मैथिली सहित सभी भारतीय भाषाओं के उन्नयन के लिए पुस्तक न्यास संकल्पित: बलदेव भाई शर्मा

नई दिल्ली। भारतीय पुस्तक न्यास (एनबीटी) के अध्यक्ष बलदेव भाई शर्मा कहते हैं कि हम निरंतर भारतीय भाषाओं के उन्नयन के लिए कार्य कर रहे हैं। कोई भी भाषा न बडी होती है और न ही छोटी। जो भारतीय भाषाएं बीते दशकों में किन्हीं कारणों से लोगों के सामने अपेक्षित रूप से नहीं आ सकीं, उनको लेकर भारतीय पुस्तक न्यास सतत् प्रयत्नशील है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हमने मैथिली और संस्कृत में पुस्तकों के प्रकाशन पर विशेष ध्यान दिया है। आप उसकी संख्या पर नहीं जाएं, हमारी मंशा को देखें। मैथिली में पुस्तक न्यास ने अनेक पुस्तकों का प्रकाशन किया है । कइयों पर कार्य चल रहा है। हम अन्य भारतीय भाषाओं पर लगातार कार्य कर रहे हैं।
गौरतलब है कि नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा आयोजित 26वीं नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला, 2018 में पहली बार मैथिली भाषा को सेंटर फॉर स्टडीज ऑफ ट्रेडिशन एंड सिस्टम्स, नई दिल्ली द्वारा लगाये जा रहे ‘मैथिली मचान’ नाम से स्टाल में प्रतिनिधित्व मिल रहा है। इसको लेकर मैथिली भाषा- साहित्य प्रेमियों में उत्साह का माहौल है।
सेंटर फॉर स्टडीज ऑफ ट्रेडिशन एंड सिस्टम्स की डाॅ सविता झा खान बताती हैं कि इसमें नेपाल और भारत भर से मैथिली प्रकाशकों-लेखकों से मैथिली भाषा की पुस्तकों को आमंत्रित कर एक संयोजित मंच तैयार करने की कोशीश की जा रही है, ताकि चौहदवीं सदी से लगातार समृद्ध साहित्य की एक परंपरा की अस्मिता विश्वस्तरीय मुकाम तक हासिल हो। उन्होंने कहा कि इस मचान से मैथिली के लेखक और लेखिकाओं को सम्मानित करने की भी इस ट्रस्ट की योजना है। साथ ही कई नई प्रकाशित पुस्तकों का विमोचन भी इस मैथिली मचान से करने की योजना है।
सेंटर फॉर स्टडीज ऑफ ट्रेडिशन एंड सिस्टम्स के सह संस्थापक अमित आनन्द ने  कहा कि इस आयोजन का मूल उद्देश्य ग्रामीण प्रकाशकों को सामने ला कर मैथिली के ग्रामीण प्रकाशकों और लेखकों को प्रोत्साहन देना भी है। ग्रामीण प्रकाशकों की स्तरीय प्रकाशन को एक नया मंच मिले, यह कोशिश की जा रही है। इस कड़ी में सरिसबपाहि गाँव में अवस्थित साहित्यकी प्रकाशन की पुस्तकों की पहली खेप दिल्ली पहुंच चुका है। इसके अतिरिक्त शेखर प्रकाशन, पटना, नवारम्भ प्रकाशन, मधुबनी, किशुन लोक संकल्प, सुपौल, मैथिली अकादमी, पटना सहित अन्य मैथिली प्रकाशनों की पुस्तकें आ रही है विश्व पुस्तक मेले में।

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