मुझे दो सौ करोड़ी क्लब में शामिल नहीं होना

निर्माता-निर्देशक नलिन सिंह जो कि अपनी ऑफ बीट मूवीस के लिए काफी चर्चा में रहते हैं। हाल ही में स्क्रीन हुई फिल्म माय वर्जिन डायरी में नलिन ने एक नए सब्जेक्ट को लोगों के बीच पेश किया है। इसमें उन्होंने यूनिवर्सिटी कैंपस के उन लड़कों की जिंदगी को पर्दे पर उतारा है जो छोटे शहर से आए बड़े इंसान बनने का सपना लेकर। इस बाबत बहुत कुछ जानते हैं उनसे।

क्या सोच है फिल्म माय वर्जिन डायरी के पीछे?
फिल्म माय वर्जिन डायरीयह कहानी बिहार के एक लड़के पर केंद्रित हैं, जो यूनिवर्सिटी कैंपस में सुसाइड कर लेता है। वह लड़का बहुत ही प्रतिभावान होता है और जिंदगी में कुछ करेगा ऐसा उसके सारे दोस्त कहा करते थे। पर जिंदगी में कुछ परिस्थितियां ऐसी होती है जिनसे हम हार जाते हैं और इन्हीं परिस्थितियों को आप से अवगत कराने के लिए हमने फिल्म बनाई।

 

– फिल्म का सब्जेक्ट चुनने में कहां से प्रेरणा मिली?
जो वास्तविक रूप में छात्र या बैचलर रहते हैं हॉस्टल में मै उनकी जिंदगी को दिखाना चाहता था। कारण हॉस्टल लाइफ में मनोरंजन के साथ-साथ समस्याएं भी होती हैं। मसलन पैसे की प्रॉब्लम, गर्लफ्रेंड से झगड़ा आदि। और जब मैं आगे बढ़ा तो लगा की कहानी कौन सी चुनी जाए ,हमारे साथ क्या क्या हुआ उन हसीन पलो को लिखना शुरू किया, तो मुझे लगा की मेरा जो रूम पार्टनर है उसने ही सबसे अनूठा काम किया था, तो क्यों ना उसको ही लेकर फिल्म बनाई जाए, और मैंने बनाई।

फिल्म की सफलता को लेकर क्या कुछ सोचा था?
मैंने सफलता के लिए सोचा ही नहीं था। फिल्म बनाने के लिए मेरे पास पैसे ही नहीं थे। सिर्फ हौसला था कि फिल्म बनानी है। जब यह तय हो गया की फिल्म बनानी ही है तो मेरे रूम पार्टनर का जो योगदान हमारे बैचलर लाइफ में रहा उसको हम फिल्म बना कर ही चूका सकते। हमारी फिल्म आई गाँधी टू हिटलर वह बड़े बजट की फिल्म थी,लगभग 8 से 10 करोड़ की और और बर्लिन और कान फिल्म फेस्टिवल में भी गई।

फिल्म के रिलीज के बारे में बताएं?
अधिकतर लोग फिल्म को यू टूब पर रिलीज कर के छोड़ देते हैं। रलीज के लिए मैंने इमेलिंग स्टार्ट किया जितने भी प्लेटफॉर्म है उनको लिखा संपर्क किया, लेकिन अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिला। लेकिन जैसे-तैसे जगह मिली और जब पहला एपिसोड रिलीज हुआ और जिस तरह से यह वायरल होती गई और लोगों का अच्छा रिस्पॉन्स भी मिला। इतना ही नहीं इसे यू के, यू यस ए और कनाडा जैसे मेजर प्लेटफॉर्म पे लोग देख रहे हैं, और पसंद भी कर रहे हैं।

आज विवादास्पद फिल्मो का जो दौर है। ऐसे में आपको लगता है की आप इससे अछूते रह पाएंगे।
जिस तरह से पद्मावी की मार्केटिंग हुई, मै इसे माकेटिंग ही कहूंगा। क्यूंकि जिस तरह से अपने समाज में तुष्टीकरण किया जाती विशेष पर,यह सब एक चाल और मीडिया ने जिस तरह से इसको रिपोर्ट किया, देखिए मंै एक फिल्म मेकर हूं और कह सकता हूं की यह कराया जाता है, हो सकता है मै गलत हूं, लेकिन आप एक फिल्म को चलाने के लिए समाज में एक नये कास्ट को जन्म दे दिया। अगर फिल्म के कंटेंट में दम है तो फिल्म चलेगी और लोग इसे पसंद भी करेंगे।

अगली फिल्म का कंटेंट क्या होगा ?
अभी हमने जो फिल्म बनाई है हॉस्टल लाइफ या कॉलेज लाइफ पर। इसे लोगांे ने पसंद किया और इसका जो सीक्वल जो मै बनाऊंगा रॉकस्टार डायरी जिसमंे एक म्यूजिक लाइफ के स्ट्रगल को दिखया जायेगा। यह भी कॉलेज लाइफ पर ही बनी फिल्म होगी ।

आपको नहीं लगता कि आपकी फिल्में भी दो सौ करोड़ के क्लब में शामिल हों?

मैं फिल्म मेकिंग को व्यवसाय नहीं बनाना चाहता। और न ही मुझे आमिर सलमान बनने का कोई शौक है।, मेरी यह फिल्म अगर आप देखेंगे तो इसका बहुत ही नाॅर्मल कान्टेंट है। यह फिल्म हमने अपने दर्शकों को ध्यान में रखकर बनाई है, जो पांच सौ रुपये या दो हजार रुपए खर्च न करके अपने मोबाइल पर ही देख सकते हैं और इससे रेवेन्यू भी कम आता है।

 

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