7वें अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय ओलंपियाड में कर्नाटका टीम ने लहराया जीत का परचम

नई दिल्ली ।  7वें अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय ओलंपियाड (आईएफओ) का ग्रांड फिनाले का आयोजन दिल्ली स्थित लिटिल थिएटर ग्रुप ऑडिटोरियम में हुआ, जिसमें कर्नाटक के बेंगलुरु स्थित इंटरनेशनल स्कूल ऑफ बेंगलुरु के छात्रों ने जीत हासिल की। विजेता टीम को ट्रॉफी के साथ सम्मानित किया गया, और साथ ही उन्हें 1 लाख की स्कॉलरशिप भी दी गई। वहीं चिरेक इंटरनेशनल स्कूल, आंध्र प्रदेश के छात्रों को फर्स्ट रनर-अप घोषित कर उन्हें 40,000 की स्कॉलरशिप के साथ सम्मानित किया गया। इसके अलावा दिल्ली में आरके पुरम स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल के छात्रों ने तीसरे स्थान पर रहते हुए, 20,000 रुपये की स्कॉलरशिप प्राप्त की।

 

 

अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय ओलंपियाड कक्षा 8वीं से लेकर कक्षा 12वीं के छात्रों को इसमें हिस्सा लेने का अवसर देता है। इसके रेजिस्ट्रेशन हर साल मार्च से लेकर अगस्त तक खुले रहते हैं। छात्र अपनी मर्जी अनुसार खुद से या अपने स्कूल की मदद से इसमें हिस्सा ले सकते हैं। इससे जुड़े स्कूलों के कक्षा 8वीं के छात्र बिगिनर लेवल, 9वीं और 10वीं के छात्र इंटरमीडिएट लेवल और 11वीं व 12वीं के छात्र एडवांस लेवल के लिए रेजिस्टर कर सकते हैं।

 

वास्तव मे अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय ओलंपियाड (आईएफओ), इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंशियल मार्केट्स (आईआईएफएम) की एक खास पहल है, जिसे पिछले 7 सालों से हर साल आयोजित किया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य कक्षा 8-12वीं के छात्रों को पैसों के प्रबंधन की जरूरत और कला को समझाना है। फिनाले में जाने वाली टीमों में दल्ली में आरकेपुरम स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल, हरिद्वार स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल, दी इंटरनेशनल स्कूल ऑफ बंगलौर, हैदराबाद स्थित चिरेक इंटरनेशनल स्कूल, ठाणे स्थित श्रीमती सुलोचना देवी सिंघानिया स्कूल और चण्डीगढ़ स्थित सेंट कबीर पब्लिक स्कूल शामिल रहे।

नई दिल्ली स्थित प्रथम स्कूल के निदेशक, श्री अंकित कपूर ने बताया कि, “चूंकि, स्कूल के छात्रों को वित्तीय ज्ञान न के बराबर होता है, इसलिए इसे हम दुनियाभर के स्कूलों की गतिविधियों में शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय ओलंपियाड में सफल रहने के बाद, हमने अपनी साखा का विस्तार करते हुए ग्लोबल इकोनॉमिक ओलंपियाड की शुरुआत की है। आज की आधुनिक दुनिया में, ओलंपियाड छात्रों के टैलेंट और क्षमता की पहचान करने में सहायक होने के साथ यह छात्रों की कमियों और सुधार के तरीकों के बारे में भी बताते हैं।”

 

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