Harpal ki khabar
मुंबई। एक प्रमुख भारतीय क्रेडिट ब्यूरो क्रिफ (सीआरआइएफ) हाई मार्क ने ‘हाउ इंडिया सेलेब्रेट्स- रिपोर्ट ऑन फेस्टिव लेंडिंग इन इंडिया’ नामक अपनी पहली रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में त्यौहारों के दौरान प्रमुख उपभोक्ता ॠण (लेंडिंग) उत्पादों यानी पर्सनल, होम, कंज्यूमर ड्यूरेबल, टू-व्हीलर और ऑटो लोन में सभी रुझानों एवं गतिविधियों पर प्रकाश डाला गया है। यह रिपोर्ट प्रत्येक उत्पाद के मूल्य एवं परिमाण, ॠणदाता (लेंडर) के प्रकार, भौगोलिक क्षेत्र के अलावा शुरुआती डेलीक्वेंसी ट्रेंड्स पर गहराई से पता लगाती है।
सभी 4 वित्त वर्षों में पर्सनल लोन और होम लोन का प्रभुत्व कायम रहा
पर्सनल लोन ने त्यौहारी सीजन के दौरान सभी दूसरे उत्पादों को पीछे छोड़ते हुए अपने मूल्य में लगभग 2 गुणा की वृद्धि दर्ज की। वित्त वर्ष 2019 के 75,088 करोड़ रुपये की तुलना में यह वित्त वर्ष 2022 में 147,236 करोड़ रुपये पहुंच गया। वहीं पर्सनल लोन के परिमाण (वॉल्यूम) में 4 गुणा की बढ़ोतरी हुई और यह वित्त वर्ष 2019 में 39.9 लाख खातों से बढ़कर वित्त वर्ष 2022 में 158.1 लाख खातों तक पहुंच गया।
होम लोन के मूल्य में त्यौहारी सीजन के दौरान मूल्य में 40 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। यह वित्त वर्ष 2019 में 138,544 करोड़ रुपये से बढ़कर यह वित्त वर्ष 2022 में 193,227 करोड़ रुपये दर्ज किया गया। वहीं, होम लोन के परिमाण में 27 प्रतिशत का उछाल आया और वित्त वर्ष 2019 में खातों की जो संख्या 6.7 लाख थी, वह वित्त वर्ष 2022 में बढ़कर 8.1 लाख खातों तक पहुंच गई।
एक प्रमुख रुझान ध्यान देने लायक है कि सभी उत्पादों के लिए मूल्य के हिसाब से तीसरी तिमाही की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2019 की तुलना में वित्त वर्ष 2021 में बढ़ी है।
प्रमुख ऋण उत्पादों का प्रदर्शन
नीचे प्रमुख उपभोक्ता ॠण उत्पादों, जैसे कि पर्सनल, होम, कंज्यूमर ड्यूरेबल, टू-व्हीलर और ऑटो लोन में त्यौहारी सीजन (तीसरी तिमाही – अक्टूबर से दिसंबर, वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2022) के दौरान देखे गए प्रमुख रुझान दिए गए हैं।
पर्सनल लोन में मूल्य के हिसाब से लगभग 2 गुणा की वृद्धि दर्ज की गई। वित्त वर्ष 2019 के 75,088 करोड़ रुपये की तुलना में यह वित्त वर्ष 2022 में 147,236 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। वहीं पर्सनल लोन के परिमाण (वॉल्यूम) में 4 गुणा की बढ़ोतरी हुई और यह वित्त वर्ष 2019 में 39.9 लाख खातों से बढ़कर वित्त वर्ष 2022 में 158.1 लाख खातों तक पहुंच गया। वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों एवं एनबीएफसी के मूल्य की हिस्सेदारी में बढ़ोतरी हुई। निजी बैंकों ने इस समान अवधि के दौरान अपने मूल्य में गिरावट देखी। हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को वॉल्यूम के हिसाब से हिस्सेदारी में गिरावट का सामना करना पड़ा जबकि निजी बैंकों एवं एनबीएफसी ने समान अवधि के दौरान वॉल्यूम में बढ़त दर्ज की।
होम लोन के मूल्य में मूल्य में 40 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई और यह वित्त वर्ष 2019 के 138,544 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2022 में 193,227 करोड़ रुपये पहुंच गया। वहीं, होम लोन के परिमाण में 27 प्रतिशत का उछाल आया और वित्त वर्ष 2019 में खातों की जो संख्या 6.7 लाख थी, वह वित्त वर्ष 2022 में बढ़कर 8.1 लाख खातों तक पहुंच गई। वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही में निजी बैंकों के मूल्य और परिमाण दोनों की हिस्सेदारी में बढ़ोतरी हुई जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों एवं एचएफसी को समान अवधि के दौरान इसमें गिरावट का सामना करना पड़ा।
कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन में मूल्य के लिहाज से 32 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली और यह वित्त वर्ष 2019 के 19,683 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2022 में 26,075 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। वहीं इस लोन के परिमाण (वॉल्यूम) में 33 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और यह वित्त वर्ष 2019 में 91.6 लाख खातों से बढ़कर वित्त वर्ष 2022 में 121.9 लाख खातों तक पहुंच गया। वित्त वर्ष 2019 से लेकर वित्त वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही में निजी बैंकों के मूल्य और वॉल्यूम दोनों की हिस्सेदारी में बढ़ोतरी हुई, हालांकि, एनबीएफसी का इस श्रेणी में दबदबा रहा पर उनकी हिस्सेदारी में गिरावट देखने को मिली।
टू-व्हीलर (दोपहिया वाहन) लोन के मामले में ब्युत्पत्ति (मूल्य) ल्में सपाट वृद्धि देखने को मिली और यह वित्त वर्ष 2019 के 16,393 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2022 में 15,281 करोड़ रुपये आ गया। वहीं व्युत्पत्ति (परिमाण) में 29 प्रतिशत की गिरावट आई और यह वित्त वर्ष 2019 की तीसरी तिमाही के 28.7 लाख खातों से घटकर वित्त वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही में 20.4 खातों पर आ गया। त्यौहारी सीजन के दौरान निजी बैंकों और एनबीएफसी-कैप्टिव्स के मूल्य और वॉल्यूम दोनों की हिस्सेदारी में गिरावट हुई। समान अवधि में एनबीएफसी-अदर्स में वृद्धि देखने को मिली।
ऑटो लोन में व्युत्पत्ति (मूल्य) में सपाट वृद्धि देखने को मिली और यह वित्त वर्ष 2019 के 54,367 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2022 में 56,420 करोड़ रुपये पहुंच गया। वित्त वर्ष 2019, वित्त वर्ष 2020 और वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में व्युत्पत्ति (वॉल्यूम) 10 लाख खातों से अधिक रहा। लेकिन वित्त वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही में यह गिरकर 8 लाख खाते पर आ गया। वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और निजी बैंकों की व्युत्पत्तियों (मूल्य और परिमाण दोनों) की हिस्सेदारी में बढ़ोतरी हुई। वहीं, एनबीएफसी में समान अवधि में इन दोनों में गिरावट दर्ज की गई।
व्युत्पत्तियों में दक्षिण और पश्चिम भारत का प्रभुत्व है
इस रिपोर्ट के मुताबिक, व्युत्पत्तियों के हिसाब से दक्षिण और पश्चिम भारत का जलवा रहा। शीर्ष 10 राज्यों में व्युत्पत्तियाँ (मूल्य) ऑटो, पर्सनल, कांसूमर ड्यूरेबल और होम लोन्स के लिए महाराष्ट्र में, तथा दोपहिया वाहन लोन के लिए उत्तर प्रदेश में सर्वोच्च थीं।
शीर्ष 15 जिलों में, अधिकांश दक्षिण और पश्चिम भारत के जिले हैं। वहीं जयपुर, एनसीआर और कोलकाता अपवाद हैं। सभी उत्पादों में मूल्य के हिसाब से हिस्सेदारी बेंगलुरू में सबसे अधिक है, और पर्सनल लोन एवं होम लोन का जलवा बरकरार है। इसके बाद ऑटो लोन और कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन का स्थान है।
‘हाउ इंडिया सेलेब्रेट्स- रिपोर्ट ऑन फेस्टिव लेंडिंग इन इंडिया’ क्रिफ हाई मार्क की भारत में त्यौहारी सीजन के दौरान लिए जाने वाले ॠण पर पहली रिपोर्ट है। इस रिपोर्ट में शेष वर्ष की तुलना में त्योहारों के दौरान प्रमुख उपभोक्ता ॠण (लेंडिंग) उत्पादों यानी पर्सनल, होम, कंज्यूमर ड्यूरेबल, टू-व्हीलर और ऑटो लोन से जुड़े सभी रुझानों एवं गतिविधियों पर प्रकाश डाला गया है। इस रिपोर्ट के लिए, भारत में त्यौहारी सीजन वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर से दिसंबर) के तौर पर परिभाषित किया गया है।