संजीव कुमार झा
नई दिल्ली। जन अधिकार पार्टी (लो) के राष्ट्रीय संरक्षक सह मधेपुरा सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव पूरे देश में एकमात्र ऐसे सांसद है, जिसे सही मायनों में जनता और उनके लिए न्याय, सम्मान व उनके हक की चिंता होती है। तभी तो वे जनता की कराह पर दौड़े चले आते हैं। उनके पक्ष में एक सिपाही की तरह खड़े होकर लड़ाई लडते नजर आते हैं, वो भी नि:स्वार्थ भाव से। क्योंकि आज पूरा देश चुनावी मोड में आ चुका है। हालांकि आचार संहिता लगाना अभी बांकी है। ऐसे में महागठंधन–गठबंधन और सीटों का खेल जोर–शोर से चल रहा है। बिहार के नेता भी इन दिनों जनता को भूलाकर बस अपना समीकरण बनाने में मस्त हैं। कोई लखनऊ जा रहा है तो कोई दही चूड़ा के भोज में मस्त है।
वहीं, पप्पू यादव एक अकेले ऐसे नेता हैं, जिनकी पत्नी बीमार हैं और सगे मौसा का निधन होने के बाद भी उन्हें जब गया, मानपुर बेटी अंजना के बारे में खबर हुई तो वे दौरे चले आये और उनके परिजनों के दुख में शामिल होकर दर्द बांटने की कोशिश की और एलान कर दिया कि वे अंजना को न्याय एक बाप की तरह लड़ कर दिलाएंगे। यह अंजना वहीं 16 साल की मासूम लड़की है, जिसकी अपहरण के बाद हत्या कर दी गई थी और प्रशासन ने इसे ऑनर किलिंग का मामला बना दिया था। मगर पप्पू यादव ने जब उनके परिजनों से मुलाकात की और मामले की तफ्शीश अपने स्तर से की तो उन्हें पता चला कि प्रशासन ने पल्ला झाड़ने के लिए इस मामले को ऑनर किलिंग का रंग दिया है।
फिर क्या था। उन्होंने सीबीआई जांच की मांग कर दी और एलान कर दिया कि दोषियों को वे हर हाल में सजा दिलाएंगे। पप्पू यादव ने पीडित परिवार को आर्थिक मदद भी की। मगर स्थानीय नेताओं और इलाके के मंत्रियों को अंजना को न्याय मिले, इससे मतलब नहीं है। तभी तो मंत्री प्रेम कुमार समेत स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इस मामले में खामोश हैं। वहीं, जब पप्पू यादव मानपुर गए, उसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की नींद खुली। यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी गया में डॉक्टर के सामने उनकी बेटी के बलात्कार मामले में भी मजबूत आवाज सांसद पप्पू यादव ने ही उठाई थी।
चाहे वो मधुबनी की बेटी प्रियांशु हो या बिहार के कोई अन्य पीडि़त। मुजफ्फरपुर शेल्टर होम हो, पटना का आसरा होम, सुपौल कस्तूरबा विद्यालय हो या बेगूसराय का कुशवाहा छात्रावास हो, हर मामले को लेकर पप्पू यादव ने सड़क से संसद तक लड़ाई छेड़ी। सोमवार को जन्दाहा भी गए, जहां किसानों की हत्या कर दी गई थी। उनके परिजनों से भी मिले और उनका दुखों को बांटा। उनकी आवाज बने। अपराधियों, दलालों और माफिया का शिकार सबसे ज्यादा आम और निर्दोष जनता बनती है, जिसके खिलाफ पप्पू यादव आज लगातार आवाज उठा रहे हैं। यह उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा से ज्यादा जनता के प्रति लगाव है कि उनके दुख से पप्पू यादव का दिल भी रोता है। तभी तो लोकसभा में स्पीकर सुमित्रा महाजन ने भी पप्पू यादव के संघर्षों की सरहाना की है। आम लोगों में ये धारणा पूरी तरह से बन चुकी है कि मुसीबत में अगर कोई मसीहा बन सकता है, तो वो पप्पू यादव ही हैं।