ट्रैक्टर से व्यावसायिक कर हटाने का श्रेय किसे ? 

हरियाणा सरकार और विपक्ष के नेताओं में ट्रैक्टर पर लगाए गए व्यावसायिक कर में राहत दिलाने का श्रेय लूटने की होड लगी हुई है । मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का कहना है कि वे जाकर नितिन गडकरी से मिले और इस कर से राहत दिलाई । जबकि अभय चौटाला का कहना है कि वे नितिन गडकरी से पहले मिले थे । यही नहीं सांसद दुष्यंत चौटाला ने  शीतकालीन सत्र में जाने के लिए ट्रेक्टर की सवारी कर इसे राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया । इसे तरह ट्रेक्टर से व्यावसायिक कर में राहत मिली ।

लखनवी अंदाज में कभी पहले आप , पहले आप कहा जाता था लेकिन हरियाणा में पहले हम , पहले हम की होड लगी है । वैसा अगर मुख्यमंत्री को ऐसा श्रेय लेना ही था तो इसे कर को लगाया ही क्यों ? अपनी ओर से ही राहत देने की घोषणा कर देते तब श्रेय भी मिल जाता । अब तो लकीर पीटने का क्या फायदा ?
दुष्यंत चौटाला ने तो यह भी कहा था कि जब तक यह कर नहीं हटेगा वे संसद भवन तक ट्रेक्टर पर ही जाएंगे । नितिन गडकरी ने कर में राहत देकर दुष्यंत की समस्या हल कर दी । अब वे कार पर जा सकते हैं ।
इसी प्रकार एक मामले को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी लगातार ध्यान में ला रहे हैं और वह मामला हैंं : दाल रोटी योजना का । इसमें से सरकार ने दाल गायब कर दी है । अब श्रेय लेना ही है तो दाल को रोटी के साथ देना शुरू करवा दीजिए,  खट्टर काका जी । योजनाएं तो बरकरार रखिए ।
वैसे श्रेय ही लेना है तो योजनाओं को श्री करने का लो, बंद करने का नहीं । आपने तो हांसी बुटाना नहर को ही बंद करने का फैसला कर लिया । इस पर जो जनता का पैसा लगा है , उसकी भरपाई कौन करेगा ? यह सवाल पूछा जा रहा है पर चिंतन शिविर में इसकी कोई चिंता नहीं की गयी । शिविर से सभी अपनी अपनी गाडियों में लौट आए । जाने का नाटक बस से जाकर किया गया । जनता सब नाटक देख चुकी है । अब धरातल पर आइए ।
मुख्यमंत्री खट्टर जी तीन वर्ष तो निकल गये : जयंतियां और महोत्सव मनाते । अब विपक्ष का कहना है कि इनसे बाहर आइए और कुछ ठोस भी कर दिखाइए । वरना जनता किस बात का श्रेय देकर आपको चुनाव में फिर वोट दे ?
–  कमलेश भारतीय

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