NRI चायवाला, जानें इंग्लिश स्पीकिंग जगदीश चायवाले की कहानी

नई दिल्ली। कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। बशर्ते उसे पूरी शिद्दत व ईमानदारी से किया जाए। तब सफलता की गारंटी है। इस बात को दिल्ली के निवासी एनआरआइ चायवाले जगदीश कुमार ने साबित कर दिखाया है। हम बात कर रहे हैं NRI चायवाले की। शायद आपने सुना होगा कि कोई NRI चाय का बिजनेस करे। बिजनेस भी अजीबो-गरीब चाय का खोमचा।

 

कैसा बनें NRI चायवाले

जगदीश ने बताया कि उन्हें विदेश जाकर चाय की बहुत अधिक जानकारी हो गई थी। उन्होंने भारत में भी चाय का उद्योग शुरू करने का विचार बनाया, लेकिन उन्हें किसी बड़े उद्योगी से मदद नहीं मिल सकी। इसके बाद उन्होंने नागपुर में एक छोटे से चाय के स्टॉल के साथ अपने काम की शुरूआत की। वहां के लोगों को उनकी चाय की वैरायटी काफी पसंद आई। उन्होंने अपने स्टॉल का नाम भी एनआरआइ चाय वाला रख दिया था। इसके बाद लोग और अधिक आकर्षित होने लगे। वह चाय पीने आने वाले लोगों से अंग्रेजी में भी बात किया करते थे। इसके बाद हाई क्लास लोग लोग उनसे काफी प्रेरित हुए। इसी तरह से उनके नाम के साथ एनआरआइ चायवाला जुड़ गया।

 

न्यूज़ीलैंड से 2018 में भारत आए

न्यूजीलैंड में कई रेस्तरां में काम करने वाले जगदीश साल 2018 में भारत आ गए। शुरू किया चाय का उद्योग। हालांकि कोरोना काल में उन्हें काम बंद पड़ा है, लेकिन उनके हौंसले अब भी बुलंद हैं। वह जरूरतमंदों के लिए मसीहा बनकर काम कर रहे हैं।

 

बेसहारा लोगों का बन रहे हैं सहारा

जगदीश कोरोना काल में जरूरतमंद लोगों के लिए बढ़ चढ़कर काम कर रहे हैं। दिन हो या रात उन्हें जहां से भी किसी जरूरतमंद के बारे में जानकारी मिलती है वह उनकी मदद करने निकल पड़ते हैं। कोरोना काल में करीब साढ़े तीन हजार लोगों का पेट भर चुके हैं जगदीश।

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