बाबा राम रहीम के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट में किया जाएगा पीआईएल दाखिल


नई दिल्ली। सामाजिक अभियान चलाने वाले बाबा गुरमीत राम रहीम के समर्थन में दर्जनों एनजीओ आए हैं। करीब 25 से अधिक एनजीओ इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका यानी पीआईएल दाखिल करेगी। इन संस्थाओं का कहना है कि जब से बाबा राम रहीम एक केस में जेल भेजे गए हैं, उसके बाद से मानवता से जुड़ी कई कार्य प्रभावित हुई है। इनके आश्रम में जो लोग नशा छोड़ने आते थे, वह आज कई महीनों से उनका आना बंद है। इससे हरियाणा सहित कई दूसरे राज्यों में नशा का कारोबार बढ़ गया है और कई नौजवानो की मौत नशे के कारण हो रही है । बताया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एपी सिंह इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल करेंगे।
आयुर्वेदिक सह मानव न्यास, दिल्ली के संजीव झा ने बताया कि इस संबंध में करीब 6000 से अधिक पत्र आए हैं। सब पत्र में मांग की गई है कि बाबा राम रहीम की रिहाई की जाए। उन्होंने कहा कि आखिर गुमनामी पत्र के आधार पर कोर्ट ने क्यों सजा सुनाया। अभी तक इनके खिलाफ कोई प्रमाणिकता सिद्ध नहीं हो पाई है। इसलिए सरकार और कोर्ट को इस मामले में फिर से विचार करना चाहिए।
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वहीं, वेलफेयर ट्री सिरसा के डॉ मोहित ने कहा कि बाबा राम रहीम के जेल जाने के बाद समाज में कई सामाजिक कार्य रूक गए हैं। नशाबंदी अभियान, जागरूकता अभियान, पौधारोपण, स्वच्छता अभियान सब ठप्प पड़ गया हैं। उन्होंने कहा कि बाबा के अनुयायी चौबीस घंटे सामाजिक कार्य करते रहते थे, लेकिन अब कोई उनको मार्गदर्शन देने वाला नहीं है। हरियाणा में सबसे बुरी स्थिति सिरसा की है। सिरसा की पहचान बाबा रहीम से थी, लेकिन महज गुमनामी पत्र के माध्यम से बाबा को दोषी करार दिया गया और सजा दी गई है। यह किसी भी तरह से न्यायोचित नहीं है।
लक्ष्य वूमन एंड चाइल्ड वेलफेयर सोसायइटी की शोभा चौधरी ने कहा कि किसी भी आरोप लगाना बहुत आसान होता है। लेकिन, कोर्ट और प्रशासन को चाहिए कि उसकी सत्यता की जांच कर लें। कई महीने हो गए हैं। सिरसा सहित कई दूसरे क्षेत्रों में सामाजिक सदभाव और विकास के कार्य रूक गए हैं। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान और हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था ने हमें यह अधिकार दिया है कि हम अपना पक्ष रख सकें। लेकिन, अपफसोस बाबा राम रहीम के साथ ऐसा नहीं हुआ है। इसलिए हमने यह तय किया है कि एक साथ 25 संस्था सुप्रीम कोर्ट में जल्द ही पीआईएल दाखिल करेंगे और न्याय की गुहार लगाएंगे।

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