कई साहित्यकारों के लिए संजीवनी बन रहा “मैथिली मचान”

नई दिल्ली। अमूमन मिथिला खासकर मैथिली के साहित्यकारों की पीडा होती है कि उनकी पुस्तकें पाठक तक पहुंच नहीं पाती है। दूसरी ओर, पाठक भी इस बात को लेकर उदास होते हैं कि अपनी रूचि के अनुसार उन्हें मैथिली की पुस्तकें दिल्ली जैसे महानगरों में नहीं मिलती है। लेकिन, अब न तो साहित्यकारों और न ही पाठकों को निराश होने की जरूरत है। क्योंकि, “मैथिली मचान” सबके लिए सेतु बनने का जिम्मा अपने कंधों पर ले चुका है। यह मैथिली साहित्यकारों के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है।
“मैथिली मचान” को लेकर दिल्लीवासियों के लिए सुलभ बनाया है कि डाॅ सविता खान और अमित आनंद ने। सीएसटीएस के संस्थापक द्वय डाॅ सविता खान और अमित आनंद बीते साल भर से “मैथिली मचान” के लिए दिन रात एक कर रहे थे। उसके बाद यह संभव हो पाया है। दिल्ली के प्रगति मैदान में 6 से 14 जनवरी, 2018 तक आहूत विश्व पुस्तक मेला में पहली बार मैथिली को लेकर समर्पित एक स्टाॅल की व्यवस्था की गई है, जिसे “मैथिली मचान” नाम दिया गया है।

“मैथिली मचान” क्यों ? इसके जवाब में डाॅ सविता खान बताती हैं कि बीते साल पुस्तक मेला में हमने महिला मैथिल लेखिकाओं के लिए गार्गी का आयोजन किया था। उसमें कई पुरूष लेखकों ने अपनी पुस्तकों के संदर्भ में भी बात की। सैकडों लोगों का फीडबैक मिला। मंथन हुआ। विचार विमर्श के बाद हमने तय किया कि मिथिला में न सही, देश की राजधानी में मैथिल लेखनी का डंका बजे। लोग समझें। जानें और फिर पुस्तक खरीदें। इसी सोच के साथ हमने “मैथिली मचान” शुरू किया। इस कार्य में भारतीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष बलदेव भाई शर्मा सहित न्यास के तमाम लोगों ने काफी मदद की है। हमारी मंशा मैथिली साहित्य को लोगों के लिए सुलभ बनाना है। हमारा पहला कदम है, उम्मीद है कि लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरूंगी।
उल्लेखनीय है कि 24 दिसंबर, 2017 को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में अखिल भारतीय मिथिला संघ स्वर्ण जयंती महोत्सव का आयोजन किया गया। सांकेतिक रूप से एक स्टाॅल मैथिल मचान का लगाया। उम्मीद से अधिक पाठक इस मचान पर आए। दिल्ली से लेकर मिथिला के तमाम क्षेत्र में “मैथिली मचान” की चर्चा लोगों के जुबान पर होने लगी है। हर कोई अपने अपने हिसाब से मैथिल मचान की उपादेयता और इसकी प्रासंगिकता को बता रहा है।

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