाईएगा आ जाऊंगा. इस बातचीत के बाद लालू प्रसाद को कोर्ट से होटवार जेल ले जाया गया.
लालू यादव को सजा होते ही उन्होंने और उनके परिवार व पार्टी के नेताओं ने इसे केंद्र सरकार की बदले की कार्रवाई के तौर पर पेश करना शुरू कर दिया है. राजद नेता यह आरोप लगा रहे हैं कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी लालू को ठिकाने लगाने की साजिश में केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी से मिले हुए हैं. स्थानीय स्तर पर राजद के नेता लालू के समर्थक वर्ग, खास तौर पर यादव और मुस्लिम समाज में, इस बात का प्रचार कर रहे हैं कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार और नीतीश कुमार उनके वर्ग के नेता को निपटाकर उनके शोषण की साजिश पर काम कर रहे हैं.
बिहार की राजनीति को जिसने भी करीब से देखा है, उसे यह मालूम होगा कि कुछ खास वर्ग के लोग लालू यादव की बातों पर आंख मूंदकर विश्वास करते हैं. 2015 के विधानसभा चुनावों में भी इसे देखा जा सकता था. जानकारों का कहना है कि ऐसे में लालू यादव अपनी पार्टी के लिए जितने उपयोगी जेल से बाहर थे उससे कम उपयोगी जेल के अंदर नहीं हैं. दूसरे मामले में सजायाफ्ता होने की वजह से लालू यादव अब चुनाव नहीं लड़ सकते. वे सभा कर सकते हैं. लेकिन अगर उन्हें नये मामले में जमानत नहीं मिली तो तेजस्वी और तेजप्रताप यादव राजद के समर्थकों के बीच उनकी तस्वीर के साथ सभा करते हुए यह कह सकते हैं कि उनके नेता को साजिश के तहत जेल में डाला गया है. बिहार की राजनीति को समझने वालों का मानना है कि इसका राजनीतिक फायदा राजद को मिलना तय है.
तेजस्वी पार्टी के उदार चेहरे की नुमाइंदगी करते हैं और सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं तो तेजप्रताप यादव बिहार के अलग-अलग हिस्सों में जाकर जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को पार्टी के साथ बनाए रखने और उन्हें उत्साहित रखने के काम में अधिक सक्रिय हैं. राजद के जमीनी कार्यकर्ता खुद को तेजप्रताप से अधिक जोड़कर देखते हैं. उन्हें लगता है कि तेजप्रताप अपने पिता लालू यादव की तरह ही सीधा हमला करते हैं. तेजस्वी के संबोधन में कार्यकर्ता खूब तालियां बजाते हैं और उत्साह दिखाते हैं.
अब तक इन दोनों के बारे में यही माना जाता था कि ये पूरी तरह लालू यादव के कहे पर चलते हैं. लेकिन लालू यादव के जेल जाने के बाद से दोनों ने जिस तरह से अलग-अलग मोर्चों पर आक्रामक रुख अपनाया हुआ है, उससे इनकी छवि एक स्वतंत्र नेता के तौर पर स्थापित हो रही है. लालू यादव के बाहर न होने पर अगर तेजस्वी और तेजप्रताप एक प्रभावी जनसंपर्क अभियान चलाने में सफल हो जाते हैं तो इससे न सिर्फ लालू समर्थक पार्टी से जुड़े रहेंगे बल्कि तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव पूरी तरह से एक स्वतंत्र नेता के तौर पर भी राजद और बिहार में स्थापित हो जाएंगे.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published.