दिल्ली को है नींद की दिक्कत


नई दिल्ली। – हाल ही में फिलिप्स ने वार्षिक वैश्विक नींद सर्वेक्षण के परिणाम जारी किए हैं। इस सर्वेक्षण में ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, जापान, नीदरलैंड, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और अमेरिका के 11,006 प्रतिभागियों से बातचीत की गई थी। जिसमें नींद के बारे में उनकी धारणाओं, नजरियों और व्यवहार को समझने की कोशिश की गई थी। हालांकि अच्छी गुणवत्ता वाली नींद के लिए महत्व मुंबई (84 प्रतिशत), बेंगलूरु (88 प्रतिशत) और लखनऊ (70 प्रतिशत) के मुकाबले दिल्ली में (47 प्रतिशत) कम दिखा।
फिलिप्स इंडिया के प्रमुख (नींद एवं श्वसन देखभाल) हरीश आर ने अनुसार भारतीय अपर्याप्त नींद को एक संभावित स्वास्थ्य समस्या मानते हैं, लेकिन उनमें नींद संबंधी बीमारियों और उपलब्ध नींद चिकित्सा समाधानों के बारे में जागरूकता अभी भी कम है। भारत में फिलिप्स स्लीप एंड रेस्पिरेटरी केयर उत्पादों पर ’नो-कॉस्ट ईएमआई’ योजना शुरू की है ताकि सस्ती एवं सुलभ देखभाल सुनिश्चित की जा सके।’’
न्यूरोलॉजी एंड स्लीप सेंटर के निदेशक (स्लीप मेडिसिन) एवं वरिष्ठ न्येरोलाॅजिस्ट डॉ. मनवीर भाटिया ने कहा कि नींद स्वास्थ्य का एक आवश्यक घटक है। आज के बदलते स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य में नींद संबंधी बीमारियों का सफलतापूर्वक समाधान करना काफी चुनौतीपूर्ण है। ऐसे में नींद के निदान एवं उपचार को कहीं अधिक कुशल बनाना महत्वपूर्ण हो गया है। हमें खुशी है कि फिलिप्स इस दिशा में समाधान प्रदान करने के साथ-साथ लोगों को नींद संबंधी सेहत के बारे में जागरूक भी कर रही है। नींद की अधिकांश समस्याएं पूरी तरह इलाज के योग्य हैं और कई मामलों में देखा गया है कि उपचार लेने वाले व्यक्ति की जीवन गुणवत्ता में नाटकीय परिवर्तन आया है।
फिलिप्स ने भारत में 500 से अधिक स्लीप लैब स्थापित किए हैं और 400 से अधिक स्लीप तकनीशियनों को प्रशिक्षित किया है। कंपनी क्लीनिकली-प्रुवेन समाधान विकसित कर रही है, जो लोगों को उनके नींद स्वास्थ्य को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह अपने स्मार्टस्लीप सूट आॅफ साॅल्यूशंस में विस्तार और दुनिया भर में 1 करोड़ से अधिक ड्रीमवियर मास्क एवं कुशन की बिक्री के जरिए उपभोक्ताओं और स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की बढ़ती एवं उभरती जरूरतों को भी पूरा कर रही है।


क्या कहता है सर्वेक्षण में भारतीय परिणाम
55 प्रतिशत भारतीय वयस्कों ने माना कि वे अच्छी नींद लेते हैं।
73 प्रतिशत भारतीय वयस्क अपनी नींद की गुणवत्ता में सुधार करना चाहते हैं।
38 प्रतिशत भारतीय वयस्कों का कहना है कि पिछले 5 वर्षों में उनकी नींद में सुधार हुआ है।
34 प्रतिशत भारतीय वयस्कों ने नींद में सुधार के लिए उपचार एवं तकनीक जानने की इच्छा जताई है।
24 प्रतिशत लोगों का कहना था कि वे ’स्लीप हेल्थ’ के बारे में जानकारी के लिए ऑनलाइन फोरम/सोशल मीडिया का उपयोग पहले ही कर चुके हैं।
जहां तक नींद में सुधार की बात है तो 31 प्रतिशत भारतीय वयस्क इस ओर ध्यान देते हैं जो वैश्विक औसत 26 प्रतिशत से अधिक है।
दिलचस्प है कि सर्वेक्षण से पता चलता है कि लोग नींद में सुधार के लिए तकनीक/वियरेबल्स का उपयोग करना चाहते हैं। करीब 16 प्रतिशत भारतीय वयस्कों ने उपकरणों के उपयोग की इच्छा जताई क्योंकि वे वियरेबल तकनीक के जरिये आसानी से अपनी नींद की गुणवत्ता की निगरानी और उसमें सुधार कर सकते हैं।
नींद की बीमारी को नजरअंदाज करने का संकेत देते हुए सर्वेक्षण ने यह भी उजागर किया है कि लगभग आधे पीड़ितों को प्राकृतिक, वंशानुगत या उम्र के कारण खर्राटे का अनुभव होता है जो इसे गंभीरता से नहीं लेने का एक प्रमुख कारण है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.