नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतिश कुमार ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में अपने किसी प्रतिनिधि को भेजने से इंकार कर दिया। पूछे जाने पर मीडिया से साफ कहा कि जब सांकेतिक मंत्री ही बनाए जाने हैं, तो उसमें हमारे जनता दल यू के नेताओं को भेजने की जरुरत हीं क्या है। उन्होंने विरोध स्वरुप नहीं बल्कि समझदारी भरे अंदाज में यह बात कही।
यह समझदारी हम जैसों में नहीं है। लिहाजा,रात सोने में देर हो गई। इंतजार करता रह गया। सुबह से आनलाइन हूं। उत्कंठा बनी हुई है। माननीयों ने शपथ तो ले ली। मगर किसे कौन सा विभाग मिला ? इसका ब्यौरा इकट्ठा करुं। इस जिज्ञासा का तत्काल हल होना जरुरी लग रहा है। पत्र सूचना ब्यूरो से लेकर पीएमओ तक की साइट खंगाल ली। वेब की दुनिया में अंदर तक टहल आया। सूचना को लेकर सब जगह सन्नाटा है। खबरों का समूचा संसार अटकलों के टोटे से काम चला रहा है।
सुबह से मंत्रालयों की कुर्सियां सूनी पड़ी हैं। अब संभावना जताई जा रही है कि दोपहर तक विभागों के आवंटन की सूची जारी होगी।अपनी तो जैसी तैसी, उनका क्या हाल हो रहा होगा, जिन्होंने शपथग्रहण की है। लेकिन क्या काम करना है। उसका पता रात भर नहीं लगा। आम व्यवहार की बात होती, तो सब अपने अपने आवंटित मंत्रालय का पता लग गया होता। उस हिसाब से मन बनाते। सचिव से लेकर अन्य स्टाफ को आगे काम कैसे करनी है, अंजाम तक पहुंचाने का तरीका क्या होने वाला है,इस मुताबिक अपनी सोच का फलसफा बताते। मंत्रियों की परेशानी के आगे अपनी परेशानी कम लग रही है। लिहाजा नीतिन गडकरी की रात कैसे कटी होगी। सड़क परिवहन के प्रोजेक्ट के सपनों को लेकर सोने औऱ सुबह उठ नतीजे का रास्ता तलाश लेने के उनके तरीके पर विराम लगा होगा। ऐसे ही अन्य मंत्रियों का हाल है। बारी बारी से मंत्रिमंडल में शामिल हुए शूरमाओं का नाम याद करते जाईए। रामविलास पासवान, राजनाथ सिंह,स्मृति जुबिन ईरानी, आदि।
यह समझदारी हम जैसों में नहीं है। लिहाजा,रात सोने में देर हो गई। इंतजार करता रह गया। सुबह से आनलाइन हूं। उत्कंठा बनी हुई है। माननीयों ने शपथ तो ले ली। मगर किसे कौन सा विभाग मिला ? इसका ब्यौरा इकट्ठा करुं। इस जिज्ञासा का तत्काल हल होना जरुरी लग रहा है। पत्र सूचना ब्यूरो से लेकर पीएमओ तक की साइट खंगाल ली। वेब की दुनिया में अंदर तक टहल आया। सूचना को लेकर सब जगह सन्नाटा है। खबरों का समूचा संसार अटकलों के टोटे से काम चला रहा है।
सुबह से मंत्रालयों की कुर्सियां सूनी पड़ी हैं। अब संभावना जताई जा रही है कि दोपहर तक विभागों के आवंटन की सूची जारी होगी।अपनी तो जैसी तैसी, उनका क्या हाल हो रहा होगा, जिन्होंने शपथग्रहण की है। लेकिन क्या काम करना है। उसका पता रात भर नहीं लगा। आम व्यवहार की बात होती, तो सब अपने अपने आवंटित मंत्रालय का पता लग गया होता। उस हिसाब से मन बनाते। सचिव से लेकर अन्य स्टाफ को आगे काम कैसे करनी है, अंजाम तक पहुंचाने का तरीका क्या होने वाला है,इस मुताबिक अपनी सोच का फलसफा बताते। मंत्रियों की परेशानी के आगे अपनी परेशानी कम लग रही है। लिहाजा नीतिन गडकरी की रात कैसे कटी होगी। सड़क परिवहन के प्रोजेक्ट के सपनों को लेकर सोने औऱ सुबह उठ नतीजे का रास्ता तलाश लेने के उनके तरीके पर विराम लगा होगा। ऐसे ही अन्य मंत्रियों का हाल है। बारी बारी से मंत्रिमंडल में शामिल हुए शूरमाओं का नाम याद करते जाईए। रामविलास पासवान, राजनाथ सिंह,स्मृति जुबिन ईरानी, आदि।