‘मेरापेशेंट‘ ऐप की 20 करोड़ रुपए जुटाने की योजना

नई दिल्ली। हेल्थकेयर इंडस्ट्री में अपनी तरह के एक अनूठे एग्रीगेटर प्लेटफाॅर्म ‘मेरापेशेंट‘ ऐप ने दिल्ली और मुंबई समेत देश के 10 और शहरों में विस्तार करने की योजना बनाई है। पिछले साल अगस्त में जयपुर में ऐप का पायलट लॉन्च किया गया था। आज 10000 लोग इसका उपयोग कर रहे हैं। मेट्रो और मिनी मेट्रो शहरों में मानव संसाधन और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कंपनी 20 करोड़ रुपए के निवेश की तलाश में है। वर्तमान में कंपनी आवश्यक पूंजी जुटाने के लिए उद्यम पूंजीपतियों के साथ बातचीत कर रही है।
ऐप के फाउंडर मनीष मेहता ने कहा कि 2019 तक , पहले चरण में यह ऐप मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, अहमदाबाद और पुणे सहित 10 शहरों में लॉन्च किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रमाणित कैमिस्ट की दुकानों और डाइग्नोस्टिक्स केंद्रों के राष्ट्रव्यापी नेटवर्क के साथ, ‘मेरापेशेंट‘ ऐप स्मार्टफोन पर मांग और आपूर्ति की स्थिति तैयार करता है और इस तरह उपयोगकर्ता अपनी इच्छा के अनुसार दवाएं खरीदने और डाइग्नोस्टिक्स केंद्रों पर जांच कराने में सक्षम हो जाता है।
इस ऐप का उपयोग करने वाले लोग दवा का पर्चा अपलोड करने के बाद अपनी नजदीकी कैमिस्ट की दुकान और डाइग्नोस्टिक्स केंद्रों की तलाश कर सकते हैं और दवाएं खरीदने के साथ ही जांच के लिए अपाॅइंटमेंट बुक कर सकते हैं। दूसरी तरफ, कैमिस्टों और डाइग्नोस्टिक्स केंद्रों को उपयोगकर्ताओं की मांग पर अलर्ट मिलते हैं और वे उन्हें उपलब्धता, मूल्य-छूट और घरेलू वितरण विकल्पों का संयोजन प्रदान कर सकते हैं।
इसमें एक अनूठा पेनिक बटन सुविधा भी है, जिसके जरिए इमरजेंसी के दौरान पहले से फीड किए गए अपने करीबी और प्रियजनों के 5 मोबाइल नंबरों पर मुश्किल में फंसे व्यक्ति की लोकेशन के साथ चेतावनी भेजी जाती है और इस तरह उपयोगकर्ता को इमरजेंसी के हालात से उबरने में मदद मिलती है। मेहता ने कहा कि फोन अगर साइलंट मोड पर हो, तब भी अलर्ट साउंड को सुना जा सकता है ताकि अलर्ट पाने वाला व्यक्ति तुरंत प्रतिक्रिया दे सके।
बता दें कि इधर देश में ई-फार्मा कंपनियों की संख्या तेजी से बढ रही है और इस स्थिति में आॅफलाइन फार्मेसी की करीब 8.5 लाख दुकानों के संचालकों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है। मेहता कहते हैं कि ऐसे लोग मेरापेशेंट ऐप की सहायता से अपने नियमित रोगियों/ग्राहकों तक अधिक प्रभावी तरीके से पहुंच सकते हैं और उनके घरों पर ही सेवाएं उपलब्ध करा सकते हैं।

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